नई दिल्ली: "...मैं अपने पिता की तरह सेना में जाकर देश का नाम रोशन करना चाहता हूं." ये कहना है वीर चक्र विजेता हवलदार के पलानी के 10 साल के बेटे का. गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के छक्के छुड़ाने वाले हवलदार पलानी को मंगलवार को मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया तो उनका बेटा भी वहां मौजूद था. बाद में एबीपी न्यूज से खास बातचीत में 10 साल के प्रसन्ना ने अपने पिता की शहादात पर ये शब्द कहे.
राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह के बाद एबीपी न्यूज ने गलवान घाटी की हिंसा में अपने पराक्रम से चीनी सेना के दांत खट्टे करने वाले उन सैनिकों के परिवारवालों से खास बातचीत की जिन्हें मरणोपरांत वीरता मेडल से नवाजा गया था. प्रसन्ना भी उन्ही में से एक है. प्रसन्ना अपनी मां वानाथी के साथ तमिलनाडु से अपने पिता के अलंकरण समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंचा है. जिस वक्त एबीपी न्यूज से उसने बात की तो उसने गर्व से अपने हाथों में पिता को मिला वीर चक्र ले रखा था. प्रसन्ना की मां ने तमिल में ही एबीपी न्यूज से बातचीत में अपने पति की बहादुरी पर फक्र जताया.
'मेरे बेटे का बलिदना सर्वोच्च है'
एबीपी न्यूज से बात करते हुए महावीर चक्र विजेता, कर्नल संतोष बाबू के पिता, बिकुमाला उपेंद्र अपने बेटे की शहादत पर गर्व करते हुए कहते हैं कि "मेरे बेटे का बलिदान बेहद सर्वोच्च है. उन्होंने चीन के खिलाफ बिना हथियारों से जंग लड़ी और अपनी दृढ शक्ति से चीन पर विजय पाई." तेलांगाना से अपनी पत्नी और बहू (कर्नल संतोष बाबू की पत्नी) के साथ बेटे के मरणोपरांत वीरता मेडल लेने के लिए बिकुमाला उपेंद्र दिल्ली आए हैं. बिकुमाला उपेंद्र के मुताबिक, उनके बेटे ने ना केवल खुद लड़ाई लड़ी बल्कि अपने साथी सैनिकों को भी दुश्मन के खिलाफ लड़ने को प्रेरित किया." गलवान घाटी की घटना ने भारत की विदेश और सामरिक नीतियों को भी बदल दिया है. बिकुमाला उपेंद्र ने राष्ट्रपति का धन्यवाद दिया जिन्होंने उनकी पत्नी और बहू को महावीर चक्र भेंट किया. उन्होंने कहा की कर्नल संतोष बाबू के बलिदान ने देशभक्ति की एक अलग भावना जगाई है. कर्नल संतोष बाबू की मां ने तेलगु में अपने बेटे की शहादत को याद किया.
मंगलवार को राष्ट्रपति के हाथों वीर चक्र लेने वालों में नायक दीपक सिंह की पत्नी रेखा भी थी. वे मध्य प्रदेश के रीवा से अपने ससुर और जेठ प्रकाश सिंह के साथ यहां पहुंची थी. नायक दीपक सिंह हालांकि आर्मी मेडिकल कोर (एएमसी) से ताल्लुक रखते थे और ऑपरेशन स्नो-लैपर्ड के दौरान 16 बिहार रेजीमेंट के साथ 'अटैचड' थे. 15 जून की रात को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से हुई झड़प में दीपक सिंह भी घायल हुए थे. लेकिन घायल होने के बावजूद उन्होनें करीब 30 सैनिकों का उपचार किया और फिर देश के लिए सर्वोच्च-बलिदान दे दिया. उनके इस अनुकरणीय साहस और कार्य के लिए वीर चक्र से नवाजा गया है.
नायक दीपक सिंह की पत्नी को अपने पति की बहादुरी पर गर्व तो जरूर है लेकिन इस बात का गम भी है कि वे अब उनके साथ नहीं है. नायक दीपक सिंह के भाई प्रकाश सिंह हाल ही में सेना से रिटायर हुए हैं और अपने छोटे भाई की शहादत पर फक्र करते हुए कहते हैं कि छोटे भाई की वजह से आज पूरी दुनिया उन्हें जान गई है.
गलवान घाटी की हिंसा में वीरगति को प्राप्त हुए नायब सूबेदार नुदूराम सोरेन की पत्नी, लक्ष्मी को अपने पति की बहादुरी पर तो गर्व है लेकिन उन्हें अपने बच्चों के भविष्य की भी चिंता है. उनके बेटी हालांकिं प्रसन्ना की ही तरह बड़ी होकर अपने पिता की तरह नाम कमाना चाहती है और देश का नाम रोशन करना चाहती है. नुदूराम सोरेन को भी मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया है.
पिता कहते नहीं थकते बेटे की बहादुरी किस्से
15-16 जून 2020 की दरम्यानी रात को चीनी सैनिकों की गर्दन तोड़ने वाले सिपाही गुरतेज सिंह की बहादुरी के किस्से सुनाते उनके पिता, बिरसा सिंह नहीं थकते. गुरतेज के साथियों ने भी उन्हें बताया कि 12 चीनी सैनिकों को अकेले उनके बेटे ने मौत के घाट उतार दिया था. लेकिन आखिर में खुद भी देश की रक्षा करते हुए प्राण न्यौछावर कर दिए. गुरतेज सिंह को भी मंगलवार को मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गय है.
आपको बता दें कि मंगलवार को गलवान घाटी के शूरवीरों को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने रक्षा अलंकरण समारोह में वीरता मेडल से सम्मानित किया. रक्षा अलंकरण समारोह में कर्नल संतोष बाबू सहित पांच सैनिकों को मरणोपरांत सम्मान दिया गया और एक सैनिक, तेजेंद्र सिंह ने खुद राष्ट्रपति के हाथों से सम्मान लिया.
कर्नल संतोष बाबू को युद्ध के समय दूसरे सबसे बड़े वीरता मेडल, महावीर चक्र से मरणोपरांत सम्मानित किया गया. उनके साथ गलवान घाटी में ऑपरेशन स्नो-लैपर्ड के दौरान चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में वीरगति को प्राप्त हुए चार अन्य सैनिकों को भी वीर चक्र से सम्मानित किया गया.
इसी साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर कर्नल संतोष बाबू के अलावा ऑपरेशन स्नो-लैपर्ड के लिए गलवान घाटी में अदम्य साहस और बहादुरी के लिए पांच अन्य सैनिकों को वीर चक्र दिए जाने की घोषणा की गई थी. इनमें से चार को मरणोपरांत दिया गया था. जिन चार सैनिकों को मरणोपरांत वीर चक्र दिया गया है उनमें नायब सूबेदार नूदूराम सोरेन (16 बिहार), हवलदार के. पिलानी (81 फील्ड रेजीमेंट), नायक दीपक कुमार ( आर्मी मेडिकल कोर-16 बिहार), सिपाही गुरतेज सिंह (3 पंजाब) शामिल हैं. इसके अलावा हवलदार तेजेंद्र सिंह (3 मीडियम रेजीमेंट) को भी चीनी सैनिकों से हैंड-टू-हैंड फाइट करने और साथी-सैनिकों को दुश्मन के खिलाफ एकजुट करने और चीनी सैनिकों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए वीर चक्र दिए जाने की घोषणा की गई थी.
गलवान घाटी 20 सैनिक हुए थे शहीद
भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीनी सेना की आक्रामकता के खिलाफ पिछले साल यानि मई 2020 में ऑपरेशन स्नो लेपर्ड शुरू किया था. उसी दौरान गलवान घाटी में हुई हिंसा के दौरान भारतीय सेना की बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर, कर्नल संतोष बाबू सहित 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे. वीरगति को प्राप्त हुए पांच सैनिकों को सरकार ने मरणोपरांत वीरता मेडल से नवाजा है. जबकि, छठे तेजेंद्र सिंह सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
चीनी सेना को भी गलवान घाटी के संघर्ष में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था. हालांकि, चीन ने कभी हताहत हुए सैनिकों के आंकड़े का खुलासा नहीं किया था, लेकिन चीन ने इसी साल अपने पांच सैनिकों को गलवान घाटी की हिंसा के लिए वीरता मेडल से सम्मानित किया था. इनमें से चार मरणोपरांत थे.
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