आम तौर पर जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरों पर लोग ज्यादा बात नहीं करते हैं. लेकिन सरकार और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में इसको लेकर गंभीर चिंता है और नई-नई रिपोर्ट चौंकानी वाली हैं. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization) ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत, चीन, बांग्लादेश और नीदरलैंड में समुद्री जल स्तर बढ़ गया है.


इस रिपोर्ट में ये कहा गया कि बढ़े हुए समुद्री जल स्तर से अलग-अलग महाद्वीपों के कई बड़े शहर डूब सकते हैं. इनमें शंघाई, ढाका, बैंकॉक, जकार्ता, मुंबई, मापुटो, लागोस, काहिरा, लंदन, कोपेनहेगन, न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स, ब्यूनस आयर्स और सैंटियागो शामिल हैं. इस बार समुद्री जल स्तर के बढ़ने की वजह इंसान है और ये1971 के बाद पहली बार हो रहा है. 


WMO की रिपोर्ट में बताया गया है कि 1900 के बाद से समुद्र का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, 1993 से 2002 के बीच हर साल औसतन 2.1 मिमी जल स्तर बढ़ा था, जबकि 2003 से 2012 के बीच सालाना औसतन 2.9 मिमी जल स्तर बढ़ा. वहीं, 2013 से 2022 के बीच हर साल औसतन 4.5 मिमी जल स्तर बढ़ा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तापमान के 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने से समुद्री जल स्तर 2 से 6 मीटर तक बढ़ सकता है.  5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ने से 19 से 22 मीटर तक जल स्तर बढ़ने का खतरा है.


20 वीं सदी के बाद पहली बार इतनी तेजी से बढ़ा है समुद्र का जल स्तर


WMO की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन हजार सालों में समुद्र का जल स्तर इतनी तेजी से बढ़ना परेशानी का सबब है. रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि समुद्र भी पिछले 11 हजार सालों सबसे ज्यादा गर्म हुआ है.  रिपोर्ट में ये समझाया गया है कि समुद्र के जल स्तर में हर साल औसतन 0.15 मीटर तक भी बढ़ोतरी होने से बाढ़ से प्रभावित होने वाली आबादी 20 फीसदी बढ़ जाएगी. समुद्र के जल स्तर में 0.75 मीटर की बढ़ोतरी होने से 40 फीसदी आबादी को खतरा होगा. 


संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि दुनिया की 10 फीसदी आबादी यानी करीब 90 करोड़ लोग तटीय इलाकों में रहते हैं और समुद्री जल स्तर बढ़ने से इन पर सबसे ज्यादा खतरा है. यानी धरती पर रह रहे 10 में से 1 व्यक्ति को बाढ़ की मार झेलनी पड़ेगी. उन्होंने बताया कि कई अफ्रीकी देशों में लोगों का जीवन  समुद्री जल स्तर बढ़ने से खत्म हो सकता है.


गुटेरेस का कहना है कि समुद्री जल स्तर बढ़ने से कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. बढ़ते जल स्तर से 25 से 45 करोड़ लोगों के जीवन पर असर पड़ेगा.कई आइलैंड या देश गायब हो सकते हैं साथ ही रहने के लिए जमीन और पीने के लिए पानी का खतरा भी पैदा हो जाएगा. ऐसा 80 साल से भी कम समय में हो सकता है. ये समय कम है ऐसे में ये भी एक बड़ी चुनौती बनेगी. 


क्यों बढ़ रहा है जल स्तर?


जल स्तर बढ़ने की सबसे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन है जिसकी वजह से धरती का तापमान बढ़ रहा है . तापमान बढ़ने से बर्फ पिघल रही है और समंदर भी गर्म हो रहे हैं.  संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक हर साल अंटार्कटिका में 150 अरब टन बर्फ पिघल रही है. 


क्या है जलवायु परिवर्तन?


जलवायु परिवर्तन को समझने से पहले जलवायु को समझना जरूरी है. जलवायु का मतलब किसी दिये गए क्षेत्र में लंबे समय तक औसत मौसम से होता है. जब भी किसी क्षेत्र विशेष के औसत मौसम में बदलाव आता है तो उसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) कहते हैं. 


जलवायु परिवर्तन को किसी एक खास जगह से लेकर एक साथ पूरी दुनिया में भी महसूस किया जाता है. फिलहाल जलवायु परिवर्तन का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है. 


पृथ्वी का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है. वैज्ञानिकों को बीते 100 सालों में पृथ्वी का तापमान 1 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ा हुआ होना परेशान कर रहा है. पृथ्वी के तापमान में यह परिवर्तन पृथ्वी की जनसंख्या से काफी कम हो सकता है. लेकिन इस तरह का कोई परिवर्तन मानव जाति पर बड़ा और खतरनाक असर डाल सकता है. 


अभी बढ़ा हुआ पृथ्वी का तापमान और महासागरों का बढ़ता जलस्तर जलवायु परिवर्तन का ही नतीजा है. जलवायु परिवर्तन के लिए प्राकृतिक और मानवीय गतिविधियां जिम्मेदार होती हैं. 


ऐसा 1971 के बाद पहली बार हो रहा है जब जल स्तर के बढ़ने की वजह इंसान यानी मानवीय गतिविधियां है. मानवीय गतिविधियों में तेजी से बढ़ता शहरीकरण, औद्योगिकीकरण है. 


भारत को इससे डरने की जरूरत क्यों है


WMO की रिपोर्ट में बढ़ते समुद्री जल स्तर से भारत को भी खतरा है. सबसे ज्यादा खतरा मुंबई को है. 2021 में इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज यानी IPCC ने एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के आधार पर नोएडा स्थित फर्म RMSI ने अनुमान लगाया था कि बढ़ते समुद्री जल स्तर की वजह से मुंबई, कोच्चि, मंगलौर, चेन्नई, विशाखापट्टनम और तिरुवनंतपुरम समेत कई शहर डूब सकते हैं.


भारत एक तरफ हिमालय और तीन तरफ से समुद्र से घिरा है. भारत के 13 राज्यों की सीमा समुद्र से लगी हुई है. इसमें आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, .केरल, कर्नाटक, उड़ीसा , तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार, दमण-दीव और लक्ष्यद्वीप है. ऐसे में आने वाले में भारत को बड़ा खतरा हो सकता है. 


IPCC ने ये भी चेताया था कि आने वाले दशकों में भारत को ज्यादा बार और हीट वेव, भारी बारिश और चक्रवातों का सामना करना पड़ेगा. समुद्र का जल स्तर बढ़ने की वजह से निचले तटीय इलाकों में बसे गांव और इलाके पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. पिछले दशकों में मुंबई में पहले ही भारी बारिश हो चुकी है. वहीं पश्चिम बंगाल भी दो चक्रवातों अम्फान और चक्रवात यास के बाद तबाही झेल चुका है.


बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में 41 गंभीर चक्रवाती तूफान और 21 चक्रवाती तूफान आए 


यूनेस्को विश्व विरासत के मुताबिक बंगाल की खाड़ी क्षेत्र  सुंदरबन भारत में सबसे ज्यादा जोखिम वाले क्षेत्रों में से एक है. 1891 और 2018 के बीच के आंकड़ों से पता चला है कि इस अवधि के दौरान बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में 41 गंभीर चक्रवाती तूफान और 21 चक्रवाती तूफान आए थे.  ये सभी घटनाएं मई महीने की हैं.


इस मुश्किल से निपटने का रास्ता


जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत ने साल 2008 में राष्ट्रीय कार्ययोजना की शुरुआत की. जिसका मकसद सरकार की अलग -अलग एजेंसियों, वैज्ञानिकों, उद्योग और आम जनता को जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाले खतरे और इससे मुकाबला करने के कोशिशों के बारे जागरुक करना है. 
इस कार्ययोजना में 8 मिशन शामिल हैं-



  • राष्ट्रीय सौर मिशन

  • विकसित ऊर्जा दक्षता के लिये राष्ट्रीय मिशन

  • राष्ट्रीय जल मिशन

  •  हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय मिशन

  • ग्रीन भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन

  • सुस्थिर कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन

  • जलवायु परिवर्तन की रणनीतिक पर राष्ट्रीय मिशन