Antonio Guterres On India: नई दिल्ली में शनिवार (9 सितंबर) और रविवार (10 सितंबर) को होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस भारत आए हुए हैं. इस बीच गुतारेस ने शुक्रवार (8 सितंबर) को आतंकवाद सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर बात की. 


यूएन के महासचिव गुतारेस ने कहा कि आतंकवाद को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता. अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था इसका गंभीरता से मुकाबला करे. गुतारेस ने यह भी कहा कि इस खतरे को लेकर भारत की स्वाभाविक रूप से अपनी चिंताएं हैं. 


एंतोनियो गुतारेस ने क्या कहा?
गुतारेस ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा कि आतंकवाद से मुकाबला करना हम सभी के लिए मौलिक प्राथमिकता होनी चाहिए. यह कुछ ऐसा है जो उनकी प्राथमिकताओं में बहुत ऊपर है.  उन्होंने कहा, ‘‘यह कुछ ऐसा है जो मेरी प्राथमिकताओं में बहुत ऊपर है. जब मैं संयुक्त राष्ट्र में आया तो मैंने जो पहला सुधार किया वह वास्तव में आतंकवाद विरोधी कार्यालय स्थापित करना था. ’’


सीमा पार आतंकवाद पर भारत की चिंताओं और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सदस्य देशों के साथ सहयोग के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र क्या कर सकता है, यह पूछे जाने पर उन्होंने यह टिप्पणी की. 


चीन पर क्या कहा?
संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुतारेस ने कहा कि आतंकवाद वैश्विक मुद्दा बन गया है. भारत की स्वाभाविक रूप से अपनी अपनी चिंताएं हैं. उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद वास्तव में ऐसी चीज है जिस पर हमें गंभीरता से विचार करना चाहिए. यह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की मौलिक प्राथमिकता होनी चाहिए. 


चीन के कुछ आतंकवादियों को काली सूची में डालने के प्रयासों को रोकने के बारे में पूछे जाने पर गुतारेस ने कहा कि यह प्रक्रिया राजनीतिक विचारों पर आधारित नहीं होनी चाहिए. उन्होंने अफ्रीकी संघ को जी20 का स्थायी सदस्य बनाने के भारत के प्रस्ताव पर ‘कहा कि मुझे लगता है कि यह अच्छा विचार है. 


भारत पर क्या कहा?
एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की भारत की आकांक्षाओं को पूरी तरह से समझते हैं, लेकिन शीर्ष वैश्विक निकाय में सुधार के बारे में फैसला करना सदस्य देशों का काम है. 


गुतारेस ने कहा, “यह परिभाषित करना मेरा काम नहीं है कि सुरक्षा परिषद में कौन होगा या किसे होना चाहिए, यह फैसला सदस्य देशों को करना है, लेकिन मेरा मानना है कि हमें एक ऐसी सुरक्षा परिषद की जरूरत है जो आज की दुनिया का प्रतिनिधित्व करे. ”


उन्होंने कहा, “सुरक्षा परिषद की वर्तमान संरचना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की दुनिया का प्रतिनिधित्व करती है. आज की दुनिया अलग है. जैसा कि आपने बताया हिंदुस्तान आज दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश है।”


पीएम मोदी ने क्या कहा था?
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब कुछ दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने पीटीआई से कहा था कि 20वीं सदी के मध्य का दृष्टिकोण 21वीं सदी में दुनिया की सेवा नहीं कर सकता है.


उन्होंने दुनिया की बदलती वास्तविकताओं के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र में सुधार का जोरदार आह्वान किया था.  भारत यूएनएससी की स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार है. हिंदुस्तान सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर अंतरसरकारी वार्ता (आईजीएन) में कोई सार्थक पहल नहीं होने से नाराज है. 


फिलहाल यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्य और 10 अस्थायी सदस्य देश शामिल हैं. 10 अस्थाई सदस्य संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं. पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका हैं. ये देश किसी भी ठोस प्रस्ताव पर वीटो कर सकते हैं. 


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