G20 Summit 2023 Live : जी-20 शिखर सम्मेलन में बेशक चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग नहीं शामिल हुए हैं, लेकिन उनकी जगह चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग इस कार्यक्रम में मौजूद हैं. चीनी प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच बेहतर रिश्ते बनाने की कोशिश की. ली कियांग ने मेलोनी से वादा किया कि इटली चीन में निवेश और व्यापार करे. उसे इसके लिए निष्पक्ष और न्यायसंगत माहौल दिया जाएगा.


चीनी पीएम ने यह मीटिंग ऐसे समय की है जब दोनों देशों के बीच व्यापार के मोर्चे पर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. द चाइना प्रोजेक्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इटली ने हाल ही में चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट से बाहर निकलने के संकेत दिए थे. इटली ने ये भी कहा था कि चीन के अरबों डॉलर के बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट से उसे कोई फायदा नहीं पहुंचा है. तब से ही चीन इटली को मनाने में लगा हुआ है.


इस वजह से हटना चाहता है इटली


5 सितंबर को इटली के विदेश मंत्री एंटोनियो तजानी ने बीजिंग का दौरा किया था. उन्होंने भी बीआरआई प्रोजेक्ट की आलोचना की थी और कहा था कि यह "हमारी अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं लाया." अब अगर इटली इससे बाहर निकलता है तो चीन को इससे बड़ा झटका लगेगा. उसकी यह परियोजना लटक सकती है.


क्या है BRI प्रोजेक्ट


BRI  एशिया, यूरोप और अफ्रीका के बीच जमीन और समुद्र क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए चीन की तरफ से शुरू किया गया प्रोजेक्ट है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इसे 2013 में प्लान किया था. BRI को 'सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट’ और 21वीं सदी की सामुद्रिक सिल्क रोड के रूप में भी जाना जाता है. इसका लक्ष्य चीन को सड़क, रेल एवं जलमार्गों के जरिये यूरोप, अफ्रीका और एशिया से जोड़ना है. एक्सपर्ट बताते हैं कि यह प्रोजेक्ट विश्व की 70% जनसंख्या और 75% ज्ञात ऊर्जा भंडारों को समेटने वाला है और यह चीन के उत्पादन केंद्रों को वैश्विक बाज़ारों एवं प्राकृतिक संसाधन केंद्रों से जोड़ेगा. BRI के तहत पहला रूट चीन से शुरू होकर रूस और ईरान होते हुए इराक तक ले जाने का है. इसका दूसरा रूट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से श्रीलंका और इंडोनेशिया होकर इराक तक ले जाने का है.


भारत ने चीन की उड़ाई नींद


इटली के इस झटके से चीन अभी उबरने की कोशिश कर रहा था कि इसी बीच भारत ने जी20 में ही उसकी परेशानी बढ़ा दी है. दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा शुरू करने का ऐलान किया. इसमें भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका शामिल हैं. इससे इन देशों के बीच विकास और कनेक्टिविटी को रफ्तार मिलेगी. इसी से चीन परेशान हो उठा है.


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