राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू यादव के परिवार में एक बार फिर घमासान की खबरें आ रही हैं. लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने आरजेडी से इस्तीफे का एलान किया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि जल्द पिता से मिलकर अपना इस्तीफा दूंगा. तेज प्रताप का यह ट्वीट ऐसे समय पर आया है, जब कुछ दिन पहले उन्होंने राबड़ी देवी की इफ्तार पार्टी में बिहार में सियासी उलटफेर की बात तक कह डाली थी.
लेकिन तेज प्रताप यादव के इस्तीफे के एलान के पीछे वजह क्या है? दरअसल तेज प्रताप पर अपनी ही पार्टी के एक पदाधिकारी को पीटने का आरोप है. आरजेडी की युवा इकाई के पटना महानगर अध्यक्ष रामराज यादव ने आरोप लगाया है कि इफ्तार पार्टी के दौरान तेज प्रताप ने उन्हें पीटा. रामराज यादव ने यहां तक बताया, मुझे धमकी दी गई थी कि तुम तेजस्वी की पार्टी छोड़ दो. मुझे गर्दन पकड़कर पीटा गया. मेरी जान को खतरा है. हालांकि पहले भी लालू परिवार में तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव के बीच मतभेद की खबरें आई हैं.
आइए आपको राजनीति के कुछ ऐसे परिवारों से रूबरू कराते हैं, जहां भाई-बहन या भाई-भाई अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.
सिंधिया राजपरिवार: माधवराव सिंधिया, वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया का जन्म ग्वालियर के आखिरी शासक के घर हुआ. जब राजनीति में एंट्री की बात आई तो तीनों ने अलग-अलग रास्ते पकड़ लिए. जहां माधवराव ने कांग्रेस का दामन थामा तो वहीं यशोधरा और वसुंधरा एक ही राह पर चलीं और बीजेपी के कमल पर सवार हो गईं.
कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक रहे माधवराव सिंधिया की साल 2001 में प्लेन हादसे में मौत हो गई थी. उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया फिलहाल बीजेपी में हैं और सिविल एविएशन मिनिस्टर हैं.
वसुंधरा राजे सिंधिया दो बार (2003-2008, 2013-2018) राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. उनका राजनीतिक करियर साल 1985 में शुरू हुआ था, जब वह पहली बार राजस्थान में विधायक बनी थीं. साल 1989 में उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति का रुख किया और लोकसभा सीट जीती. साल 2003 में वह राजस्थान की सियासत में फिर लौटीं और बीजेपी के साथ सरकार बनाई.
सबसे छोटी यशोधरा राजे ने साल 1994 में राजनीति में कदम रखा था. बीजेपी के टिकट पर साल 1998 में उन्होंने मध्य प्रदेश से विधानसभा चुनाव लड़ा. साल 2003 में वह फिर जीतीं. 2018 में उन्होंने शिवपुरी सीट से कांग्रेस के सिद्धार्थ लाधा को मात दी थी.
उमर अब्दुल्ला-सारा पायलट: उमर अब्दुल्ला और सारा पायलट फारूक अब्दुल्ला के बच्चे हैं. उमर अब्दुल्ला जहां जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वहीं उनकी बहन सारा कांग्रेस नेता सचिन पायलट की पत्नी हैं. फारूक अब्दुल्ला के बड़े बेटे उमर साल 1998 में लोकसभा के सबसे युवा सदस्य थे. 12वीं लोकसभा उन्होंने 29 साल की उम्र में जॉइन की थी. साल 2002 में वह नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष बने. साल 2006 में इस इस पद के लिए दोबारा चुने गए. दूसरी ओर उनकी बहन सारा महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए काम करती हैं.
करुणानिधि ब्रदर्स: थोड़ा दक्षिण भारत की ओर चलें तो वहां की राजनीति में करुणानिधि ब्रदर्स (एमके स्टालिन और एमके मुत्थू) पॉपुलर हैं. दोनों द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) के दिवंगत अध्यक्ष एम करुणानिधि के बेटे हैं.
एमके मुत्थू बड़े बेटे हैं और स्टालिन के सौतेले भाई हैं. पहले करुणानिधि उन्हें ही अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे. लेकिन बाद में उनके पिता से कुछ मतभेद हो गए. इसके बाद उन्होंने अपना फैसला बदलकर एमके स्टालिन को उत्तराधिकारी घोषित कर लिया. वह फिलहाल तमिलनाडु के मुख्यमंत्री भी हैं. करुणानिधि की बेटी कनिमोझी ने भी अपने भाई स्टालिन के साथ राजनीति में कदम रथखा था. वह फिलहाल लोकसभा से सांसद हैं.
गांधी परिवार: राहुल गांधी और प्रियंका गांधी राजीव और सोनिया गांधी के बच्चे हैं. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी परिवार की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं. साल 2004 में राहुल ने राजनीति में कदम रखा था. जबकि प्रियंका गांधी ने 2019 में. यूथ कांग्रेस से शुरुआत करने वाले राहुल गांधी अमेठी से सांसद भी रह चुके हैं. 2019 में अमेठी से उन्हें हार नसीब हुई थी. जबकि केरल की वायनाड सीट से जीत मिली थी.
दूसरी ओर प्रियंका गांधी की शादी रॉबर्ट वाड्रा से हुई थी. साल 2019 से पहले उन्होंने कभी राजनीति में कदम नहीं रखा था. साल 2004 में उन्होंने अपने फैमिली कैंपेन को सुपरवाइज किया था. जनवरी 2019 में उन्हें कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश का इंचार्ज बनाया गया था. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने भाई राहुल के लिए कैंपेनिंग और रैलियों का आयोजन कराया था. वह 2022 चुनाव में यूपी कांग्रेस प्रभारी थीं.
यादव परिवार: बिहार के यादव परिवार से कौन वाकिफ नहीं है. इस परिवार के बच्चे भी राजनीति से अछूते नहीं रह पाए. लालू यादव और राबड़ी देवी के बच्चे तेज प्रताप यादव, तेजस्वी यादव और मीसा भारती राजनीति में हैं.
तेज प्रताप ने राजनीति 2015 में जॉइन की थी. 2015 में वह बिहार सरकार में पर्यावरण मंत्री बने थे. जबकि तेजस्वी यादव 2015-2017 तक बिहार के डिप्टी सीएम रह चुके हैं. वहीं मीसा भारती ने राजनीति में आने की कोशिश 2014 में की थी. हालांकि पाटलीपुत्र सीट से उन्हें जीत नहीं मिल पाई थी. साल 2016 में उन्हें पार्टी ने राज्यसभा भेजा था.
ये भी पढ़ें