G20 Meeting: 'फेल हुई ग्लोबल गवर्नेंस... संकट में है बहुपक्षवाद', जी20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में बोले पीएम मोदी, जानें बड़ी बातें
PM Modi: प्रधानमंत्री मोदी ने जी20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में कई अहम मुद्दों पर अपनी बात रखी. बैठक में उन्होंने युद्ध, फूड सिक्योरिटी, क्लाइमेट चेंज और आतंकवाद के मुद्दे पर चिंता जाहिर की.
PM Modi In G20 Meeting: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (2 मार्च) को जी20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब दुनिया विभिन्न मुद्दों पर व्यापक स्तर पर बंटी हुई है. पीएम मोदी ने कहा, "जी20 की भारत की अध्यक्षता में 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' का विषय दर्शाता है कि मुद्दों पर एकजुटता और संयुक्त कार्रवाई की जरूरत है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक को संबोधित करते हुए आगे कहा, "ग्लोबल गवर्नेंस विफल हो गया है और बहुपक्षवाद संकट में है." प्रधानमंत्री ने रहा कि विश्व जी20 से वृद्धि, विकास, वित्तीय स्थिरता और खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा के समक्ष मौजूद चुनौतियों को कम करने की उम्मीद करता है.
'समावेशी विकास के साथ आगे बढ़ना होगा'
पीएम मोदी ने कहा कि हम जिन मुद्दों को हल नहीं कर सकते, उन्हें उन मामलों के आड़े नहीं आने देने चाहिए, जिनका समाधान हम निकाल सकते हैं. उन्होंने कहा कि हमें समवेशी विकास के साथ आगे बढ़ना होगा. पीएम ने कहा, "भ्रष्टाचार, आतंकवाद, फूड सिक्योरिटी में एक सहमति होनी चाहिए और सभी को साथ में मिलकर लड़ना होगा."
'हमारी उन देशों के प्रति भी जिम्मेदारी बनती है, जो...'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के अनुभव-वित्तीय संकट, वैश्विक महामारी, आतंकवाद और युद्ध दिखाता है कि वैश्विक शासन प्रणाली अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रही है. उन्होंने ये भी कहा कि भू-राजनीतिक तनाव को कैसे कम किया जाए, इसे लेकर हम सभी का अपना रुख और नजरिया है. विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाएं होने के नाते, हमारी उन देशों के प्रति भी जिम्मेदारी बनती है, जो इस कक्ष में मौजूद नहीं हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर क्या बोले?
बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आज के हमारे एजेंडे में खाद्य, उर्वरक और ईंधन सुरक्षा की चुनौतियां पर चर्चा शामिल हैं. ये वास्तव में विकासशील देशों के बनने या टूटने के मुद्दे हैं. उन्होंने कहा, "...लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं, ये भौतिक नहीं हुए हैं. कारण भी गुप्त नहीं हैं. जितनी देर हम इसे टालते रहेंगे, बहुपक्षवाद की विश्वसनीयता उतनी ही क्षीण होती जाएगी. वैश्विक निर्णय लेने का लोकतांत्रीकरण होना चाहिए, अगर इसका भविष्य होना है."