Parliament Winter Session 2022: मेडेन फार्मा (Maiden Pharma) की खांसी (कफ) की दवा के नमूने गुणवत्ता पर खरे पाए गए हैं. सरकार ने गुरुवार (15 दिसंबर) को संसद में यह जानकारी दी. इससे कुछ सप्ताह पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी देते हुए कहा था कि इस बात की आशंका है कि कंपनी के कफ सिरप को गाम्बिया (Gambia) में बच्चों की मौत से जोड़ा जा सकता है.


केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने राज्य औषधि नियंत्रक, हरियाणा के सहयोग से सोनीपत के कुंडली में मेडेन फार्मास्युटिकल्स की एक संयुक्त जांच की थी. जांच का मकसद उन कारणों का पता लगाना था जिसके कारण पश्चिम अफ्रीकी देश में कथित तौर पर 66 बच्चों की मौत हो गई थी.


क्या बोले रसायन और उर्वरक मंत्री?
रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री भगवंत खुबा ने 13 दिसंबर को राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि हरियाणा के राज्य दवा नियंत्रक ने कंपनी को केवल निर्यात के लिए चार दवाओं के निर्माण का लाइसेंस दिया था. इन दवाओं की भारत में बिक्री या विपणन नहीं किया जा सकता है. 


रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री भगवंत खुबा ने कहा कि इन दवाओं के नमूने लिए गए और जांच दल ने परीक्षण और विश्लेषण के लिए उन नमूनों को चंडीगढ़ स्थित क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला में भेजा. सरकारी विश्लेषक की रिपोर्ट के अनुसार नमूनों को मानक गुणवत्ता वाला पाया गया. 


गाम्बिया में क्या हुआ था?
अक्टूबर महीने में पश्चिमी अफ्रीकी देश गाम्बिया में भारत की दवा कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की कफ सिरप पीने से 66 बच्चों की मौत हो गई थी. इस मौत पर प्रतिक्रिया देते हुए डब्ल्यूएचओ ने अलर्ट जारी कर दिया था. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेडरोस अदनहोम गेब्रेहेसुस ने कहा था कि गाम्बिया में पहचानी गई चार दवाओं को लेकर हमने एक अलर्ट जारी किया है.


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