Rajnath Singh Full Speech at FICCI AGM: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बार फिर चीनी घुसपैठ को लेकर निशाना साधा. रक्षा मंत्री ने कहा कि गलवान (Galwan) हो या तवांग (Tawang), भारत की सेनाओं ने शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया है. राजधानी दिल्ली में आयोजित फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) के 95वें वार्षिक सम्मेलन (AGM) में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ''चाहे गलवान हो या तवांग हो, भारत की सेनाओं ने जिस शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया है, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है.''


कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने रक्षा, विदेश नीति, अर्थव्यवस्था, सरकार की उपलब्धियों और उद्देश्य संबंधी अपनी बातें रखीं. रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंच प्रण यानी पांच संकल्पों की बात कही, जिनमें विकसित भारत का निर्माण, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता-एकजुटता और नागरिकों की ओर से कर्तव्य पालन की बातें शामिल हैं. उन्होंने कहा, ''जब मोदी जी प्रधानमंत्री बने थे तब देश दुनिया की नौवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था और हमारी इकॉनमी की आकार करीब दो ट्रिलियन डालर हुआ करता था, आज साढ़े तीन ट्रिलियन डॉलर के आकार के साथ भारत दुनिया में पांचवें नंबर की अर्थव्यवस्था बन चुका है.''


'नाजुक पांच से शानदार पांच में अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हुआ भारत'


रक्षा मंत्री राजनाथ ने कहा, ''मोर्गन स्टैनले ने एक शब्द की रचना की थी 'Fragile Five' (नाजुक पांच) यानी दुनिया के वे पांच देश जिनकी अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा रही थी. इसमें भारत भी था.  आज भारत उस कैटगरी से निकल कर दुनिया की 'Fabulous Five' (शानदार पांच) अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया. पिछले साढ़े आठ वर्षों में पीएम मोदी के नेतृत्व में कई प्रक्रियात्मक और  संरचनात्मक सुधार किए गए जिसने भारत को विकास की राह में एक बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार किया है.''


'गरीब बना अर्थव्यवस्था में स्टेक होल्डर'


रक्षा मंत्री ने कहा, ''देश में 46 करोड़ खाते खोले गए और हर गरीब का बैंक में खाता खोला गया. बैंक खाते को आधार और मोबाइल से लिंक किया गया और एक ऐसी पारदर्शी व्यवस्था बन गई जिससे गरीबों के साथ उनकी सब्सिडी और अन्य राहत में होने वाला भ्रष्टाचार समाप्त हो गया और पैसे की भी बचत हुई. आज देश का गरीब सिर्फ बैंक में एक खाताधारक भर नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में स्टेक होल्डर है. यह है हमारी समावेशी नीतियों का परिणाम है.''


'ईज आफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा'


उन्होंने कहा, ''एक समय था जब भारत में साधारण आदमी के लिए अपना व्यवसाय शुरू करना आसान काम नहीं था. हमारे प्रधानमंत्री ने जहां देश में ईज आफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा दिया, वहीं छोटे कारोबारियों के लिए 'प्रधानमंत्री मुद्रा योजना' लेकर आए, जिसमें 50 हजार से दस लाख रूपए तक के कर्ज लोगों को दिए गए. हमारी सरकार ने भारत के आम नागरिकों की नीयत और कार्य क्षमता पर भरोसा किया और आंकड़े देखिए कि मुद्रा लोन के माध्यम से जो छोटी-छोटी राशियां दी गई उनमें एनपीए (Non Performing Asset) की संख्या सात सालों में केवल 3.3 फीसदी रही है.''


'देश में 80,000 रजिस्टर्ड स्टार्टअप'


रक्षा मंत्री ने कहा, ''प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत अब 20 लाख 43 हजार करोड़ रुपये का कर्ज छोटे-मझोले कारोबारियों को दिया गया है. इनमें से 70 फीसदी कर्ज महिलाओं, पिछड़ी जातियों और अनुसूचित जाति वर्ग को दिया गया है. यह हमारे समावेशी विकास का मॉडल है.'' उन्होंने कहा, ''इसी तरह कारोबार की दुनिया में हाल के वर्षों में कई नए स्टार्टअप सामने आए हैं. 2014 में देश में मुश्किल से 400-500 स्टार्टअप थे. आज देश में 80,000 रजिस्टर्ड स्टार्टअप हैं. आज इनमें से 107 दुनिया में यूनिकार्न के रूप में जाने जाते हैं.''


'वह दिन था और आज का दिन'


रक्षा मंत्री ने कहा, ''जब देश की आर्थिक स्थिति समृद्ध होती है तो विदेशों से भी खूब निवेश आता है. कोरोना के संकट के बावजूद देश में रिकार्ड एफडीआई आया है. एक साल में 83 बिलियन डॉलर से अधिक का एफडीआई भारत आया है. आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार  561 बिलियन डालर से भी ज्यादा है. कई लोगों को याद होगा कि 1991 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतना खाली हो गया था कि देश का सोना गिरवी रखने की नौबत आ गई थी. वह दिन था और आज का दिन है, भारत एक नए स्वाभिमान के साथ नई संभावनाओं की दस्तक दे रहा है.''


रक्षा मंत्री राजनाथ ने कहा, ''पिछले 8 वर्षों में आप देखेंगे कि हमारे देश ने अपनी संभावनाओं का फिर से अहसास किया है और उसके सहारे नए लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना शुरू किया.  सरकार ने ऐसे-ऐसे कदम उठाने शुरू किए जो किसी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाले होते हैं.''


राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का जिक्र


रक्षा मंत्री ने कहा, ''आपने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 देखी होगी. उसमें एक तरफ फॉर्मल एजुकेशन तो दूसरी तरफ शिक्षा की शुरूआत में ही व्यावसायिक शिक्षा, साथ ही उद्योग और शिक्षा की सहभागिता का भी प्रावधान आपको मिलेगा. नए-नए आईआईटी, आईआईएम और पॉलीटेक्निक कॉलेज शुरू किए गए. मेडिकल कॉलेज स्थापित करने और मेडिकल सीटों में बड़ी संख्या में बढ़ोत्तरी करने जैसे कई महत्त्वपूर्ण कदम इस सरकार ने उठाए हैं, जो देश में कुशल मानव संसाधन का एक विश्वसनीय स्रोत बनाए.''


'बैंकों के विलय से हुआ फायदा'


रक्षा मंत्री ने कहा, ''2014 में अनेक बैंक एनपीए और घाटे के बोझ तले दबे हुए थे. वे नए लोन  देने की स्थिति में दूर-दूर तक नहीं थे. ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए भी सरकार ने कई सुधार किए. हमने मजबूती से कदम उठाकर कुछ बैंकों का आपस में विलय किया. उन्हें रीकैपिटलाइज किया गया है. 


देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए तकनीकी एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण घटक है.  इसको बढ़ावा देने के लिए भी हमने अनेक कार्य किए हैं. हमारे जो अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान हैं, चाहे वह सीएसआईआर हो या डीआरडीओ हो, हमने उनमें बड़े स्तर पर सुधार लाने का प्रयास किया है.''


रक्षा क्षेत्र में एफडीआई


रक्षा मंत्री ने कहा, ''सरकार की ओर से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मानदंड को सरल करना भी एक महत्त्वपूर्ण कदम है. रक्षा क्षेत्र में पहले यह जहां 49 फीसदी एफडीआई हुआ करता था, अब उसे स्वचालित मार्ग से 74 फीसदी  और सरकारी मार्ग से 100 फीसदी तक कर दिया गया है. इसका भी 25 फीसदी हिस्सा, घरेलू निजी उद्योग के लिए रिजर्व कर दिया गया है. इनके परिणाम अब हमारे सामने आने शुरू हो गए हैं. हमारा रक्षा निर्यात पिछले कुछ वर्षों में सात गुना तक बढ़ गया है, जिसके बारे में पहले कभी सोचा भी नहीं गया था.''


राजनाथ ने कहा, ''हमारे घरेलू उद्योग की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार ने डिफेंस के पूंजी अधिग्रहण का एक निश्चित हिस्सा घरेलू खरीद के लिए रिजर्व कर दिया है. इस वर्ष, यानी 2022-2023 के लिए यह 68 फीसदी यानी लगभग 85,000 करोड़ कर दिया गया है. हमारी सरकार वर्ष 2025 तक रक्षा उत्पादन को 12 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 22 बिलियन डॉलर करने के लिए अथक प्रयास कर रही है. आप कल्पना कर सकते हैं कि इस तरह के विकास के साथ उद्योग के लिए कितने अवसर उपलब्ध होंगे.''


रक्षा मंत्री ने किया ये आह्वान


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ''मैं आज के इस कार्यक्रम के माध्यम से घरेलू उद्योग और विदेशी ओईएम से रक्षा क्षेत्र में निवेश करने और इस अवसर का लाभ उठाते हुए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत होने का आवाहन करता हूं. भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था बड़े कठिन दौर से गुजर रही है लेकिन आप देखेंगे तो अन्य प्रमुख देशों की तुलना में भारत में मुद्रा स्फीति कम है.   


कोविड से दुनिया अभी पूरी तरह उबरी नहीं थी कि तब तक यूक्रेन संघर्ष हमारे सामने आ गया. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और अन्य लॉजिस्टिकल बाधाओं के चलते मूल स्फीति में भी बढ़ोत्तरी हुई है. आपने देखा होगा कि आयकर हो या फिर जीएसटी, गत वर्ष इनका जितना संग्रह हुआ है,  उसके बारे में अब तक सोचा भी नहीं गया था. जब मैं यहां कर संग्रह की बात कर रहा हूं तो यह अपने आप में कोई लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह लोकहित की पूर्ति का साधन है.'' रक्षा मंत्री ने कहा, ''विभिन्न आधारभूत संरचनाएं जैसे सड़कें, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह और शिपिंग बुनियादी ढांचे का निर्माण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है. उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के चलते निजी निवेश बढ़ा है, जो अर्थव्यवस्था में मांग को मजबूत करेगा.''


'गुलामी की मानसिकता से बाहर निकले'


रक्षा मंत्री ने कहा, ''मैं मानता हूं कि मोदी जी के नेतृत्व में देश में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की एक नई शुरुआत भी हुई है. आज हमारा देश गुलामी की मानसिकता को छोड़कर हमारे सांस्कृतिक गौरव की पुर्नस्थापना कर रहा है. हमने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रही औपनिवेशिक मानसिकता को त्याग कर राजपथ का नाम 'कर्तव्य पथ' कर दिया हैं और इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक भव्य प्रतिमा भी लगा दी है ताकि नेताजी से लोग प्रेरणा लेकर अपने कर्तव्यों का पालन करें.   


हाल ही में भारतीय नौसेना का अंग्रेजी निशान भी बदल दिया गया है. भारत के युद्धपोतों पर अब सेंट जार्ज का क्रॉस नहीं, भारतीय नौसेना के छत्रपति शिवाजी महाराज की मुहर से प्रेरित निशान लगाया जा रहा है.'' रक्षा मंत्री ने कहा, ''मैं रक्षा मंत्री के रूप में कई देशों में जाता रहता हूं. अब जब वहां के नेताओं से बात होती है तो वे हमारे प्रधानमंत्री की भरपूर सराहना करते हैं. अब भारत विश्व मंच पर एजेंडा सेटिंग का काम कर रहा है.


रक्षा मंत्री की लोगों से अपील  


हमारा देश 2047 में अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है. ये 100 साल पूरे देश के लिए होंगे, जिसमें हम सब शामिल हैं. उन 100 वर्ष के उपलक्ष्य में आप सभी ने अपने सामने क्या संकल्प लिए हैं, क्या लक्ष्य तय किए हैं, उसका एक रोडमैप बनाएं. आप लोग नए जोश और उत्साह के साथ सामने आएं, अनुसंधान और विकास में निवेश करें, नई प्रौद्योगिकियां और उत्पाद लाएं. यकीन मानिए, आपके उत्पादों का भारत समेत पूरी दुनिया इंतजार कर रही है. मुझे पूरा विश्वास है कि आप लोग इस दिशा में जरूर अपने कदम आगे बढ़ाएंगे.


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