भारत दुनिया में अपनी धाक जमाने में कामयाब हो रहा है. इंडोनेशिया के बाली में जी-20 देशों के सम्मेलन में ग्रुप ऑफ ट्ववेंटी (Group Of 20) यानी जी-20 सम्मेलन 2023 की अध्यक्षता की अगुवाई देश करने जा रहा है. इसके साथ ही साफ हो गया है कि दुनिया भारत की आवाज केवल सुनती ही नहीं बल्कि उस पर अमल भी करती है. इसका सबूत है जी-20 नेताओं के बुधवार को यूक्रेन युद्ध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश को स्वीकार करना है.
इस सम्मेलन के संयुक्त घोषणापत्र में पीएम मोदी शांति संदेश को आधार बना कर कहा गया, "आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए". बाली द्वीप पर दुनिया भर के प्रभावी नेता इस सम्मेलन के लिए जुटे थे. यहां प्रधानमंत्री मोदी ने देश का प्रतिनिधित्व मौजूदा हालातों में इस तरह से किया कि 19 देशों और यूरोपियन यूनियन का ये मंच राजनीतिक मतभेदों पर भी संघर्ष से बचा रहा. भू-राजनीतिक तनाव से जूझ रही दुनिया में भारत की क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए पीएम मोदी ने बाली में कोई कसर नहीं छोड़ी. दो दिनों तक चले इस सम्मेलन से भारत के लिए पीएम कई सौगातें लेकर आए हैं.
(फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के संग मुलाकात करते पीएम मोदी)
जी-20 में भारतीय प्रधानमंत्री का संदेश बना संकल्प
इस बार बाली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की राह इतनी आसान भी नहीं थी. इस मंच पर रूस- यूक्रेन जंग पर सदस्य देश दो भागों में बंटे थे. उधर दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 महामारी से निपटने की जवाबदेहियां मुंह बाएं खड़ीं थीं. वहीं बुधवार 17 नवंबर को नाटो के सदस्य देश पोलैंड में एक मिसाइल गिरने से मामला और संजीदा हो गया था.
सबसे अहम था इस मंच पर मौजूद रूस और अमेरिका के बीच संतुलन साधना था. इस मुद्दे पर ऐसे समाधान और सहमति की जरूरत थी, जिसके कि रूस-यूक्रेन युद्ध से तनातनी के रिश्ते में बीच का रास्ता निकाला जाए और पीएम मोदी ने ये कर दिखाया. G-20 में पुतिन के लिए मोदी के संदेश को अहम माना गया. 45 घंटों के दौरान पीएम मोदी ने मंच पर मौजूद शायद ही कोई नेता छोड़ा हो जिससे वो न मिले हों.
इस सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की. इसके बाद पीएम मोदी शी जिनपिंग से मिले और उन्होंने जी-20 साल 2023 की अध्यक्षता की प्राथमिकताओं को लेकर वैश्विक नेताओं से बात की. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो से जी-20 की अध्यक्षता लेने के बाद भारत ने साफ संदेश दिया कि बुद्ध और गांधी की जमीं पर होने वाला जी-20 सम्मेलन दुनिया को अमन का संदेश देगा.
(विश्व बैंक अध्यक्ष डेविड आर मलपास के साथ मुलाकात करते पीएम नरेंद्र मोदी)
शांति का संदेश पर ऊर्जा जरूरतों पर समझौता नहीं
पीएम मोदी की युद्ध नहीं शांति की बात जी-20 बाली शिखर सम्मेलन में भले ही सर्वसम्मति से अपनाई गई हो, लेकिन ये मंच रूस- यूक्रेन पर गंभीर मतभेदों को दूर करने में कामयाब नहीं हो पाया. यहां ये बात गौर करने वाली है कि इसके बाद भी भारत इस सम्मेलन में छाया रहा. जैसे ही भारत ने इंडोनेशिया से ग्रुप ऑफ़ ट्ववेंटी की अध्यक्षता ली, पीएम मोदी ने बाली में भू-राजनीतिक तनाव से जूझ रही दुनिया में भारत की क्षमताओं को प्रदर्शित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
उन्होंने देश को "लोकतंत्र की मां" करार दिया और प्रमुख राष्ट्रों को आश्वासन दिया कि भारत की G20 अध्यक्षता निर्णायक और कामों को आगे बढ़ाने वाली होगी. इस मंच पर जहां यूक्रेन वॉर को लेकर रूस को लेकर नकारात्मकता भरा माहौल रहा तो वहीं भारत ने बड़े सधे शब्दों में ये कहा कि रूस- यूक्रेन के मुद्दे को सुलझाने के लिए कूटनीतिक समाधान ही रास्ता है.
भारत ने साफ किया रूस उसका पुराना दोस्त रहा है और वो पश्चिमी देशों के रूस के तेल और गैस के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों को समर्थन नहीं देगा. यहीं नहीं जब सभी देश रूस पर निशाना साध रहे थे और यूक्रेनी राष्ट्रपति बार-बार जी-20 को जी-19 कह रहे थे. तब भारत ने इस मंच को इस मुद्दे पर बंटने नहीं दिया.
जी-7 के सदस्य रूस के यूक्रेन हमले को मुद्दा बनाना चाह रहे थे. इस से जी-20 के घोषणापत्र पर आम राय नहीं बन पा रही थी. भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा की माने तो भारत ने जी20 घोषणापत्र पर आम राय बनाने में अहम भूमिका निभाई. नतीजन मंच में शामिल देश यूक्रेन-रूस पर खेमेबाजी की जगह भारत के अमन के संदेश पर सहमत हो गए और मोदी को पुतिन को दी गई राय जी-20 घोषणापत्र में अहम बनी.
(इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो से हाथ मिलाते भारत के प्रधानमंत्री पीएम मोदी)
वैश्विक नेतृत्व का बना अगुवा भारत
जानकार लोगों का कहना है कि इस मंच पर भारत अपने सकारात्मक और रचनात्मक नजरिए के जरिए एक समाधान सुझाने वाला और आम सहमति बनाने वाले वैश्विक नेतृत्व करने वाले देश के तौर पर उभरा है. जिसने रूस और अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों के बीच की खाई को पाटने में मदद की.
यही वजह रही कि जी-20 नेताओं ने बुधवार को यूक्रेन युद्ध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश को स्वीकार किया. दरअसल सितंबर में, मोदी ने उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग परिषद (एससीओ) के मौके पर अपनी द्विपक्षीय बैठक के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि "आज का युग युद्ध का नहीं है".
पश्चिम देशों ने मोदी के इस बयान को बेहद सराहा था. बाली में जी-20 के नेताओं ने यूक्रेन संघर्ष को तुरंत खत्म करने का आह्वान किया. जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषणापत्र में कहा गया है, "संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान, संकटों को दूर करने की कोशिशों के साथ ही कूटनीति और महत्वपूर्ण संवाद का हैं.
आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए." जी-20 के संयुक्त बयान में कहा गया है, "शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाले अंतरराष्ट्रीय कानून और बहुपक्षीय प्रणाली को कायम रखना जरूरी है. परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी का इस्तेमाल सही नहीं है."
दुनिया की शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव
गौरतलब है कि जी-20 का मंच कोई साधारण मंच नहीं है. यह दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद के 85 फीसदी तो व्यापार में 75 फीसदी से अधिक का नुमाइंदगी करता है विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी इस समूह में है. इसी मंच पर दुनिया की दो ताकतवर अर्थव्यवस्थाओं के प्रमुखों ने एक-दूसरे से मुलाकात की.
इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जी-20 के इतर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले, दोनों देशों के नेताओं के तौर ये उनकी पहली आमने-सामने की बातचीत रही. दोनों राष्ट्रपतियों ने लगभग तीन घंटे तक बात की. दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण होने के बीच इस बातचीत को इन्हें सुधारने के कदम की तरह देखा जा रहा है. दोनों नेताओं की बातों में ताइवान का दबदबा रहा. दोनों नेताओं ने ताइवान जलडमरूमध्य में "शांति और स्थिरता" लाने को कहा है.
संयुक्त राज्य अमेरिका में मध्यावधि चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन के बाद जो बाइडेन के मजबूत होने और शी के तीसरी बार चीन के सर्वोच्च नेता चुने जाने के बाद, दोनों व्यक्ति पहले की तुलना में मजबूत बातचीत की स्थिति में हैं. इस दौरान पीएम मोदी ने शी जिनपिंग से मुलाकात की गलवान पर चल रहे विवाद के बाद इस मुलाकात भी कई मतलब निकाले जा रहे हैं.
(जी-20 शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं से मुलाकात करते पीएम मोदी)
यह शायद शिखर सम्मेलन की सबसे शानदार तस्वीरों में थी. जब शी जिनपिंग और मोदी जी-20 के मंच पर मिले थे. क्योंकि ये दो नेता 2014 और 2019 के बीच कम से कम 18 बार मिले थे. इस बार ये दो साल के बाद मिले थे. 2020 में भारत-चीन सीमा गतिरोध शुरू होने के बाद से सार्वजनिक रूप से अपनी पहली बैठक में, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी ने हाथ मिलाया और एक-दूसरे से बात की.
हालांकि शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज में कैमरों में कैद हुई इन तस्वीरों में की गई बातचीत का कोई ठोस विवरण नहीं था. सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं ने "रात्रिभोज के समापन पर शिष्टाचारवश एक दूसरे से मिले थे. आखिरी बार मोदी और शी को सार्वजनिक तौर पर बातचीत करते हुए नवंबर 2019 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर ब्राजील में देखा गया था.
अक्टूबर 2019 में, शी ने महाबलीपुरम में एक अनौपचारिक सम्मेलन के लिए भारत का दौरा किया. इस साल सितंबर में, दोनों नेताओं ने उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लिया, लेकिन तब उनके बीच बैठक के बारे में कोई तस्वीर या बयान नहीं था.
पहली बार अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन
भारत को जी 20 की अध्यक्षता मिली है. 1 दिसंबर 2022 से भारत आधिकारिक तौर पर अध्यक्षता संभालेगा. देश पहली बार इस पैमाने का अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन आयोजित कर रहा है. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने समूह के अगले अध्यक्ष के रूप में भारतीय प्रधानमंत्री को इसकी जिम्मेदारी सौंपी.
नई दिल्ली 9 और 10 सितंबर, 2023 को शिखर सम्मेलन के लिए G20 नेताओं की मेजबानी करेगा. पीएम मोदी ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता के दौरान पर्यावरण, महिलाओं के नेतृत्व में विकास, शांति और सुरक्षा, आर्थिक विकास, तकनीकी नवाचार प्राथमिकताएं होंगी. उन्होंने कहा कि भारत इसे "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" की तरह लेकर चल रहा है.
इससे पहले, मोदी ने 15 नवंबर को कहा था कि कोविड महामारी, जलवायु परिवर्तन और यूक्रेन संघर्ष ने मिलकर "दुनिया में कहर" पैदा किया है. इससे आपूर्ति चेन बर्बाद हो गई है और " जरूरी चीजों का संकट" पैदा हो गया है. पीएम मोदी ने ये भी कहा कि गरीबों को अधिक गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने इससे निपटने के लिए कोविड महामारी के बाद विश्व को नए तरीके काम करने की सलाह दी.
(पीएम मोदी इटली की पीएम जियोर्जिया मेलोनी के संग )
गर्मजोशी से बनाए रिश्ते
जी-20 शिखर सम्मेलन मंच का इस्तेमाल भारत ने वैश्विक रिश्तों को बढ़ाने के तौर पर किया. पीएम मोदी ने इन संबंधों की अहमियत बखूबी समझते है. यही वजह रही कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गर्मजोशी से मिले तो दुनिया के अन्य नेताओं के साथ भी उन्होंने मुलाकाते कीं.
इन मुलाकातों के दौरान अमेरिका संग नई तकनीकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तो जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज के संग आर्थिक और रक्षा जैसे क्षेत्रों में साझेदारी पर बात हुई. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से हुई बातचीत में रक्षा, परमाणु ऊर्जा, व्यापार, खाद्य सुरक्षा के मुद्दे अहम रहे तो ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक से भी मोदी की मुलाकात में गर्मजोशी देखी गई.
इन रिश्तों को पुख्ता करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कई देशों के नेताओं भारत की सांस्कृतिक विरासत को साझा करते उपहार भी दिए. मोदी बाली में प्रवासी भारतीयों से मिलना भी नहीं भूले. उन्होंने इस देश में बसे भारतीय मूल के लोगों को साल 2023 में जनवरी में होने जा रहे प्रवासी भारतीय दिवस आने का न्योता भी दिया.