जानिए- इंडियन रेलवे के ई-टिकटिंग सरगना हामिद अशरफ की चिट्ठी के पीछे की पूरी कहानी
डीजी अरुण कुमार ने बताया कि हामिद अशरफ 2015 के गोंडा हत्याकांड का आरोपी भी है. 2016 में उसे रेलवे टिकट की कालाबाजारी के आरोप में पकड़ा गया था.
नई दिल्ली: रेलवे टिकटिंग गैंग के सरगना हामिद अशरफ ने अपने WhataApp ब्रॉडकास्ट पर रेलवे सुरक्षा एजेंसियों और आरपीएफ डीजी को संबोधित करते हुए एक संदेश जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि रेलवे टिकटिंग सम्बंधी सिस्टम कमजोर है. उसने ये भी ऑफर किया है कि अगर आप मुझे दो लाख रूपए तनख्वाह दें तो मैं इस सिस्टम को ठीक कर दूंगा.
चार दिन पहले ही हुआ है इस गैंग का खुलासा
हाल ही में आरपीएफ ने इस गैंग का खुलासा करते हुए कहा था कि इस गैंग का सम्बन्ध अंतराष्ट्रीय टेरर फंडिंग से होने के सबूत मिल रहे हैं. आरपीएफ ने इस गैंग के दुबई स्थित सरगना हामिद अशरफ के बारे में जानकारी देते हुए बताया था कि इस गैंग के लिए भारत में काम कर रहा मुख्य अपराधी गुलाम मुस्तफा था जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है.
हामिद अशरफ ने खेला है इमोशनल दांव
आरपीएफ डीजी अरुण कुमार ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि हामिद अशरफ ने लिखा है कि मुझे एक एथिकल हैकर मान कर माफ कर दिया जाए. आतंकवाद से जुड़ने पर कोई मुझसे शादी नहीं करेगा. मैंने बहुत बार कहा कि सिस्टम में खामियां हैं पर किसी ने मेरी नहीं सुनी.
डर कर भी चालबाजी कर रहा है सरगना
दरअसल, आतंकवाद से रिश्ते सामने आ जाने के बाद एक तरफ तो गुलाम मुस्तफा को पता चल गया है कि जल्द ही वो भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के हाथों पकड़ा जाएगा. दूसरी ओर वो मासूम बनकर रेलवे सिस्टम की खामियों की बात करके अपने प्रति सहानुभूति इकट्ठा करना चाहता है. लेकिन दरअसल उसकी नजर अपने काले कारोबार को बचाने पर है. उसकी असली मंशा रेलवे के सिस्टम को और कमजोर करने की है. क्योंकि जितना ही रेलवे का सिस्टम मजबूत होगा उतना ही इस गैंग का काला कारोबार चौपट होगा.
सुरक्षा एजेंसियां ऐसे झांसे में नहीं आतीं
आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां अपराधियों के ऐसे हथकंडों को जानती हैं और इससे जांच पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इस गैंग से जो पैसा जनरेट हो रहा है वो टेरर फंडिंग में जा रहा है. ये शक सुरक्षा एजेंसियों को है. उन्होंने कहा कि हामिद अशरफ ने मुझे कोई ई-मेल या डायरेक्ट मेसेज नहीं किया बल्कि अपने ब्रॉडकास्ट सिस्टम पर ये मेसेज इसलिए डाला क्योंकि वो मीडिया के द्वारा जानता है कि हम उसे पढ़ रहे हैं. अब उसने ये ब्रॉडकास्ट सिस्टम भी बंद कर दिया है.
सुरक्षा एजेंसियों की आंखों में धूल झोंकना चाहता है हामिद अशरफ
हामिद अशरफ की दो लाख तनख्वाह पर काम करने की बात दरअसल उसके शातिर अपराधी होने की ओर ही ईशारा करती है. क्योंकि हामिद अशरफ के अधीन काम करने वाले गुलाम मुस्तफा की ही महीने की कमाई 15 करोड़ रूपए है.
रेलवे की कमाई पर है नजर
रेलवे की ई-टिकटिंग सेवा से प्रतिदिन 9 लाख टिकट बुक होते हैं. करीब 36 हजार करोड़ सालाना सिर्फ ई-टिकटिंग से रेलवे को आमदनी होती है. इसमें काउंटर सर्विस भी मिला दी जाए तो रेलवे को सालाना करीब 55 करोड़ रूपए की आमदनी होती है. हामिद अशरफ गैंग की नजर इसी बड़े बाजार में कालाबाजारी करके सेंध लगाने पर है.
कमजोर नहीं है रेलवे का ई-टिकटिंग सिस्टम
ई-टिकटिंग सरगना हामिद अशरफ का रेलवे टिकटिंग प्रणाली को कमजोर बताना उसकी हताशा को जाहिर करता है. क्रिस के मुताबिक किसी भी ऑनलाइन व्यापारिक सिस्टम के समक्ष हैकिंग की थ्रेट हमेशा बनी रहती है और टेक्नोलॉजी के विकास के साथ इसे लगातार अपडेट करने की जरूरत बनी रहती है. जो रेलवे सिस्टम में भी की जाती है.
गूगल वी-3 कोड से परेशान था गैंग
हाल ही में हामिद अशरफ ने अपने लोगों को लिखा था कि रेलवे ने गूगल वी-3 लगा दिया है जिसके कारण फर्जी टिकट निकालने में दिक्कत हो रही है. आप लोग (बीस हजार टिकट एजेंट) रेलवे को फोन और सोशल मीडिया के माध्यम से कहिए कि आपका सिस्टम धीमें चल रहा है और यात्रियों को दिक्कत हो रही है. जनता का दबाव पड़ने पर रेलवे गूगल वी-3 हटा लेगा तो फर्जी टिकट फटाफट निकालने में सुविधा रहेगी.
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