(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'मार्टिन, सागर और...', जिन होटलों में रुके थे जो बाइडेन और ऋषि सुनक उनका था कोड नेम, भारत मंडपम का भी था खास नाम
G20 Summit India: नई दिल्ली में 9-10 सितंबर को आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में 31 देशों और संगठनों के नेता पहुंचे थे. इनकी सुरक्षा के लिए खास प्लान बनाया गया था.
G20 Summit In Delhi: देश की राजधानी में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने आए अलग-अलग देशों के राष्ट्राध्यक्षों के लिए दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के बेहद पुख्ता इंतजाम किए थे. दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि इन विदेशी मेहमानों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती थी, लिहाजा पुलिस ने इन सभी के लिए अलग-अलग कोड वर्ड बनाए थे.
विदेशी मेहमान जिस-जिस होटल में रुके, हर एक होटल को दिल्ली पुलिस ने एक अलग कोड नेम दिया था. पुलिस के सूत्रों का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया था कि अगर कोई वायरलेस सेट पर उनके आने-जाने की जानकारी के बारे में सुन भी ले तो उसको इस बारे में कोई भनक भी ना लगे कि कौन वीवीआईपी किस रास्ते से कहां जा रहा है. अब आपको उनमें से कुछ कोड नेम के बारे में बताते हैं जो दिल्ली पुलिस की तरफ से दिए गए थे.
क्या दिए गए थे कोड वर्ड?
दिल्ली पुलिस ने होटल ताज को तुलिप नाम दिया गया था. जो बाइडेन के होटल आईटीसी मौर्य का नाम 'मार्टिन' था. ऋषि सुनक के होटल शंगरीला का नाम 'सागर' और राजघाट को 'रूद्रपुर' नाम दिया गया था. इतना ही नहीं, जिस भारत मंडपम में जी-20 सम्मेलन आयोजित हुआ था, उसका भी कोड नेम था. भारत मंडपम को 'निकेतन' कहा गया था.
होटल ली मेरिडियन को लेज़र और होटल लीला को 'लोटस' कोड नेम दिया गया था. इसी तरह 16 होटल को कोड नेम दिए गए, ताकि सिक्योरिटी के लिहाज से कोई कंफ्यूजन न हो, साथ ही वायरलेस पर चल रहे मैसेज से किसी को किसी भी राष्ट्राध्यक्ष की भनक न लग सके.
एबीपी न्यूज को दी एक्सक्लूसिव जानकारी
डीपीसी कम्युनिकेशन सत्यवान गौतम ने एबीपी न्यूज़ को एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि G-20 सम्मेलन की तैयारी काफी पहले ही शुरू कर दी गई थी और उसी हिसाब से एक वायरलेस नेटवर्क तैयार किया गया था. 31 देश के प्रमुख नेताओं के लिए जो वायरलेस नेटवर्क तैयार किया गया था उसको नाम दिया गया था 'समिट नेट 1'. इसके अलावा राष्ट्राध्यक्षों की पत्नी, मिनिस्टर्स और जो बाकी के डेलिगेशन थे उनके लिए जो दूसरा नेटवर्क तैयार किया गया था उसका नाम था 'समिट नेट 2'.
डीसीपी कम्युनिकेशन ने बताया कि "हमने समिट नेट 1 पर हेड ऑफ स्टेट को मैनेज किया और समिट नेट 2 के ऊपर हमने जो मिनिस्टर और डेलिगेट्स थे, उनको हैंडल किया ताकि ट्रैफिक की कंजक्शन ना हो. इस तरह से हमें एक अच्छी बड़ी कामयाबी मिली और नेटवर्क में किसी भी तरह का कोई कंजक्शन नहीं हुआ.
पुलिस ने अलावा बापूधाम पर स्थित सिक्योरिटी कंट्रोल रूम की मदद से सभी मूवमेंट को मैनेज किया था. इस कंट्रोल रूम का नाम ब्रेव 50 रखा गया था.
राष्ट्राध्यक्षों के लिए भी था कोड नेम
डीसीपी कम्युनिकेशन सत्यवान गौतम के मुताबिक 31 देशों और संगठनों के जो प्रमुख थे, उन सभी के लिए भी एक कोड नाम था जो रेनबो 1 से लेकर रेनबो 31 तक था. कंट्रोल रूम स्टाफ को पूरी जानकारी थी कि R1 कौन है और आर2 कौन है. इससे पता चल जाता था कि कौन सा कोड किस पोजीशन पर है. प्रोटोकॉल के मुताबिक ये पहले से ही पता होता है कि कौन किस क्रम में आएगा, उसी के मुताबिक स्पीड एडजस्ट करवाई गई.
पुलिसकर्मियों को 48 घंटे का रेस्ट
G-20 समिट के सफलतापूर्वक समापन के बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने उन सभी पुलिसकर्मियों को 48 घंटे का रेस्ट देने का एक आर्डर पास किया है, जो जी-20 सम्मेलन के दौरान ड्यूटी पर थे.
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