AU को G-20 में शामिल किया जाए... टेबल पर PM मोदी के तीन बार हथौड़ा मारते ही आया एक शख्स और गूंज उठी तालियां
पीएम मोदी ने भारत मंडपमम में जी20 समिट में हिस्सा लेने आए वैश्विक नेताओं का कोणार्क के सूर्य मंदिर वाले बैकग्राउंड पर स्वागत किया.
G20 Summit in India: भारत में शनिवार (9 सितंबर 2023) को जी20 समिट के दो दिवसीय सत्र का उद्घाटन हो गया. पीएम मोदी ने इस समिट में हिस्सा लेने आए प्रतिनिधियों और राष्ट्राध्यक्षों का आयोजन स्थल भारत मंडपमम में स्वागत किया. उसके बाद उन्होंने उद्घाटन भाषण के साथ इस समिट का एजेंडा तय किया और अंत में उन्होंने दो बार हथौडे (गैवल) को मेज पर पटका जिसके साथ ही एक शख्स आया और पूरा हाल तालियों से गूंज उठा.
मेज पर आए एक शख्स को पीएम मोदी ने उठकर गले से लगा लिया तो वहीं विदेश मंत्री एस जयंशकर ने उस व्यक्ति के लिए सभी नेताओं के बीच में पहली पंक्ति की खाली कुर्सी में बिठा दिया. उस कुर्सी के आगे एक झंडा भी रख दिया गया और इसी के साथ 90 के दशक के उत्तरार्द्ध में फॉर्म हुए इस वैश्विक समिट में इतिहास बन गया. इस कहानी को जरा यहीं रोकते हुए हम आपको पीएम के भाषण की शुरुआत और फिर इस कहानी की पूरी पृष्ठभूमि पर लेकर चलते हैं.
जी21 का 21वां देश बना अफ्रीकी संघ
पीएम मोदी ने जिस शख्स को गले लगाया वह शख्स कोई और नहीं बल्कि 55 अफ्रीकी देशों के संघ का प्रतिनिधित्व करने वाले यानी अफ्रीकन यूनियन के प्रेसिडेंट का प्रतिनिधित्व करने वाले अजाली असौमानी थे. पीएम मोदी ने शनिवार (9 सितंबर 2023) को अफ्रीकी यूनियन को आधिकारिक रूप से जी20 का स्थायी सदस्य बनाए जाने की वकालत करते हुए उसका स्थाई सदस्य बनाने का प्रस्ताव पेश किया था. इस प्रस्ताव को सभी देशों ने एकमत से स्वीकार कर लिया.
पीएम मोदी ने भी परंपरा के मुताबिक प्रेसिडेंट होने के नाते दो बार गैवेल पीटकर इसकी आधिकारिक पुष्टी की. उनके ऐसा करते ही पूरा हाल तालियों की गड़गड़हाट से गूंज उठा. इसके साथ ही विदेश मंत्री जयशंकर अजाली असौमानी के पास आए और उनको जी20 की गोल मेज पर स्थाई सदस्यों की पहली पंक्ति में बैठा दिया.
जी20 के लिए क्यों अहम है अफ्रीकी यूनियन
जी20 देश जोकि अफ्रीकी महाद्वीप के 55 देशों का समूह है दुनिया की कुल जैव विविधता के एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है. 21वीं सदी में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में दुनिया को जिन चीजों की जरूरत पड़ेगी उसकी पूर्ति के हर साधन एयू के पास मौजूद है.
अफ्रीकी महाद्वीप में विश्व की 60% नवीकरणीय ऊर्जा को बनाने में लगने वाला कच्चा माल मौजूद है. उसके पास 30 प्रतिशत से अधिक खनिज हैं जो नवीकरणीय और निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण हैं. पिछले महीने जारी अफ्रीका के आर्थिक विकास पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक अकेले कांगो में दुनिया का लगभग आधा कोबाल्ट है, जो लिथियम-आयन बैटरी के लिए बहुत जरूरी मेटल है. ऐसे में अफ्रीकी यूनियन का मुख्य धारा से जुड़ना दुनिया और खुद अफ्रीका के लिए काफी अहम होगा.
अफ्रीकी यूनियन को जी20 से जुड़कर क्या हासिल होगा?
दुनिया इन दिनों जलवायु परिवर्तन की विभीषका से गुजर रही है. पूरी धरती का बढ़ता तापमान दक्षिणी और उत्तरी ध्रुव पर ग्लेशियर को पिघलाने का काम कर रहा है. इन ग्लेशियर्स के पिघलने से समुद्र का जलस्तर दो से तीन इंच बढ़ने की संभावना है. जिससे दुनिया भर के तटीय देशों के सामने जीवन का संकट है. अफ्रीकी यूनियन भी इन समस्याओं से जूझ रहा है और इनको ठीक करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहा है.
लेकिन इनके सामने कई तकनीकि चुनौतियां हैं जिस वजह से ये दुनिया के बाकी देशों से पिछड़े हुए हैं. इनकी जरूरत नई तकनीकी, उच्च शिक्षा, वर्षा वन का संरक्षण, प्रकृति का नियंत्रित खनन करने के लिए उसकी प्रॉपर पॉलिसी. ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनके कारण अफ्रीका पिछड़ा है लिहाडा जी20 से जुड़कर इन देशों की आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ तेजी से विकास की संभावनाएं भी बनेंगी. जिससे मानवता विकसित और खुशहाल होगी.
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