नई दिल्ली: चीन और भारत के बीच सीमा पर हुए झड़प पर वैश्विक स्तर पर भी प्रतिक्रिया देखने को मिली है. ताइवान टाइम्स ने इस घटना को आधार बनाकर एक आर्टिकल लिखा है. इसमें सबसे खास बात खबर की तस्वीर और हेडलाइन है. इस तस्वीर में भगवान राम और एक ड्रैगन को दिखाया गया है. इस तस्वीर के कैप्शन में ताइवान टाइम्स ने लिखा है, ''हम मारेंगे, हम जीतेंगे.'' वहीं खबर की हेडलाइन में लिखा है, ''भारत के राम ने चीन को मारा.'' इस तस्वीर को कई लोगों ने शेयर किया है.


गौरतलब है कि चीन के साथ हुए हिंसक झड़प में भारत के बीस जवान शहीद हो गए हैं. चीन के भी 43 जवानों के हताहत होने की खबर है लेकिन चीन इसे स्वीकार नहीं कर रहा है. जब बुधवार को चीन के प्रवक्ता से इसके बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब देने से इंकार कर दिया.


सीमा पर तनाव के बीच इन मुश्किलों से गुजर रहा है चीन


देश की बेरोजगारी दर में वृद्धि, बढ़ते ऋण और तीव्र आर्थिक मंदी के साथ काफी चीनी नागरिकों में अनिश्चितता और चिंता बढ़ी हुई है, जिसकी वजह से चीन कूटनीतिक तौर पर अपने कदम पीछे रख सकता है. इसके अलावा कोरोना वायरस महामारी के प्रसार की वजह से न केवल विश्व समुदाय बीजिंग पर सवाल उठा रहा है, बल्कि स्थानीय लोगों के बीच भी चीन विरोधी भावनाएं बढ़ गई हैं. वहीं अब देश में कोरोना वायरस के प्रकोप की दूसरी लहर ने भी चीजों को बदतर बना दिया है.


चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कम्युनिस्ट चीन के संस्थापक माओत्से तुंग के बाद से सबसे शक्तिशाली नेताओं में से एक के रूप में उभरे हैं. मगर पिछले कुछ महीनों के दौरान उनकी लोकप्रियता पर भी खासा असर पड़ा है. विश्लेषकों का कहना है कि शी फिलहाल कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह सैन्य आक्रमण मौजूदा दबाव वाले मुद्दों से स्थानीय लोगों का ध्यान भटकाने के लिए एक कदम हो सकता है.


चीनी आर्थिक गतिविधियों ने उत्पादन शुरू करने वाली फैक्ट्रियों के साथ फिर से काम शुरू कर दिया है, मगर दुनिया भर में उसके निर्यात ऑर्डर घटते जा रहे हैं. चीन पिछले कई वर्षों से विभिन्न वस्तुओं का दुनिया का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है.


एक विश्लेषक ने कहा, "चीन यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसा कर सकता है कि देश के लोगों का ध्यान उनके स्थानीय गंभीर मुद्दों से विचलित हो जाए." कई विश्लेषकों ने यह भी कहा है कि चीन अपनी स्वयं की ऋण कूटनीति में फंस सकता है, क्योंकि कई देशों को आगे होने वाले आर्थिक व्यवधानों के कारण उसे ऋण चुकाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.


पाकिस्तान, किर्गिस्तान, श्रीलंका और कुछ अफ्रीकी देशों सहित कई देशों को ऋण या विलंब भुगतान के लिए मजबूर किया जा सकता है. अप्रैल में चीन की बेरोजगारी दर छह फीसदी थी. इसमें असंगठित क्षेत्र के आंकड़े शामिल नहीं है.


एक क्वाट्र्ज रिपोर्ट में कहा गया है, "चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा 15 मई को जारी किए गए नवीनतम आधिकारिक नौकरियों के आंकड़ों में अप्रैल में बेरोजगारी दर छह प्रतिशत रखी गई है, जो मार्च में 5.9 प्रतिशत से थोड़ी ऊपर और फरवरी में रिकॉर्ड 6.2 प्रतिशत की तुलना में कम है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि इसे काफी कमतर आंका गया है. इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट और सोसाइटी जेनरेल के विश्लेषकों ने बेरोजगारी की दर को 10 फीसदी के करीब रखा है."


कोरोना वायरस महामारी के प्रसार के बीच, कई वैश्विक कंपनियों ने पहले ही चीन के बाहर अपनी विनिर्माण इकाईयों को स्थानांतरित करने में रुचि दिखाई है. काफी कंपनियों को डर है कि बेरोजगारी बढ़ने से सामाजिक अशांति भी बढ़ सकती है.


इसके साथ ही चीन कोरोना वायरस महामारी से निपटने में अपनी भूमिका को लेकर भी संदिग्ध बना हुआ है. वहीं हांगकांग और ताइवान के साथ चल रहे हालिया घटनाक्रम पर भी वह सवालों के घेरे में आ चुका है. एक विश्लेषक ने कहा कि हमें यह समझने की जरूरत है कि भारत के खिलाफ इसकी आक्रामकता की खास वजह हो सकती है. उन्होंने कहा कि अपने नागरिकों के बीच उसकी लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए यह एक उपाय के तौर पर हो सकता है.


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