नई दिल्लीः 2019 चुनाव में आठ से नौ महीने का वक्त बचा रह गया है और इस बीच जाने-माने इकॉनमिक एनालिस्ट रूचिर शर्मा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता घटी है. 2019 में नरेंद्र मोदी के दोबारा चुने जाने की उम्मीद 99% से घटकर मौजूदा वक्त में 50 फीसदी रह गई है. साल 2017 में प्रधानमंत्री मोदी के दोबारा 2019 में चुने जाने की संभावना 99 फीसदी तक थी.
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को दिए गए इंटरव्यू में न्यूयॉर्क के नामचीन कॉलमिस्ट में शुमार रूचिर शर्मा ने कहा, ''साल 2014 के चुनाव को देखें तो बीजेपी ने 31 फीसदी वोट शेयर हासिल किया क्योंकि विपक्ष काफी बिखरा हुआ था. पिछले चुनाव में सीट शेयर केंद्रित नहीं रह सका लेकिन वोट केंद्रित रहे. साल 2019 का चुनाव पिछले चुनाव के मुकाबले बिलकुल अलग और दिलचस्प होगा. अगर मुझे इस चुनाव पर पिछले साल यानी 2017 तक दाव लगाना होता तो मेरा मानना था कि मोदी के दोबारा चुने जाने की उम्मीद 99% थी. उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजों के बाद ये काफी कुछ बेहद साफ था. लेकिन अब ये रुझान बदलता लग रहा है.''
उन्होंने आगे कहा, '' मौजूदा समय में साल 2019 के चुनाव में बाजी 50:50 के अनुपात में नजर आ रही है. ये चुनाव काफी कुछ गठबंधन और उसकी एकता पर निर्भर करेंगे. पिछले आम चुनाव में विपक्ष जितना बिखरा हुआ था इस चुनाव में उतने ही साफ संकेत साथ आने के नजर आ रहे हैं.''
अर्थशास्त्री रूचिर शर्मा इन दिनों अपनी नई किताब 'डेमोक्रेसी ऑन रोड' लिख रहे हैं और भारत सहित दुनिया के राजनीति पर पैनी नजर रखते हैं. साल 2019 से चुनाव से पहले उनकी नई किताब लॉन्च होगी. ये किताब भारतीय लोकतंत्र कैसे काम करता है और देश को चुनावों पर आधारित होगी.
दर्जनों चुनाव कवर कर चुके शर्मा ने साल 2004 के आम चुनाव याद करते हुए बताया कि तत्कालीन चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष के नेता की पॉपुलैरिटी को लेकर उतना ही बड़ा अंतर था जितना मौजूदा समय में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और विपक्ष के नेता की लोकप्रियता में है. लेकिन जब विपक्ष एक साथ आया तो भी यही सवाल रहा कि प्रधानमंत्री का चेहरा कौन होगा. इसके बाद देश को ' एक्सीडेंटल पीएम' मिले.
उत्तर प्रदेश के चुनाव को लेकर शर्मा ने कहा, '' 80 लोकसभा सीटों वाला ये राज्य भारत के चुनाव में काफी अहम हैसियत रखता है. अगर राज्य में सपा और बसपा एक साथ आते हैं तो ये 2019 में क्लीन स्वीप जैसी स्थिति बना सकते हैं. लेकिन अगर दोनों पार्टियां साथ नहीं आती हैं तो राज्य में बीजेपी को सफलता मिलेगी. मेरा मानना है कि राज्य में अब भी जाति चुनाव में सबसे बड़ी भूमिका निभाती है.