मोस्ट मिस्टीरियस आरुषि मर्डर केस में तलवार दंपति बरी, जानें इस केस में कब क्या हुआ
शुरुआत में शक की सुई 45 साल घरेलू सहायक हेमराज की ओर घूमी थी क्योंकि घटना के बाद से वह लापता था. लेकिन दो दिन बाद हेमराज की लाश भी बिल्डिंग की छत से मिली थी.
नई दिल्ली: लंबे समय से चर्चा में रही आरुषि हत्याकांड में इलाहबाद हाईकोर्ट ने आरुषि के पिता राजेश तलवार और मां नुपुर तलवार को बरी कर दिया है. जस्टिस बीके नारायण और जस्टिस एके मिश्र की पीठ ने यह फैसला सुनाया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए राजेश तलवार और नुपुर तलवार को निर्दोष करार दिया. बता दें कि स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपति को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
मई 2008 में तलवार दंपति के नोएडा स्थित आवास पर उनकी बेटी आरुषि अपने कमरे में मृत मिली थीं. उसकी हत्या गला काटकर की गई थी. शुरुआत में शक की सुई 45 साल के घरेलू सहायक हेमराज की ओर घूमी थी क्योंकि घटना के बाद से वह लापता था. लेकिन दो दिन बाद हेमराज की लाश भी बिल्डिंग की छत से मिली थी.
आइए आपको बताते हैं कि इस मामले में कब क्या हुआ;
19 मई 2008 : तलवार के पूर्व घरेलू सहायक विष्णु शर्मा को संदिग्ध माना गया.
23 मई : आरुषि के पिता राजेश तलवार को मुख्य आरोपी बताकर गिरफ्तार किया गया.
01 जून : मामले की जांच सीबीआई ने अपने हाथों में ली.
13 जून : सीबीआई ने तलवार के घरेलू सहायक कृष्णा को गिरफ्तार किया.
26 जून : सीबीआई ने मामले को बिना सुराग वाला बताया . गाजियाबाद के स्पेशल मेजिस्ट्रेट ने राजेश तलवार को जमानत देने से इनकार कर दिया.
12 जुलाई : राजेश तलवार को जमानत दी गई.
29 दिसंबर: सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट जमा की, जिसमें घरेलू सहायकों को क्लीन चिट दिया गया लेकिन माता-पिता की तरफ ऊंगली उठाई.
9 फरवरी, 2011: कोर्ट ने सीबीआई रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए कहा कि वह आरुषि के माता-पिता पर लगाए गए हत्या और सबूत मिटाने के अभियोजन के आरोप को लेकर मामला जारी रखें.
21 फरवरी: तलवार दंपति ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से निचली अदालत की तरफ जारी किए गए सम्मन को खारिज करने के लिए संपर्क किया.
18 मार्च: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.
नवंबर, 2013: राजेश और नुपूर तलवार को दोहरी हत्या का दोषी करार देते हुए सीबीआई की एक विशेष अदालत ने गाजियाबाद में उन दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
7 सितंबर, 2017: इलाहाबाद हाई कोर्ट की पीठ ने माता-पिता की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा और 12 अक्तूबर को फैसले की तारीख दी.
12 अक्तूबर, 2017: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरुषि के माता-पिता को बरी किया.