(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
लद्दाख में चीन की नापाक हरकत पर भारत के साथ खड़ा हुआ 'दोस्त' जापान
जापान ने कहा है कि वह नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने वाली किसी भी एकतरफा प्रयास का विरोध करता है. जापान ने भारत के प्रयासों की सराहना की है और आशा जताई कि इस पूरे मुद्दे का शांतिपूर्वक समाधान होगा.
नई दिल्ली: लद्दाख में भारतीय जमीन पर कब्जा करने की फिराक में लगे चीन के खिलाफ अब जापान भी भारत के साथ खड़ा हो गया है. जापान ने कहा है कि वह नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने वाली किसी भी एकतरफा प्रयास का विरोध करता है. जापान ने भारत के प्रयासों की सराहना की है और आशा जताई कि इस पूरे मुद्दे का शांतिपूर्वक समाधान होगा.
जापान के भारत में दूत सतोषी सुजुकी ने भारतीय विदेश सचिव एचवी श्रींगला से मुलाकात के बाद यह बयान जारी किया. उन्होंने ट्वीट किया, 'मेरी विदेश सचिव एचवी श्रींगला से अच्छी बातचीत हुई है. एलएसी पर श्रींगला की ओर से दी गई जानकारी की और भारत सरकार के शांतिपूर्व समाधान के प्रयासों की मैं प्रशंसा करता हूं. जापान आशा करता है कि इस विवाद का शांतिपूर्वक समाधान होगा.
जापान यथास्थिति को बदलने की किसी भी कार्रवाई का विरोध करता है. बता दें कि भारत और चीन के बीच लद्दाख में तनाव चरम पर है, वहीं पूर्वी चीन सागर में द्वीपों को लेकर ड्रैगन का जापान से भी विवाद है. इस बीच भारतीय और जापानी नौसेना ने हिंद महासागर में चीन के बढ़ते खतरों से निपटने के लिए संयुक्त युद्धाभ्यास किया है. जापानी नौसेना ने ट्वीट किया कि 27 जून को जापान मैरिटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स के JS KASHIMA और JS SHIMAYUKI ने भारतीय नौसेना के आईएनएस राणा और आईएनएस कुलीश के साथ हिंद महासागर में एक अभ्यास किया. इसके जरिए जापान मैरिटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स ने भारतीय नौसेना के साथ अपने समझ और सहयोग को बढ़ाया.
रिपोर्ट के अनुसार, जापानी विध्वंसक युद्धपोत कागा ने दक्षिणी जापान में ओकिनावा द्वीप के पास 24 समुद्री मील के भीतर एक चीनी पनडुब्बी का पता लगाया. जिसके बाद हरकत में आई जापानी नौसेना ने अपने पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट की मदद से चीनी पनडुब्बी को अपने जलक्षेत्र से बाहर खदेड़ दिया.
बता दें कि 2018 में भी जापान ने अपनी जलसीमा में एक चीनी पनडुब्बी को पकड़ा था. चीन और जापान में पूर्वी चीन सागर में स्थित द्वीपों को लेकर आपस में विवाद है. दोनों देश इन निर्जन द्वीपों पर अपना दावा करते हैं. जिन्हें जापान में सेनकाकु और चीन में डियाओस के नाम से जाना जाता है. इन द्वीपों का प्रशासन 1972 से जापान के हाथों में है. वहीं, चीन का दावा है कि ये द्वीप उसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं और जापान को अपना दावा छोड़ देना चाहिए. इतना ही नहीं चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी तो इसपर कब्जे के लिए सैन्य कार्रवाई तक की धमकी दे चुकी है.