G20 Summit: क्या है 'भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा', जिसकी जी20 शिखर सम्मेलन से इतर हुई घोषणा, कैसे पहुंचाएगा फायदा?
G20 Summit Delhi: शनिवार (9 सितंबर) को भारत समेत कई प्रमुख भागीदारों ने जी20 शिखर सम्मेलन से इतर 'भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे' की घोषणा की. यह भारत को मिडिल ईस्ट और आखिर में यूरोप से जोड़ेगा.
India-Middle East-Europe Corridor: भारत ने अमेरिका और कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ मिलकर शनिवार (9 सितंबर) को एक महत्वाकांक्षी 'भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे' की घोषणा की. इसी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनेक्टिविटी पहल को बढ़ावा देते हुए सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर जोर दिया.
जी20 शिखर सम्मेलन से इतर भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं की ओर से संयुक्त रूप से नए आर्थिक गलियारे की घोषणा की गई, जिसे चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है.
आर्थिक गलियारे की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर
इन देशों ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिससे एशिया, अरब की खाड़ी और यूरोप के बीच बढ़ी हुई कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
अहम भूमिका निभा सकती कनेक्टिविटी- पीएम मोदी
कार्यक्रम में अपनी टिप्पणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्ज के बोझ के बजाय वित्तीय व्यावहारिकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ कनेक्टिविटी परियोजनाओं में पर्यावरण संबंधी सभी दिशानिर्देशों का पालन करने पर भी जोर दिया. इसी के साथ पीएम मोदी ने कहा कि भारत कनेक्टिविटी को क्षेत्रीय सीमाओं तक सीमित नहीं करता है क्योंकि उसका मानना है कि कनेक्टिविटी आपसी विश्वास को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकती है.
आर्थिक गलियारे में भारत की पहुंच
इस पहल में दो अलग-अलग गलियारे शामिल होंगे- पूर्वी गलियारा जो भारत को पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व से जोड़ता है और उत्तरी गलियारा जो पश्चिम एशिया या मध्य पूर्व को यूरोप से जोड़ता है. आसान तरीके से समझें तो यह गलियारा भारत को मिडिल ईस्ट (मध्य पूर्व) और आखिर में यूरोप से जोड़ेगा.
और क्या है प्लान?
रेलवे मार्ग के साथ प्रतिभागियों का इरादा बिजली और डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए केबल बिछाने के साथ-साथ स्वच्छ हाइड्रोजन निर्यात के लिए पाइप बिछाने का है. यह गलियारा क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करेगा, व्यापार पहुंच बढ़ाएगा, व्यापार सुविधा में सुधार करेगा और पर्यावरणीय सामाजिक और सरकारी प्रभावों पर बढ़ते जोर का समर्थन करेगा.
इस पहल के लॉन्च को पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत सभी भाग लेने वाले देशों के नेताओं ने ऐतिहासिक बताया. यह कदम वैश्विक व्यापार के लिए गेम चेंजर हो सकता है.
निम्न और मध्यम आय वाले देशों को फायदा होगा- अमेरिकी अधिकारी
इससे पहले अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने पत्रकारों से कहा था कि नए आर्थिक गलियारे वाली इस डील से क्षेत्र के निम्न और मध्यम आय वाले देशों को फायदा होगा और वैश्विक कॉमर्स में मध्य पूर्व की अहम भूमिका हो सकेगी.
यह घटनाक्रम एक महत्वपूर्ण समय पर हुआ है क्योंकि G20 साझेदारों में शामिल विकासशील देशों के लिए वाशिंगटन को एक वैकल्पिक साझेदार और निवेशक के रूप में पेश करके अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन वैश्विक बुनियादी ढांचे को लेकर चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का मुकाबला करना चाहते हैं.
क्या है उद्देश्य?
आर्थिक गलियारे की घोषणा से पहले अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि इसका उद्देश्य मध्य पूर्व के देशों को रेलवे से जोड़ना और उन्हें बंदरगाह के माध्यम से भारत से जोड़ना है, जिससे शिपिंग समय, लागत और ईंधन के इस्तेमाल में कटौती करके खाड़ी से यूरोप तक ऊर्जा और ट्रे़ड फ्लो (व्यापार प्रवाह) में मदद मिलेगी.
फाइनर ने कहा था कि अमेरिका की नजर से यह समझौता पूरे क्षेत्र में तापमान कम करेगा और जहां हम देखते हैं, टकराव से निपटने में मदद मिलेगी. रेल एंड शिपिंग कॉरिडोर देशों को उर्जा उत्पादों समेत ज्यादा व्यापार के लिए सक्षम बनाएगा.
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