Mukhtar Ansari Political Career: उत्तर प्रदेश की सियासत में बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की सियासत का लगभग अंत हो गया है. कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा सुनाई है जिसके बाद अब राजनीति में उसकी पैठ खत्म होने के करीब आ गई है. एक अरसे तक मऊ सीट पर अपनी धाक जमाए रखने वाला माफिया मुख्तार अंसारी फिलहाल बांदा जेल में बंद है. पिछले 8 महीने में अंसारी को 4 मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है. 


जहां कोर्ट ने माफिया को 10 साल की कैद की सजा दी है तो वहीं उसके बड़े भाई अफजाल अंसारी को भी 4 साल की जेल हुई है. मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी भी सलाखों के पीछे है. वह चित्रकूट जेल में बंद है. उसकी पत्नी निखत अंसारी भी जेल में है. मुख्तार की बीवी भी फरार है जिसपर 50 हजार रुपए का इनाम रखा गया है. माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ वाराणसी, मऊ, गाजीपुर, और आजमगढ़ के अलग-अलग थानों में अपहरण और हत्या समेत कुल 61 मुकदमे दर्ज हैं. हैरत की बात तो यह है कि इनमें से आठ मुकदमे ऐसे हैं जो तब दर्ज हुए हैं जब वह जेल में बंद था.


इन मामलों में हुई सजा
मुख्तार अंसारी को कुल चार मामलों में दस साल की सजा हुई है. 21 सितंबर 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सात साल और 23 सितंबर 2022 को जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की अदालत ने मुख्तार को गैंगस्टर मामले में पांच साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद 15 दिसंबर 2022 को गाजीपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट ने अवधेश राय की हत्या से जुड़े एक मामले और एडिशनल एसपी पर हमले समेत कुल पांच मामलों में माफिया मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा सुनाई थी. अब गाजीपुर की ही एमपी/एमएलए कोर्ट ने मुख्तार को कृष्णाराय मर्डर केस में 10 साल की सजा सुनाई है.


ऐसा रहा सियासी सफर
बड़े-बड़े अपराधों को अंजाम देने वाले माफिया मुख्तार अंसारी ने मऊ दंगे के बाद 25 अक्तूबर 2005 को गाजीपुर कोर्ट में सरेंडर कर दिया. यही नहीं माफिया का पूरा परिवार ही अपराधों में जकड़ा हुआ है और इनपर कुल 97 केस दर्ज हैं. मुख्तार अंसारी ने करीब 26 सालों तक पूर्वांचल की सियासत में अपनी जबरदस्त पकड़ बनाए रखी. साल 1996 में मुख्तार अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर पहली बार मऊ के सदर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता. इसके बाद साल 2002 और 2007 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरा और जीत दर्ज की.


गैंगस्टर की दहशत का अंत
साल 2012 में उसने कौमी एकता दल नाम की अपनी पार्टी बनाई और चुनाव लड़ा. इन चुनावों में भी उसे जीत मिली. इसके बाद 2017 में भी अपनी पार्टी से ही चुनावी जंग जीती. साल 2022 में उसने अपनी जगह अपने बेटे अब्बास को प्रत्याशी बनाया. उसके बेटे अब्बास अंसारी ने सुभासपा के टिकट पर चुनाव लड़कर पिता की विरासत को संभाला. अब कोर्ट ने उसे सजा सुना दी है और कहा जा रहा है कि यह गैंगस्टर की दहशत का अंत है.


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