नेतृत्व बदलने की मांग पर G23 के सुर नरम, सोनिया गांधी से मिलने के बाद बोले आजाद- पार्टी से नहीं है कोई नाराजगी
गुलाम नबी आजाद ने कहा इस मीटिंग को पार्टी में सुधार के लिए जी 23 की ओर से कुछ सुझाव देने के लिए रखा गया था.
![नेतृत्व बदलने की मांग पर G23 के सुर नरम, सोनिया गांधी से मिलने के बाद बोले आजाद- पार्टी से नहीं है कोई नाराजगी G23's tone soft on the demand for change of leadership, Azad said after meeting Sonia Gandhi- suggestions for the party in the routine meeting नेतृत्व बदलने की मांग पर G23 के सुर नरम, सोनिया गांधी से मिलने के बाद बोले आजाद- पार्टी से नहीं है कोई नाराजगी](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/03/19/065f4447777cb0317ea454d7206ba053_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद CWC की बैठक बुलाई गई, लेकिन जी 23 खेमा संतुष्ट नजर नहीं आया. दरअसल 2 दिनों में बड़े-बड़े नेताओं की दो मीटिंग से देश की राजनीति में हलचल बढ़ गई. सवाल उठने लगे कि क्या कांग्रेस टूटने की कगार पर पहुंच गई है, लेकिन फिर सोनिया गांधी एक्टिव हुई. गुलाम नबी आजाद से मुलाकात फिक्स हुई. और मुलाकात के बाद लगता है जैसे सारे विवाद भी फिलहाल फिक्स कर लिए गए हैं..
तो सवाल है कि आखिर विवाद है क्या. जी 23 नेताओं की मांग है क्या. CWC की बैठक के बाद अलग से मीटिंग पर मीटिंग करने का मकसद क्या था. सवाल ये भी है कि कोई विवाद था ही नहीं या फिर सोनिया गांधी से मुलाकात में विवाद को शांत करा लिया गया. क्योंकि कुछ दिनों पहले ही जी 23 में शामिल कपिल सिब्बल ने सीधे सीधे राहुल गांधी पर सवाल खड़े किए थे. उसके बाद दो दिनों तक जी 23 की 2 मीटिंग हुई. फिर भूपेन्द्र हुड्डा के जरिए सोनिया गांधी से नाराज गुट की मीटिंग तय हुई और कल जब गुलाम नबी आजाद सोनिया से मिलकर मीडिया के सामने आए तो कहा पार्टी नेतृत्व से कोई नाराजगी ही नहीं है.
उन्होंने कहा, 'अभी तो लीडरशिप का कोई सवाल ही नहीं उठा है. जब सोनिया गांधी जी ने अपना इस्तीफा देने की पेशकश की थी तो हम सभी लोगों ने उनसे कहा कि आप बतौर अध्यक्ष कामकाज जारी रखिए. क्योंकि जब हमने पार्टी के चुनाव करने हैं तब उस वक्त बात होगी, अभी तो पार्टी के चुनाव नहीं हो रहे हैं तो कौन पार्टी प्रेसिडेंट बनेगा कौन नहीं बनेगा वो तभी देखा जाएगा. गुलाम नबी आजाद ने आगे कहा कि, जो पार्टी के कार्यकर्ता हैं वो फैसला करेंगे कि अध्यक्ष कौन होगा. आज तो पार्टी अध्यक्ष की कोई जगह खाली नहीं है.
पार्टी में सुधार के सुझाव देने के लिए रखी गई थी मीटिंग
इस बीच सवाल उठता है कि अगर नेतृत्व से नाराजगी का सवाल नहीं तो फिर मीटिंग की जरुरत क्या थी. इस सवाल के जवाब में गुलाम नबी आजाद ने कहा इस मीटिंग को पार्टी में सुधार के लिए जी 23 की ओर से कुछ सुझाव देने के लिए रखा गया था.
उन्होंने कहा कि कुछ सुझाव हैं जो पार्टी को ठीक करने के लिए हमने दिए हैं. संगठन को मज़बूत करने के लिए सोनिया गांधी जी की चर्चा नेताओं से होती रहती है, हम भी पहले ये चर्चा कर चुके हैं. CWC से सुझाव मांगे गए थे, मैंने भी अपने सुझाव दिए हैं. आने वाले विधानसभा चुनावों की कैसे तैयारी की जाए, कांग्रेस कैसे मिलकर सामने वाले को चुनाव में मात दे सकती है. इन सब बातों पर चर्चा हुई. जो संगठन को मज़बूत करने के सुझाव होते हैं वो अंदर होते हैं, वो खुलेतौर पर हम नहीं दे सकते हैं.
गांधी परिवार समर्थक नेता जी 23 पर कर रहे हैं हमले
कांग्रेस के भीतर चल रहे इस प्रेशर पॉलिटिक्स में जहां आलाकमान नाराज नेताओं के गुट से बातचीत कर रही है. तो वहीं गांधी परिवार के समर्थक नेता जी 23 पर हमले भी कर रहे हैं. हालांकि बैठक के बाद हुई बयानबाजियों से ये साफ है कि कल तक पार्टी पर जो टूट का खतरा दिख रहा था. लगता है फिलहाल उस संकट को टाल दिया गया है और जी 23 की नाराजगी का नतीजा क्या होगा. ये अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव के दौरान पता चलेगा.
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