कश्मीर: कोरोना को हराने के बाद अब घर-घर जाकर लोगों का कोविड सैंपल लेती हैं ये टीचर, काम की हो रही तारीफ
42 साल की बबली रानी जम्मू संभाग के राजौरी की रहने वाली हैं. हालांकि वो पिछले कई सालों से गांदरबल ज़िले के रबितार इलाके में गर्वनमेंट बॉयज़ हाई स्कूल रबितार में हेड मास्टर हैं. आज वह ज़िले की कोरोना वॉरियर के तौर पर मशहूर हैं.
श्रीनगर: कोरोना की जंग में हर कोई अपना योगदान दे रहा है. कोई फ्रंटलाइन वर्कर बन कर तो कोई कोरोना वॉरियर बन कर और कोई जन सेवा करके. ऐसी ही एक कोरोना वॉरियर हैं मध्य कश्मीर के गांदरबल ज़िले की शिक्षिका बबली रानी, जो कोरोना की लड़ाई में आज भी घर घर जाकर लोगों के सैंपल लेने और टेस्टिंग का काम कर रही हैं.
42 साल की बबली रानी जम्मू संभाग के राजौरी की रहने वाली हैं. हालांकि वो पिछले कई सालों से गांदरबल ज़िले के रबितार इलाके में गर्वनमेंट बॉयज़ हाई स्कूल रबितार में हेड मास्टर हैं. आज वह ज़िले की कोरोना वॉरियर के तौर पर मशहूर हैं.
बबली का स्कूल पिछले साल सर्दियों की छुटियों के लिए बंद क्या हुआ आज तक खुला ही नहीं. खुद पिछले साल बबली को कोरोना हो गया था और वो इस बीमारी और इसके साथ जुड़े प्रभावों को खुद झेल चुकी थीं. इसी बीच सरकार की तरफ से जब कर्मचारियों को कोरोना टेस्टिंग में मदद देने का प्रस्ताव दिया गया, तो बबली ने इसे कबूल कर लिया.
बबली आज पूरे गांदरबल ज़िले और खास तौर पर वाकूरा बेल्ट में अपना काम समाज सेवा की नियत से पूरा कर रही हैं. बबली हर सुबह घर से पीपीई किट पहनकर कर अपने बाकी साथियों के साथ निकलती हैं और घर-घर जाकर लोगों में इस महामारी के प्रति जागरूकता फैलाने के साथ-साथ लोगों के कोरोना टेस्ट भी करती हैं.
जम्मू-कश्मीर सरकार ने गांव-देहात में कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने और इससे बचाव के लिए पूरे प्रदेश में विशेष सर्विलांस टीम का गठन किया है, जो दूर दराज़ के गावों में जाकर लोगों की टेस्टिंग और ट्रैकिंग कर रहे हैं. अभी जम्मू कश्मीर में भले ही संक्रमण के हज़ारो मामले रोज़ आ रहे हों, लेकिन दूर दराज़ के गांव कटे होने के कारण इस महामारी से बचे हुए हैं.
जिस सर्विलांस टीम की अगुवाई बबली कर रही हैं, उसने पिछले दो महीनों में 2 हज़ार से ज़ायदा रैपिड एंटिजन टेस्ट और RT-PCR टेस्ट के लिए सैंपल लिए हैं. बबली को इस काम के लिए पहले ट्रेनिंग भी दी गई और आज वह सैंपलिंग एक्सपर्ट हो गयी हैं.
जम्मू के राजौरी की रहने वाली बबली पिछले साल अगस्त महीने के बाद सिर्फ एक बार अपने घर गई हैं, वह भी दिसंबर महीने में सर्दियों की छुट्टी होने के बाद. लेकिन जनवरी महीने में वापसी के बाद से वह लगातार गांव-गांव जाकर लोगों के बीच काम कर रही हैं.
बबली के जज़्बे को उसके साथ काम करने वाले टीम के सदस्य भी सलाम कर रहे हैं. यह काम बबली बिना किसी आर्थिक अनुदान के और समाज सेवा के भाव से कर रही हैं. बबली का कहना है कि अगर उसकी वजह से एक भी व्यक्ति कोरोना से बच जाए तो यह उसके लिए सच्चा इनाम होगा.
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