मिशन गगनयान: जानिए, मिशन के लिए कैसे होंगे ह्यूमनॉइड, क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम?
अंतरिक्ष में जाते ही सोलर पैनल खुल जाएंगे और क्रू मॉड्यूल के सिस्टम को सपोर्ट करेंगे. हालांकि अपना काम करने के बाद यह सर्विस मॉड्यूल अलग हो जाएगा और स्पेसक्राफ्ट वापस लौट आएगा.
बेंगलुरुः महत्वाकांक्षी मिशन गगनयान को लेकर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने कमर कस ली है. भारत का पहला मानव मिशन 2022 में अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरेगा. इस मिशन में भारत के तीन अंतरिक्ष यात्री भी होंगे. 2022 की गगनयान की असली उड़ान से पहले तीन टेस्ट मिशन भी भेजे जाएंगे. ये तीन टेस्ट मिशन मानवरहित होंगे और इनमें भारत एक हुमनॉयड यानी रोबोट को भेजेगा. इसीलिए इसरो ने 'व्योममित्र' नाम की महिला रोबोट तैयार की है जिसे अंतरिक्ष में सभी अध्ययन के बाद भेजा जाएगा.
यह 'हाफ ह्यूमनॉइड' रोबॉट अंतरिक्ष से इसरो को अपनी रिपोर्ट भेजेगा. आज इसरो ने व्योमित्र को दुनिया के सामने पेश किया और इसकी खूबियों के बारे में बताया. ह्यूमन स्पेसफ्लाइट एंड एक्सप्लोरेशन एक कार्यक्रम में इस ह्यूमनॉइड का अनावरण किया गया.
वापस लौट आएगा स्पेसक्राफ्ट
इस दौरान इसरो ने स्पेसक्राफ्ट का क्रू मॉडल माड्यूल भी रखा है जिसमें भारत के तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जाएगा. इससे पहले भारत ने इस क्रू माड्यूल को पहली बार दिसंबर 2014 में भेजा था टेस्ट के तौर पर, धरती से 126 किलोमीटर की दूरी तक जाकर फिर से री एंट्री कर बंगाल की खाड़ी में स्प्लैश हुआ था. यह भी मानव रहित टेस्ट था.
इस मॉड्यूल के अलावा सर्विस सिस्टम को भी दिखाया गया है जो कि मॉड्यूल के साथ अटैच रहेगा और फॉल्डेड अवस्था में स्पेसक्राफ्ट के साथ जुड़ा होगा. अंतरिक्ष में जाते ही सोलर पैनल खुल जाएंगे और क्रू मॉड्यूल के सिस्टम को सपोर्ट करेंगे. हालांकि अपना काम करने के बाद यह सर्विस मॉड्यूल अलग हो जाएगा और स्पेसक्राफ्ट वापस लौट आएगा.
'व्योममित्र अंतरिक्ष में क्रियाकलापों का करेगा अध्ययन'
टेक ऑफ के दौरान किसी इमरजेंसी के वक़्त किस तरह से क्रू एस्केप हो सके इसके लिए क्रू एस्केप सिस्टम भी जीएसएलवी मार्क 3 के ऊपरी स्टेज पर लगाया गया है. इसरो अध्यक्ष के सीवन ने एबीपी न्यूज़ को एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि व्योममित्र अंतरिक्ष में एक मानव शरीर के क्रियाकलापों का अध्ययन करेगा और इसरो को इसकी रिपोर्ट भेजेगा.
व्योममित्र अपने आप में बेहद खास रोबॉट है. यह बात कर सकता है और मानव को पहचान सकता है. रोबॉट अंतरिक्ष यात्रियों के द्वारा किए जाने वाले किए जाने वाले क्रियाकलाप की नकल कर सकता है. इससे पहले इसरो चेयरमैन के सिवन ने बताया था कि अंतरिक्ष यात्रा के कुल 12 में से पहले चार कैंडिडेट्स का चयन हो चुका है और वे रूस में इस महीने के आखिर में ट्रेनिंग शुरू करेंगे.
गुप्त रखी गई है अंतरिक्ष यात्रियों की पहचान
इन कैंडिडेट्स की पहचान गुप्त रखी जा रही है. यह जरूर बताया कि ये सभी भारतीय वायुसेना के पायलट्स हैं. मिशन के लिए भारत अपने तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 7 दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजेगा. जहां वे कई प्रकार के माइक्रो-ग्रैविटी टेस्ट को अंजाम देंगे. रूस स्पेश मिशन में भारत को तीन पहलुओं से मदद कर रहा है. गगनयान के लिए नैशनल अडवाइजरी कमिटी बनाई गई है.