दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर चलने वाले प्रवासी मजदूरों की कितनी मौतें हुई इस बात को लेकर सरकार साफ कह चुकी है कि उसके पास इससे जुड़ा कोई आधिकारिक आंकड़ा तो नहीं है. लेकिन लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सड़क परिवहन मंत्रालय ने इतना जरूर बताया कि मार्च से लेकर जून तक देशभर में सड़कों पर हुई सड़क दुर्घटनाओं में 29 हजार से ज्यादा मौतें हुई है.
इतना ही नहीं सरकार ने इसी जवाब में यह भी बताया है कि लॉकडाउन के दौरान 1 करोड़ से ज्यादा मज़दूर वापस अपने गांवों कस्बों तक पहुंचे. सरकार के दिए गए जवाब के बाद अब विपक्षी पार्टियों ने इन आंकड़ों के आधार पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. विपक्षी पार्टियों का आरोप है की जिस दौरान का ये आंकड़ा है उस और दौरान देश में अलग-अलग चरणों में लॉकडाउन था ऐसे में सड़क दुर्घटना में हुई इन मौतों में बड़ी संख्या प्रवासी मजदूरों की हो सकती है.
लोकसभा में दिए एक जवाब में केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय ने जानकारी दी की मार्च से जून के बीच राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य मार्गों पर कुल 81,385 सड़क दुर्घंटनायें हुईं और इन दुर्घटनाओं में 29,415 लोगों की मौत हुई. हालांकि इस सबके बीच मंत्रालय ने यह भी साफ कर दिया है कि इन 29,415 लोगों में कितने प्रवासी मजदूर थे इसको लेकर कोई अलग से आंकड़ा मौजूद नहीं है.
लोकसभा में सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के बाद विपक्षी पार्टियां अब सरकार को घेर रही हैं. विपक्षी पार्टियों सवाल उठा रही कि भले ही सरकार सीधे तौर पर प्रवासी मजदूरों की मौत का आंकड़ा ना देना चाह रही हो. लेकिन यह जो आंकड़ा सामने आया है यह उस वक्त का है जब देश में लॉकडाउन के अलग-अलग चरण जारी थे. इसमें से भी शुरुआती 35 से 40 दिन देश में पूरी तरह से लॉक डाउन था. यह वही वक्त है जब सड़कों पर लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर चल रहे थे और उस दौरान सड़कों पर प्रवासी मजदूरों की दुर्घटना में हुई मौतों कि कई खबरें सामने आई थी.
कांग्रेसी सांसद मनीष तिवारी ने एक ट्वीट के ज़रिए सवाल उठाते हुए कहा कि "यह एक बड़ी जानकारी है. सरकार ने खुद माना कि मार्च से जून के बीच 81,385 सड़क दुर्घटनाएं हुई है जिसमें 29,415 लोगों की मौत हुई है. ऐसे में अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है की जब लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर यातायात लगभग था ही नहीं तो उस दौरान सड़क दुर्घटनाओं में किन लोगों ने अपनी जान गंवाई है. सड़क दुर्घटना में हुई इन मौतों में अधिकतर प्रवासी मज़दूर हो सकते हैं जो अपने घर वापस जा रहे थे"
लोकसभा में दिए जवाब में सड़क परिवहन मंत्रालय ने श्रम और रोज़गार मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर यह जानकारी भी दी कि लॉकडाउन के दौरान पैदल यात्रा करने वालों समेत 1.06 करोड़ से अधिक प्रवासी श्रमिक अपने गृह-राज्य लौटे थे.
हालांकि इस बीच ये साफ कर देना जरूरी है कि भारत में पिछले कुछ सालों में सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या सालाना करीब 1.5 लाख तक होती है. यानी औसतन 1 महीने में 12,000 मौतें सड़क दुर्घटनाओ में होती हैं. इस लिहाज से 4 महीनों के आंकड़े को देखें तो यह आंकड़ा 45 से 50 हजार मौतों तक का हो सकता है लेकिन फिलहाल सरकार के दिए गए आंकड़े में 29,000 मौतों का जिक्र है.
यानी आम दिनों के औसत के हिसाब से तो मार्च से जून के महीने में मौतें काफी कम दर्ज हुई है. लेकिन विपक्षी पार्टी के नेता ये सवाल खड़ा कर रहे हैं कि जिस दौरान यह मौतें हुई है उस दौरान तो देश में लॉकडाउन था तो ऐसे में आम दिनों की तुलना में कुछ फ़ीसदी वाहन ही सड़कों पर चल रहे थे तो ऐसे में यह आंकड़ा भी काफी ज्यादा है. इसी आधार पर विपक्षी नेता सवाल उठा रहे हैं कि जब उस दौरान देश की बड़ी आबादी घरों में थी तो ऐसे में इस बात की आशंका काफी बढ़ जाती है कि जो मौतें हुईं उनमें बड़ी संख्या उन प्रवासी मजदूरों की होगी जो उस दौरान सड़कों पर अपने घरों के लिए निकले थे.
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