G20 समिटः कौन हैं अमिताभ कांत और जी 20 शेरपा नाम से क्या है उनका कनेक्शन?
जी 20 के बैठक से पहले शेरपा की चर्चा काफी हो रही है. भारत ने अपना शेरपा अमिताभ कांत को बनाया है. ऐसे में इस खबर में जानेंगे कि ये शेरपा क्या है और क्यों उन्हें क्यों मिलती है अहम जिम्मेदारी.
जी 20 के इस सम्मेलन में शेरपा की चर्चा काफी हो रही है. भारत ने अपना शेरपा अमिताभ कांत को बनाया है. लेकिन क्या आपको पता है कि ये शेरपा नाम कहां से आया. इसकी कहानी दिलचस्प है और शुरू होती है नेपाल और तिब्बत की दुर्गम पहाड़ियों से.
दरअसल शेरपा एक समुदाय है जो नेपाल और तिब्बत की दुर्गम पहाड़ियों वाले इलाके में रहते हैं. इस समुदाय के लोग एवरेस्ट ट्रैकिंग में लोगों की आज भी मदद करते हैं. इस कम्युनिटी को काफी बहादुर बताया जाता है कहा जाता है कि ये हिमालय की ऊंचाइयों पर बिना किसी कठिनाई के चढ़ जाते हैं.
साल 1953 में न्यूजीलैंड के सर एडमंड हिलेरी जब एवरेस्ट पहुंचे थे तब शायद ही किसी ने सोचा भी होगा कि एक आम इंसान इतनी उंचाई तक पहुंच भी सकता है. लेकिन ये बात शायद बहुतों को पता न हो लेकिन उस साल एवरेस्ट पर चढ़ने वालों में हिलेरी अकेले इंसान नहीं थे, इस चढ़ाई में उनका साथ नेपाल के तेनजिंग नोर्गे ने दिया था. तेनजिंग भी एक शेरपा थे.
इस स्टोरी में जानेंगे कि आखिर ये शेरपा कौन होते हैं, जी G20 देशों ने शेरपा क्यों नियुक्त किए और इनका काम क्या है...
क्या है शेरपा
डिप्लोमेसी में तो आपने कई बार शेरपा शब्द का इस्तेमाल होते सुना होगा. कूटनीति के माहिर लोगों को शेरपा कहा जाता रहा. लेकिन असल शेरपा ये नहीं बल्कि हिमालय की वादियों में बसते हैं, खासकर नेपाल और तिब्बत के इलाके में.
शेरपा को एथलीट जीन के लिए भी जाना जाता है. ये उन जगहों पर भी पहुंच सकते हैं जहां ऑक्सीजन की कमी होती है,
G20 शेरपा कौन होते हैं?
जी 20 सम्मेलन में जितने भी देश शामिल हो रहे हैं. वह अपने देश की तरफ से एक एक शेरपा नियुक्त करते हैं. सदस्य देशों के शेरपा G20 सम्मेलन के दौरान अपने-अपने देश को रिप्रेजेंट करते हैं. इस सम्मेलन में वह अपने नेताओं की मदद तो करते ही हैं साथ ही उनका काम अपने देश के नीतिगत फैसले से सभी सदस्य देशों को अवगत कराना भी है. आसान भाषा में समझे तो शेरपा का पद किसी राजदूत के बराबर होता है. शेरपा की नियुक्ति सदस्य देशों की सरकार करती है.
इनका काम क्या होता है?
इस बैठक की प्लानिंग से लेकर देशी-विदेशी मेहमानों के बीच कोआर्डिनेशन तक सभी काम शेरपा ही संभालते हैं. इसके अलावा देश की नीतिगत फैसले से लेकर सभी सदस्य देशों को वाकिफ कराने का काम भी उन्हीं का होता है.
इस बैठक में होने वाले किसी भी मुद्दे पर बातचीत से पहले उस देश के नेता पहले अपने शेरपा से ही उस मुद्दे पर चर्चा करते हैं. दोनों देशों के नेताओं की बातचीत के बाद शेरपा आपस में बातचीत करते हैं.
जी 20 में दो ट्रैक करते हैं काम
यहां समझने वाली बात ये है कि जी 20 में दो ट्रैक काम करता है एक शेरपा ट्रैक और दूसरा फाइनेंस ट्रैक. फाइनेंस ट्रैक को लीड फाइनेंस मिनिस्टर और RBI के गवर्नर करते हैं. जिनका काम होता है जी-20 के बाकी देशों के फाइनेंस मिनिस्टर और बैंक के गवर्नर्स के साथ बैठकर प्लानिंग करना. फाइनेंस ट्रैक ही आगे की नीति भी तैयार करते हैं.
वहीं दूसरा ट्रैक होता है शेरपा ट्रैक जिसको लीड शेरपा करते हैं. भारत की तरफ से अमिताभ कांत शेरपा नियुक्त किया गया है. जो राजनीतिक और अन्य मुद्दों पर बाकी देशों के साथ बैठक करते है और आगे के लिए निर्णय लेते हैं.
कौन है अमिताभ कांत
अमिताभ कांत इंडियन ब्यूरोक्रेट हैं और वो नीति आयोग के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर रह चुके हैं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज केरल कैडर से किया था और अब उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है.
अब जानते हैं जी 20 के लिए नियुक्त अब तक के 6 शेरपाओं के बारे में
- मोंटेक सिंह अहलूवालिया साल 2009 में हुए जी 20 समिट में भारत की तरफ से शेरपा नियुक्त किए गए थे.
- साल 2015 में अरविंद पनगढ़िया को भारत की तरफ से शेरपा चुना गया था.
- साल 2018 में शक्तिकांत दास भारतीय शेरपा थे.
- सुरेश प्रभु को साल 2019 में भारत की तरफ से शेरपा बनाया गया था.
- साल 2021 में पीयूष गोयल जी 20 सम्मेलन में भारत के शेरपा थे.
- साल 2023 में यह समिट भारत में आयोजित किया गया है और इस साल अमिताभ कांत को भारत का शेरपा नियुक्त किया गया है.
G20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले कई बार हो चुकी है शेरपा की मीटिंग
9 और 10 सितंबर 2023 को होने वाले जी 20 सम्मेलन से पहले अब तक शेरपा स्तर की 4 बैठकें आयोजित हुई हैं. जिसमें सभी देशों की तरफ से नियुक्त किए गए शेरपा शामिल हुए थे. G20 सदस्य देशों की शेरपा स्तर की पहली बैठक दिसंबर 2022 में उदयपुर में हुई थी जिसमें ग्लोबल साउथ के महत्व का जिक्र किया गया था.
इसके बाद इसी साल मार्च में दूसरी बैठक की गई. यह बैठक केरल के कुमारकोम में आयोजित की गई और इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा और सतत विकास लक्ष्यों पर चर्चा हुई थी. जबकि तीसरी मीटिंग 9 से 16 जुलाई तक हुई. इस बार वेन्यू कर्नाटक स्थित हम्पी का ऐतिहासिक खंडहर था और इस बैठक में डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, संस्कृति, कृषि, व्यापार और निवेश, रोजगार और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर बात हुई थी. जबकि 3 से 7 सितंबर तक हरियाणा के नूंह में चौथी जी 20 शेरपा बैठक हुई.
जी 20 है क्या
जी 20 बीस देशों का समूह है जो साल में एक बार साथ मिलकर आर्थिक वैश्विक मामलों की प्लानिंग और तैयारी करते हैं. दुनिया की जीडीपी में इन 20 देशों का योगदान काफी ज्यादा है. इसके साथ ही वैश्विक व्यापार में इन देशों का योगदान काफी अच्छा है.
जी 20 को जी 7 देशों के ग्रुप का ही एक्सटेंशन माना जाता है. जिसमें अमेरिका ,जर्मनी, फ़्रांस, कनाडा,इटली,ब्रिटैन और जापान थे, फिर बाकी देश इसमें बाद में जुड़ते चले गए. जी 20 की बैठक हर साल होती है और हर साल इसकी अध्यक्षता करने की जिम्मेदारी उन्हीं 20 में से एक देश को मिलती है.
दिल्ली में जी 20 को लेकर तैयारियां
भारत की राजधानी दिल्ली G-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए पूरी तरह से तैयार है. इसके लिए पिछले दो महीनों में जहां पूरी दिल्ली खास तौर पर नई दिल्ली के इलाकों में मरम्मतीकरण और रखरखाव के साथ ग्रीनरी से संबंधित काम किया गया. वहीं दूसरी तरफ इसे लेकर दिल्ली के मुख्य क्षेत्रों और प्रमुख स्थलों को दुल्हन की तरह सजाया गया है. इस कड़ी में डीएमआरसी भी कई प्रमुख मेट्रो स्टेशनों को सजाने-संवारने और G-20 की ब्रैंडिंग करने में लगी हुई है.
कैसे हुई जी-20 की शुरुआत
दुनिया को आर्थिक संकटों से बचाने के लिए ही जी 20 समूह को बनाया गया था. दरअसल साल 1990 का दशक पूरी दुनिया के लिए आर्थिक लिहाज से चुनौतीपूर्ण रहा था. उस वक्त मैक्सिको के पेसो क्राइसिस से संकट शुरू हुआ और लगातार फैलता चला गया.
धीरे धीरे एक के बाद एक उभरती अर्थव्यवस्थाएं संकट की चपेट में आती चली गईं. जिसके बाद साल 1997 में भी एशिया को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था, उसके अगले साल यानी 1998 में रूस में भी ऐसा ही संकट आया. इन्हीं संकटों को ध्यान में रखते हुए जी 20 की शुरुआत की गई.