G20 Summit In Delhi: दिल्ली में 9 से 10 सितम्बर को होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन के लिए विश्व के दिग्गज भारत पहुंच रहे हैं. दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में विश्व नेता जलवायु परिवर्तन, भू-राजनीति और बहुपक्षीय सहयोग सहित वैश्विक विकास की चुनौतियों पर चर्चा करेंगे. भारत इस बार शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है.
20 सदस्य देशों वाले इस समूह में कई विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं, जिसमें भारत एक प्रमुख और स्थायी सदस्य है. इसकी जनसंख्या इसे खास बनाती है, लेकिन विकास के कई अन्य मानकों पर यह अपने जी20 साथियों के बराबर नहीं है. आइए जानते हैं कि जी20 के सदस्य विभिन्न मानकों पर कैसे एक दूसरे के साथ बने हुए हैं.
जनसंख्या
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल की शुरुआत में भारत चीन को पछाड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया. फिलहाल जी20 की बात करें तो 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत और चीन प्रत्येक के पास G20 सदस्यों की कुल आबादी का एक चौथाई से अधिक हिस्सा है. आबादी के लिहाज से तीसरे नंबर पर यूरोपीय संघ है, जिसके पास जी20 देशों की कुल आबादी का 9 प्रतिशत है.
दिलचस्प बात ये है कि भारत की आबादी 2050 तक 140 से बढ़कर 170 करोड़ होने का अनुमान है. वहीं, जी20 के अधिकांश दूसरे सदस्य या तो पहले से ही आबादी में कमी देख रहे हैं या अगले कुछ दशकों में इसमें कमी की संभावना है. हालांकि, भारत की बढ़ती आबादी दुनिया की सबसे युवा आबादी में से एक है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, G20 सदस्यों में, भारत के पास सबसे सबसे बड़ी ग्रामीण आबादी (64%) है. इसके बाद इंडोनेशिया (42.1%) है. अर्जेंटीना में सबसे छोटी ग्रामीण आबादी (7.7%) है. साथ ही 470 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी के साथ भारत का जनसंख्या घनत्व दूसरा सबसे अधिक है. 531 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी के साथ केवल दक्षिण कोरिया इससे आगे है.
अर्थव्यवस्था
विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, खरीदारी क्षमता के संदर्भ में भारत G20 में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. जीडीपी के लिहाज से भारत समूह की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन सदस्य देशों में भारत की प्रति व्यक्ति आय अभी भी सबसे कम है. चीन की प्रति व्यक्ति आय भारत से दोगुनी से अधिक है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय भारत से नौ गुना से अधिक है.
2022 में भारत की जीडीपी वृद्धि 7% रही, जो सऊदी अरब 8.7% के बाद जी20 सदस्यों में सबसे अधिक है. वहीं, चीन की विकास दर 3% और अमेरिका 2.1% रही.
हालांकि बढ़ती अर्थव्यवस्था ने लाखों लोगों को गरीबी से बचने में सक्षम बनाया है, फिर भी भारत में G20 सदस्यों के बीच सबसे बड़ी गरीब आबादी है. भारत की कुल आबादी में गरीब लोगों का अनुपात 16.4% था. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका 6.3% पर था.
स्वास्थ्य
G20 के सदस्य देशों में भारत जन्म के समय दूसरी सबसे कम जीवन प्रत्याशा वाला देश है. इससे नीचे केवल दक्षिण अफ्रीका है, जबकि जीवन प्रत्याशा के मामले में जापान सबसे ऊपर है. भारत में सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य पर खर्च सबसे कम 3% है. 5 प्रतिशत से कम खर्च केवल 3 देश करते हैं. अमेरिका अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 19% स्वास्थ्य पर खर्च करता है.
भारत में न केवल स्वास्थ्य व्यय सबसे कम है, बल्कि यहां स्वास्थ्य देखभाल पर सबसे अधिक जेब खर्च भी है. 2020 में भारत में सभी स्वास्थ्य खर्च का 50.6% परिवारों ने वहन किया यानी लोगों ने अपना इलाज खुद कराया. दक्षिण अफ्रीका में खुद से स्वास्थ्य खर्च का आंकड़ा केवल 5.4% खर्च है, जो G20 सदस्यों में सबसे कम है.
शिक्षा
शिक्षा पर भारत का खर्च दक्षिण और इटली जैसे देशों के बराबर है, लेकिन साक्षरता दर की बात करें तो भारत अभी भी पिछड़ा हुआ है. जहां अधिकांश जी20 सदस्य 100 प्रतिशत साक्षरता के करीब हैं, वहीं, भारत 2017-18 के आंकड़ों के मुताबिक 77 प्रतिशत पर है.
आंकड़े बताते हैं कि प्राथमिक स्तर पर जी20 के सभी सदस्य देशों में नामांकन 90 प्रतिशत से अधिक है. हालांकि, भारत माध्यमिक स्तर पर पिछड़ रहा है. 2020 के डेटा के मुताबिक, 25 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी भारतीयों में से आधे से भी कम ने निम्न माध्यमिक स्तर की शिक्षा (कक्षा 10 तक) पूरी की है. इंडोनेशिया और मेक्सिको में ये क्रमशः 54.6% और 65.9% है. अधिकांश विकसित देशों में आंकड़ा 90 फीसदी से अधिक है. 2020 में, स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की हिस्सेदारी भी भारत में सबसे अधिक 15% थी.
सुविधाओं तक पहुंच
सस्ते मोबाइल इंटरनेट प्लान के चलते भारतीय पहले से कहीं बेहतर तरीके से जुड़े हुए हैं, लेकिन फिर भी जी20 सदस्यों में भारत में प्रति 100 लोगों पर मोबाइल सेल्युलर सब्सक्रिप्शन की संख्या सबसे कम है और इंटरनेट तक पहुंच सबसे कम है.
बिजली की बात करें तो भारत सरकार का दावा है कि उसने ग्रामीण क्षेत्रों में भी 100 प्रतिशत बिजली पहुंचाई है. 2021 में दक्षिण अफ्रीका के पास सबसे 89 फीसदी आबादी के पास बिजली पहुंची थी जो सबसे कम है.
ट्रांसपोर्ट के मामले में भारत के पास 11.5 लाख किलोमीटर लंबा रेल नेटवर्क है, चीन के 14.4 लाख किलोमीटर के बाद सदस्य देशों में दूसरे नंबर पर है. हवाई यात्रा के मामले में भारत पीछे है. 2021 में भारत में 8.3 करोड़ यात्रियों ने सफर किया, जबकि चीन में 44.4 करोड़ और अमेरिका में ये आंकड़ा 66 करोड़ था.
आर्मी
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में सैन्य खर्च के मामले में भारत जी20 सदस्यों के बीच पांचवें नंबर पर है. केवल सऊदी अरब, रूस, अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने जीडीपी के प्रतिशत के रूप में अपनी सेनाओं पर अधिक खर्च किया. सशस्त्र सैन्य बल के मामले में भारत पहले नंबर पर है.
हालांकि, भारत सैन्य उपकरणों के मामले में आयात पर निर्भर है. 2017 से 2021 के दौरान भारत सैन्य उपकरणों का दुनिया का सबसे बड़ा खरीदार रहा है. इसके बाद सऊदी अरब का नंबर है.
पर्यावरण
पर्यावरण की बात करें तो केवल जी20 ही नहीं, दुनिया के अधिकांश देश पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहे हैं. चीन, अमेरिका और भारत में सबसे अधिक ग्रीन गैस उत्सर्जन है, लेकिन प्रति व्यक्ति के संदर्भ में अमीर व अधिक विकसित देश ज्यादा उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं. 2020 में औसत भारतीय ने 2 मीट्रिक टन कॉर्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन किया, लेकिन इसी दौरान औसत ऑस्ट्रेलियाई ने 15 मीट्रिक टन कॉर्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार था.
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