नई दिल्ली: अमरनाथ यात्रा शुरू हो गई है. हर साल ये यात्रा काफी चर्चा में रहती है. हिन्दू धर्म में इस यात्रा का काफी महत्व है. माना जाता है कि इस यात्रा को जो लोग करते हैं उन्हें 23 तीर्थों का पुण्य मिलता है.


मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव ने मां पार्वती को एक कहानी या मंत्र सुनाया था. यह कहानी/मंत्र अमरता प्रदान करने वाला था. भगवान शिव नहीं चाहते थे कि कोई इस कहानी को सुने इसलिए उन्होंने एक जगह चुनी और उस ओर चल पड़े.


रास्ते में उन्होंने अपना बैल नंदी, अपने सर्प, अपना चांद, पुत्र गणेश समेत सब कुछ त्याग दिया. उन्होंने पंचतत्वों का भी त्याग कर दिया.


वे नहीं चाहते थे कि कोई प्राणी इस राज को जाने अन्यथा प्रकृति का संतुलन बिगड़ सकता है. शिव, मां पार्वती के साथ अमरनाथ गुफा पहुंचे और कथा सुनाई. हालांकि भगवान शिव ने ये सुनिश्चित किया था कि वहां कोई नहीं था लेकिन फिर भी वहां एक पक्षी (शुक) था जो उनकी बातों को गौर से सुन रहा था.


शिव ने पार्वती से कहा कि वे बीच बीच में हुंकार भरती रहें ताकि शिव कथा अनवरत सुनाते रहें. लेकिन पार्वती को बीच कथा में ही नींद आ गई लेकिन शुक पक्षी हुंकार भरता रहा. थोड़ी देर में शिव को अंदाजा हो गया कि कोई और हुंकार दे रहा है.


शिव उस पक्षी को मारने के लिए उसके पीछे गए तो वह पक्षी जो अब बेहद ज्ञानी हो चुका था वह माया के बल पर व्यास जी की पत्नी के गर्भ में चला गया. 12 साल तक जन्म नहीं हुआ तो भगवान विष्णु ने उन्हें बाहर आने को कहा. इसके बाद वह पक्षी शुकदेव के रूप में पैदा हुए और सन्यासी बन गए.


अक्सर अमरनाथ गुफा में एक कबूतरों का जोड़ा भी दिखाई देता है. माना जाता है कि ये कबूतर भी अमर हैं. कोई इन्हें शिव का गण बताता है तो किसी का मानना है कि इन्होंने भी अमरकथा सुनी है. हैरानी इस बात की है कि दूर-दूर तक बर्फ और ठंड का मौसम होता है. कोई पशु-पक्षी दिखाई नहीं देता लेकिन ये जोड़ा वहां अक्सर होता है.


हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक इस गुफा में आने वाले लोगों को मृत्यु का भय नहीं रहता और मोक्ष की प्राप्ति होती है.