नई दिल्ली : ईवीएम को लेकर राजनीतिक गलियारे में हंगामा बरपा हुआ है. हारने वाले राजनीतिक दलों को एक मौका मिल गया है हो जीतने वाली पार्टी अपनी दलील पेश कर रही है. इन सब के बीच चुनाव आयोग ने साफ तौर पर इन सभी आरोपों को नकार दिया है. आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए आयोग ने दावा किया है कि ईवीएम से छेड़खानी संभव नहीं है. आपको बताते हैं पूरा मामला है क्या ?


परिणाम आने के बाद ईवीएम को लेकर बवाल मचना शुरू हुआ था


दरअसल, पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद ईवीएम को लेकर बवाल मचना शुरू हुआ था. अप्रत्याशित ढंग से बीजेपी को यूपी चुनाव में सीटें मिली थी. इस चुनाव में बीजेपी के सामने खड़ी समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) बुरी तरह पराजित हुए थे. हार के बाद बसपा सुप्रीमों मायावती ने ईवीएम से छेड़खानी का मुद्दा मजबूती से उठाया था.


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मायावती ने इसे लेकर आंदोलन की चेतावनी भी दी थी


मायावती ने इसे लेकर आंदोलन की चेतावनी भी दी थी. इसके ठीक बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे को उठा लिया और हंगामा बढ़ने लगा. धीरे-धीरे कांग्रेस और बाद में समाजवादी पार्टी ने भी इनके सुर में सुर मिलाए. जबकि, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इन आरोपों को हास्यास्पद बताती रही है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका तक दायर कर दी गई है.


दावा किया था कि ईवीएम से छेड़खानी नहीं की जा सकती है


इनसब के बीच चुनाव आयोग ने मसले के उठते ही दावा किया था कि ईवीएम से छेड़खानी नहीं की जा सकती है. इस बीच आम आदमी पार्टी इस मामले को लेकर सबसे ज्यादा आक्रामक है. पार्टी की ओर से तो दिल्ली विधानसभा में ईवीएम छेड़छाड़ का 'डेमो' भी दे दिया गया. साथ ही पार्टी ने चुनाव आयोग को चुनौती भी दे दी है कि वह छेड़खानी साबित कर सकती है.


अध्यक्ष लालू प्रसाद का भी साथ केजरीवाल को मिला है


इस बीच ईवीएम टेंपरिंग के मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद का भी साथ केजरीवाल को मिला है. लालू ने कहा कि देश में ईवीएम के साथ छेड़छाड़ कर बहुत ही खतरनाक 'स्कैंडल' हुआ है. ममता बनर्जी भी ईवीएम पर विरोध जता चुकी हैं. साथ ही सन 2009 में आरोपों को हास्यास्पद बताने वाली बीजेपी ने भी इसका विरोध जताया था.


2019 के आम चुनाव वीवीपीएटटी मशानों से होंगे


हालांकि बीते 19 अप्रैल को ही, चुनाव आयोग ने साफ कर कर दिया था कि 2019 के आम चुनाव वीवीपीएटटी मशानों से होंगे. जिसमें मतदाता अपने वोट का प्रिंट भी देख सकेंगे जो कि एक बॉक्स में जमा होगा. इसके लिए केंद्र ने तीन हजार करोड़ रुपये देने की बात कही है. इसमें मतदान की विश्वसनीयता, मशीनी गणना और मतपर्ची दोनों से हो सकेगी.