G20 Kashmir Meeting: कश्मीर G20 की बैठक के लिए तैयार है. श्रीनगर की डल झील पर बने शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (SKICC) को 25 देशों से आने वाले 60 से ज्यादा प्रतिनिधियों और 100 के करीब टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के स्वागत के लिए सजा दिया गया है.


यहां आतंकी हमले के खतरे के चलते सुरक्षा काफी सख्त की गयी है. SKICC की तरफ आने-जाने वाली दोनों सड़कों को अगले दो दिन तक आम ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया गया है जबकि प्रतिनिधियों (Delegates) की बड़ी संख्या के चलते गुलमर्ग और कई और जगहों पर जाने के कार्यक्रमों को रद्द करना पड़ा है. 


OIC से जुड़े कई देश शामिल होंगे
G20 के कोऑर्डिनेटर हर्षवर्धन सिंगला के अनुसार कुछ देशों के बैठक में शामिल नहीं होने के बावजूद भी यह G20 की सबसे बड़ी बैठक होगी. इससे कश्मीर के बारे में चलाए जाने वाले दुष्प्रचार को भी दूर करने में मदद मिलेगी क्योंकि इस बैठक में OIC से जुड़े कई देश भी शामिल हो रहे हैं. 


कश्मीर में हुए विकास की झांकी 
वहीं, जम्मू-कश्मीर प्रशासन भी इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए पिछले कुछ सालों में कश्मीर में हुए विकास की झांकी प्रतिनिधियों के सामने रखेगा. इस कार्यक्रम में जहां देश-दुनिया में पर्यटन की नई नीति तैयार होगी तो वहीं जम्मू-कश्मीर के ग्रामीण आजीविका मिशन (Rural Livelihood Mission) के अंदर पिछले तीन वर्षों में नई उद्यमियां बनी महिलाओं की ओर से तैयार सामान की प्रदर्शनी रखी गई है. 


क्राफ्ट बाजार का भी आयोजन
कश्मीर के हैंडीक्राफ्ट्स पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है इसलिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने G20 बैठक में एक बड़े क्राफ्ट बाजार का भी आयोजन किया है. यहां न सिर्फ जम्मू-कश्मीर के हैंडीक्राफ्ट्स की प्रदर्शनी रखी गई है, बल्कि यह हस्तकला कैसे तैयार होती है, इसका भी इंतजाम किया गया है. यहां शाल और कालीन के साथ-साथ पेपर MACHIE और तांबे का सामान भी रखा गया है.


G20 में आने वाले मेहमान 22 मई की सुबह दिल्ली से एक विशेष विमान में कश्मीर पहुंचेगे, जिसके बाद दिनभर ईको-टूरिज्म पर बैठक होगी. 23 मई को फिल्म टूरिज्म पर बैठक होगी. बैठक के बाद पर्यटन मंत्रियों की होने वाली आखिरी बैठक के लिए फाइनल वाइट पेपर तैयार होगा जो इस साल के अंत में होगी. G20 की अध्यक्षता मिलने के बाद से भारत में अभी तक 146 बैठकें हो चुकी हैं. कश्मीर में होने वाली यह बैठक न सिर्फ सबसे बड़ी होगी, इसके साथ-साथ कश्मीर के बारे में दुनियाभर में फैलाए जाने वाले दुष्प्रचार को खत्म करने में मदद मिलेगी. 


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