Galwan Valley Incidence: शहीद पति का सपना साकार करने के लिए छोड़ दी सरकारी नौकरी, ऐसे बनीं रेखा सिंह सेना में लेफ्टिनेंट
Martyr Deepak Singh Wife Rekha Singh: चीन के साथ गलवान घाटी में हुई हिंसा में शहीद हुए भारतीय सेना के जवान दीपक सिंह की पत्नी रेखा सिंह की कहानी भी कम प्रेरणादायक नहीं है.

Rekha Singh Story: साल 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) हमला कर देती है और भारतीय सेना के 20 जांबाज शहीद हो जाते हैं. उन्ही में से एक जवान दीपक सिंह की पत्नी रेखा सिंह सेना में अब लेफ्टिनेंट बन गई हैं. दरअसल, शहीद दीपक सिंह के शहीद होने के बाद उनकी पत्नी ने भी सेना की सेवा का प्रण कर लिया था और इसी वजब से वो अपनी सरकारी नौकरी को त्याग सेना में भर्ती होने की ठान लेती हैं.
मध्य प्रदेश के रीवा के रहने वाले शहीद दीपक सिंह की पत्नी रेखा सिंह सरकारी टीचर थीं. वो ये नौकरी छोड़कर अपने पति के सपनों को अपना ख्वाब बना लेती हैं और जमकर मेहनत करती हैं. दो साल बीत जाने के बाद इन सपनों को उस वक्त पंख लग जाते हैं जब वो सेना बतौर लेफ्टिनेंट चुनी जाती हैं. इससे पहले वो सिरमौर के जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ाती थीं. पति की शहादत के बाद रेखा को मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से शिक्षाकर्मी वर्ग- 2 पद में नियुक्ति दी गई थी.
पासिंग परेड में रेखा सिंह होंगी शामिल
इस महीने की 29 तारीख को रेखा सिंह पासिंग परेड में शामिल होने वाली हैं. चीन की सेना के साथ हुई हिंसा में लांस नायक दीपक सिंह शहीद हो गए थे. उन्हें मरणोपरांत वीर च्रक से सम्मानित किया गया था. जब दीपक सिंह की शादी रेखा सिंह से हुई थी, उस वक्त दोनों में से किसी ने सोचा नहीं होगा कि इस तरह की स्थिति सामने आएगी. रेखा सिंह के पति ने उन्हें एक अधिकारी बनने के लिए प्रेरित किया था. दीपक सिंह जब शहीद हुए तो दोनों की शादी को महज एक साल 3 महीने का समय ही बीता था यानि कि 15 महीने. ऐसे में पति की शहादत ने उनके अंदर एक जज्बा भर दिया.
रेखा सिंह की ये राह नहीं रही आसान
रेखा सिंह के अंदर जज्बा आ गया लेकिन उनकी राह इतनी आसान नहीं रही. उन्होंने अपनी टीचर वाली नौकरी छोड़ दी और सेना में भर्ती होने का फैसला कर लिया. इसके लिए प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने लगीं साथ ही साथ फिजिकल ट्रेनिंग की भी प्रैक्टिस करने लगीं लेकिन पहले प्रयास में वो सफल नहीं हो पाईं. इसके बावजूद रेखा सिंह ने हिम्मत नहीं हारी और तैयारी करती रहीं. इसके बाद दूसरे प्रयास में उन्हें सफलता मिली. चयन होने के बाद उनका एक साल की ट्रेनिंग का पीरियड भी पूरा किया.
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