Gambia Childrens Death: मेडेन फार्मा की खांसी (कफ) की दवा के नमूने गुणवत्ता में खरे पाए गए हैं. कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने कहा कि अब वह अपने कारखाने को फिर से खोलने के लिए मंजूरी मांगेगी, क्योंकि सिरप से लिए गए नमूनों में कुछ भी गलत नहीं पाया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को ऐसा संदेह था कि भारत में बने कफ सिरप के कारण ही गाम्बिया में बच्चों की मौत हुई थी.


मेडेन के मैनेजिंग डायरेक्टर नरेश कुमार गोयल ने रॉयटर्स से कहा, "मुझे भारतीय नियामक और न्यायपालिका की प्रक्रियाओं पर पूरा भरोसा है. मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. हम अब अधिकारियों से कारखाने को फिर से खोलने का अनुरोध करने का प्रयास करेंगे, लेकिन मुझे नहीं पता कि ऐसा कब होगा. हम अभी भी इंतजार कर रहे हैं."


कारखाने कर दिए गए बंद


स्वास्थ्य अधिकारियों ने अक्टूबर में हरियाणा के सोनीपत में मेडेन के मुख्य कारखाने में उत्पादन बंद कर दिया था. उस समय डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि इस साल गाम्बिया में 69 बच्चों की मौत से कंपनी के खांसी और ठंडे सिरप जुड़े हो सकती है. हालांकि, अब कंपनी के अधिकारियों ने दावा किया है कि डब्ल्यूएचओ ने गलती से भारत की कंपनी का नाम जोड़ा.


'सैंपल में सबकुछ सही'


हालांकि, 13 दिसंबर को डब्ल्यूएचओ को लिखे एक पत्र में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल वीजी सोमानी ने कहा कि मेडेन के उत्पादों के नमूनों के परीक्षण में सबकुछ सही पाया गया है और उनमें एथिलीन ग्लाइकॉल या डायथिलीन ग्लाइकॉल का पता नहीं चला है. बता दें कि कंपनी के दावे पर डब्ल्यूएचओ ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है. 


'सैंपल रिपोर्ट को विशेषज्ञों के पास भेजा गया'


संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने अक्टूबर में कहा था कि उसके जांचकर्ताओं ने मेडेन के उत्पादों में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल को पाया था और वो भी तय मात्रा से काफी अधिक है. सोमानी ने डब्ल्यूएचओ को लिखे अपने पत्र में कहा कि परीक्षणों के परिणाम आगे की कार्रवाई के लिए विशेषज्ञों के एक पैनल को भेज दिए गए हैं. सरकार ने पहले कहा था कि परीक्षण चंडीगढ़ में राज्य की क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला ने किए थे.


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