Jammu Kashmir: 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या मामले में सुनवाई शुरू होने पर बोले पूर्व विधायक- राजनीतिक हत्याओं पर बने SIT
Jammu Kashmir News: नदिमार्ग नरसंहार मामले पर सुनवाई शुरू होने पर गांदरबल के पूर्व विधायक ने मांग की है कि 1989 के बाद के हत्याकांडों और राजनीतिक हत्याओं के मामलों को लेकर एसआईटी बनाई जाए.
![Jammu Kashmir: 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या मामले में सुनवाई शुरू होने पर बोले पूर्व विधायक- राजनीतिक हत्याओं पर बने SIT Ganderbal Ex MLA Sheikh Ishfaq Jabbar demands reinvestigation of Wandhama massacre and other political killings in Jammu Kashmir ANN Jammu Kashmir: 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या मामले में सुनवाई शुरू होने पर बोले पूर्व विधायक- राजनीतिक हत्याओं पर बने SIT](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/10/30/403e7d2ce1dee21649881bce03ba517b1667129668427488_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Jammu Kashmir Massacres and Political Killings: जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट (Jammu Kashmir High Court) ने नदिमार्ग नरसंहार (Nadimarg Massacre) मामले की सुनवाई फिर से शुरू की है. गांदरबल (Ganderbal) के पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता शेख इश्फाक जब्बार (Sheikh Ishfaq Jabbar) ने हाई कोर्ट के मामले पर फिर से सुनवाई शुरू करने के फैसले का स्वागत किया है और इसे सराहनीय कदम बताया है. इसी के साथ जब्बार ने सरकार से मांग की कि 1989 के बाद के सभी नरसंहारों (Massacres) और राजनीतिक हत्याओं (Political Killings) के मामलों को फिर से खोला जाए.
23 मार्च 2003 की रात को नदिमार्ग में 24 कश्मीरी पंडितों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. सेना की वर्दी पहनकर आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों को एक कतार में खड़ा करके उन पर गोलियां बरसा दी थीं. मारे गए लोगों में 11 महिलाएं, 11 पुरुष और दो बच्चे शामिल थे. गांव के बचे हुए लोग किसी तरह जान बचाकर जम्मू आ गए थे.
क्या कहा गांदरबल के पूर्व विधायक ने?
गांदरबल के पूर्व विधायक जब्बार ने मांग की है कि नरसंहार और राजनीतिक हत्याओं के मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित किया जाए. पूर्व विधायक ने कहा कि वंधामा नरसंहार, राजनीतिक हत्याओं और उनके पिता शेख अब्दुल जब्बार की हत्या के मामलों को फिर से खोला जाए.
शेख ने उपराज्यपाल प्रशासन से आग्रह किया कि न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एसआईटी गठित कर अब तक दर्ज मामलों की गहन जांच कराई जाए और उन पीड़ितों को मंच प्रदान किया जाए जो पहले किसी न किसी कारण से अपने मामलों की शिकायत दर्ज कराने में असमर्थ थे.
1989 के बाद घाटी में हिंदुओं की हत्याएं
बता दें कि 1989 के बाद घाटी में सैकड़ों कश्मीरी पंडितों की हत्या की गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 14 सितंबर 1989 को बीजेपी कार्यकारिणी के सदस्य और अधिवक्ता कश्मीरी पंडित तिलक लाल तप्लू की जेकेएलएफ के आतंकियों ने हत्या कर दी थी. इसके बाद जस्टिस नील कांत गंजू की हत्या की गई.
14 अगस्त 1993 को डोडा नरसंहार में 15 हिंदुओं मार दिया गया. 21 मार्च 1997 को संग्रामपुर में सात कश्मीरी पंडितों को अगवा कर मार डाला गया था. इसके बाद 25 जनवरी 1998 को वंधामा नरसंहार में चार कश्मीरी परिवार के 23 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. 1998 में ही 17 अप्रैल को उधमपुर जिले के प्रानकोट गांव में 27 कश्मीरी हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी, इसमें 11 बच्चे भी शामिल थे.
नहीं थमे आतंकी हमले
2000 में पहलगाम में 30 अमरनाथ यात्रियों की हत्या की गई. 20 मार्च 2000 को चित्ती संघपोरा में 36 सिखों को गुरुद्वारे सामने मार डाला गया. 2001 में डोडा में 6 कश्मीरी हिंदुओं की हत्या की गई. 2001 में ही रेलवे स्टेशन पर सेना की वर्दी में आए आतंकियों ने 11 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. 2002 में जम्मू के रघुनाथ मंदिर में आतंकियों ने दो बार हमला किया. इस साल 30 मार्च और 24 नवंबर, दोनों हमलों के मिलाकर 15 से ज्यादा लोग आतंकी हमले में मारे गए.
2002 में क्वासिम नगर नरसंहार में 29 हिंदुओं की हत्या कर दी गई, जिसमें 13 महिलाओं और एक बच्चे ने भी जान गंवाई. इसके बाद 2003 में नदिमार्ग नरसंहार को अंजाम दिया गया. नदिमार्ग नरसंहार का मुख्य आरोपी लश्कर आतंकी जिया मुस्तफा था, जो 24 अक्टूबर 2021 को पुंछ में मारा गया था. आतंकी को 10 दिन रिमांड पर जेल से बाहर लाया गया था, इस दौरान घुसपैठियों के साथ एनकाउंटर में दो जवानों और आतंकी मुस्तफा को गोली लगी थी.े
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