भारतीय वायु सेना को मजबूती देने और आधुनिक बनाने के लिए खरीदे गए राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति को लेकर देरी की आशंकाओं को फ्रांस सरकार की ओर से दरकिनार कर दिया गया है. भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनेन ने कहा है कि भारत सरकार को इन फाइटर जेट्स की डिलीवरी के लिए दी गई समय सीमा का सख्ती से पालन किया जाएगा.
राफेल की निर्माता कंपनी दसॉ के मैनुफैक्चरिंग प्लांट को मार्च के अंत में बंद कर दिया गया था, जिसके कारण आशंका जताई जा रही थी कि भारत को मिलने वाली जहाजों की अगली खेप में देरी हो सकती है.
समयसीमा का सख्ती से पालन जारी
मार्च अंत में फ्रांस में कोरोनावायरस संक्रमण तेजी से फैला था और देश में कुछ ही दिनों में संक्रमण का आंकड़ा 1 लाख के करीब पहुंच गई थी, जबकि मृतकों की संख्या भी मार्च अंत और अप्रैल की शुरुआत में ही 10 हजार के पार पहुंच गई थी. इसके कारण देश में लॉकडाउन लागू कर दिया गया था.
मई के महीने में देश में संक्रमण और मृतकों की संख्या में काफी कमी आई है. देश में अभी तक 1.45 लाख लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 28,330 लोगों की मौत हो चुकी है.
पीटीआई से बात करते हुए फ्रांस के राजदूत ने कहा, "राफेल जहाजों की आपूर्ति के लिए तय अनुबंधात्मक आपूर्ति समयसीमा का अभी तक सख्ती से पालन किया गया है और हाल ही में अप्रैल के अंत में फ्रांस में भारतीय वायु सेना को एक जेट सौंपा गया है."
2016 में हुआ 36 विमानों का सौदा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल 8 अक्टूबर को फ्रांस में राफेल जहाजों की पहली खेप प्राप्त की थी. दोनों देशों के बीच 36 राफेल जेट की खरीद को लेकर सौदा हुआ है. भारत को मिले अभी तक सभी जेट फ्रांस में ही हैं, जहां भारतीय पायलट इस पर ट्रेनिंग ले रहे थे.
भारत को सौंपे जा चुके चार राफेल जेट को भारत लाने पर बोलते हुए राजदूत लेनेन ने कहा, "हम 4 राफेल जहाजों को जल्द से जल्द फ्रांस से भारत लाने के लिए जहाजों के इंतजाम में भारतीय वायु सेना की मदद कर रहे हैं. ऐसे में इस बात पर आशंका जाहिर करने का कोई कारण नहीं है कि समयसीमा पर विमानों की आपूर्ति होगी या नहीं."
भारत और फ्रांस की सरकारों ने 2016 में अंतर-सरकारी समझौते के तहत इन विमानों की खरीद का सौदा किया था. इस सौदे की कीमत 58 हजार करोड़ रुपये है.
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