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Gandhi Jayanti: रंगभेद के शिकार हुए थे महात्मा गांधी, अफ्रीका में धक्के देकर उतारा था ट्रेन से
Gandhi Jayanti: गांधी की इस 150वीं जयंती पर जानें कि आखिर ऐसा क्या हो गया था कि महात्मा गाधी को ट्रेन से धक्के मारकर नीचे उतार दिया गया था.
नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान अतुलनीय है. उन्होंने जिस सत्याग्रह के राह पर चलकर विविधताओं से भरे करोड़ों की आबादी वाले हमारे देश को आजादी दिलाई वो दुनिया के लिए आज भी आश्चर्य का विषय है. लेकिन गांधी को ये शोहरत और प्रसिद्धि यूं ही नहीं मिली. इसके पीछे गांधी की अथक साधना, त्याग और देश के प्रति समर्पण की सर्वोच्च भूमिका है. ऐसे में गांधी की इस 150वीं जयंती पर हम आपको बता रहे हैं एक ऐसा किस्सा जिसमें आखिर ऐसा क्या हो गया था कि महात्मा गाधी को ट्रेन से धक्के मारकर नीचे उतार दिया गया था.
महात्मा गांधी जब 24 साल के थे तो 1893 में दक्षिण अफ्रीका गए थे. गांधी अफ्रीका वहां के एक मशहूर बिजनेसमैन दादा अब्दुल्ला का केस लड़ने गए थे. केस के काम के ही सिलसिले में गाधी को अफ्रीका के एक शहर प्रिटोरिया जाना था. 7 जून, 1893 को उन्होंने डर्बन से प्रिटोरिया जाने के लिए फर्स्ट क्लास ट्रेन का टिकट टिकट लिया. गांधी किसी तरह की अनहोनी से बिल्कुल बेपरवाह अपनी मंजिल की ओर ट्रेन में बढ़े जा रहे थे. लेकिन तभी गांधी के साथ एक ऐसा वाकया हुआ जिसने उन्हें अंदर से झकझोर दिया. दरअसल, गांधी के ट्रेन के फर्स्ट क्लास बोगी में बैठने पर एक यूरोपियन यात्री ने आपत्ति जाहिर कर दी. अफ्रीका में उस समय रंगभेद चरम पर था और काले लोगों को ट्रेन के फर्स्ट क्लास बोगी में बैठ कर सफर करने की इजाजत नहीं थी.
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गांधी ने टीसी को ट्रेन के फर्स्ट क्लास बोगी में यात्रा करने का वेलिड टिकट दिखाया लेकिन टीसी उनकी बातों को सुनने को राजी नहीं था. उसने गांधी को ट्रेन से उतर जाने को कह दिया. गांधी ने टीसी के तुगलकी फरमान का विरोध किया और ट्रेन से उतरने से मना कर दिया. लेकिन 7 जून, 1893 को डर्बन से प्रिटोरिया जा रही उस ट्रेन के टीसी ने इंसानियत की सारी हदें पार करने की कसमें खा ली थी. ट्रेन पीटरमेरिट्जबर्ग स्टेशन पर रुकी और गांधी जी को वहां ट्रेन से धक्के मारकर उतार दिया गया और उनके सारे सामान नीचे फेंक दिए.
महात्मा गांधी के जीवन पर इस घटना का बड़ा असर हुआ. ऐसा माना जाता है कि गांधी जी ने इसी घटना के बाद से सत्याग्रह का मार्ग अपनाया और जीवन भर सत्याग्रह के मार्ग पर चलते रहे. इसके बाद गांधी ने इसी सत्याग्रह की ताकत का इस्तेमाल करते हुए देश को अंग्रेजों की चंगुल से मुक्त कराया. साल 2011 में गांधी जी के 142वें जन्मदिवस पर उनके सम्मान में वहां की सरकार ने पीटरमेरिट्जबर्ग स्टेशन का नाम महात्मा गांधी के नाम पर रखा है. 1915 में गांधी जी अफ्रीका से भारत लौट गए थे.
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