Mukhtar Ansari Case: खुद को यूपी का रॉबिनहुड समझता था मुख्तार अंसारी, जेल से खेला था कृष्णानंद राय की हत्या का खेल
Mukhtar Ansari Case: जेल के अंदर से ही मुख्तार ने कृष्णानंद राय की हत्या की साजिश रची थी. मुख्तार के आदेश पर उसके शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी ने साथियों के साथ मिलकर कृष्णानंद राय पर गोलियां बरसाई थीं.
Mukhtar Ansari Case: गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के अपराधों का हिसाब अब शुरू हो चुका है. मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में 10 साल की सजा सुनाई गई है. बता दें कि गैंगस्टर मुख्तार को पिछले 8 महीने में चौथी बार सजा हुई है. वहीं अदालत ने मुख्तार के भाई और सांसद अफजाल अंसारी को भी 4 साल की सजा सुनाई है. मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद है.
22 जनवरी 1997 को जवाहर नगर कॉलोनी, थाना भेलपुर, वाराणसी कोयला कारोबारी नंद किशोर रुंगटा के घर एक शख्स पहुंचता है जो खुद को हजारीबाग का कोयला व्यवसायी बताता है. वह अपना नाम विजय बताते हुए रुंगटा के घर में दाखिल होता है और दोनों के बीच बिजनेस को लेकर बातचीत शुरू होती है. विजय नाम का जो शख्स रुंगटा से मिलने गया था वो दस्तावेज दिखाने के बहाने उन्हें घर से बाहर लाता है जिसके बाद दोनों बाहर खड़ी कार में बैठते हैं. वे चाय पीते हुए कोयले की डील पर बात करते हैं और फिर बात करते-करते ही वो कार अचानक गायब हो जाती है.
VHP के कोषाध्यक्ष के अपहरण का आरोप
उसी दिन कुछ घंटों के बाद रुंगटा हाउस में फोन की घंटी बजती और पता चलता है कि कि नंद किशोर रुंगटा का अपहरण कर लिया गया है. रुंगटा की रिहाई के बदले करीब 3 करोड़ रुपए की फिरौती भी मांगी गई. गौरतलब है कि नंद किशोर रुंगटा न सिर्फ एक कोयला कारोबारी थे, बल्कि विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष भी थे.
उनके अपहरण की खबर मिलते ही वाराणसी समेत पूरे देश में खलबली मच जाती है. कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो रुंगटा को बचाने के लिए एक करोड़ रुपये की पहली किश्त भी दे दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद नंद किशोर रुंगटा का कोई पता नहीं चला. इस अपहरण और हत्याकांड का आरोप मुख्तार अंसारी पर लगा. उस वक्त मुख्तार अंसारी मऊ से बाहुबली विधायक हुआ करता था.
बड़े भाई अफजाल अंसारी की हार से बौखलाया था मुख्तार
ये वो दौर था जब मुख्तार अंसारी का आपराधिक आभामंडल आकार ले रहा था. उसके बाहुबल के किस्से सुने और सुनाए जा रहे थे. रंगदारी, ठेकेदारी, फिरौती, हत्या और वसूली की सीढ़ी चढ़कर मुख्तार अंसारी लगातार तरक्की कर रहा था और उसके खिलाफ उठने वाली हर आवाज दबाई जा रही थी. जब पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी के नाम का सिक्का चल रहा था. वो अपराध और राजनीति दोनों को समानांतर साधकर आगे बढ़ रहा था.
तभी 2002 में उसे सबसे बड़ा सियासी झटका लगा जब अंसारी फैमिली के गढ़ रहे मोम्मदाबाद विधानसभा सीट पर मुख्तार के बड़े भाई चुनाव हार गए. मुख्तार अंसारी के भाई को हराने वाले कृष्णानंद राय थे जो कि दबंग छवि के थे. कृष्णानंद के समर्थन में मुख्तार अंसारी के जानी दुश्मन बृजेश सिंह ने जमकर प्रचार भी किया था.
ये वही बृजेश सिंह था, जिसके साथ कुछ ही महीने पहले मुख्तार की बारूदी भिड़ंत हुई थी. कृष्णानंद राय के हाथों बड़े भाई अफजाल अंसारी की हार को मुख्तार बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसे अपने रूआब के खिलाफ समझने लगा. कृष्णानंद राय की जीत और ऊपर से कृष्णानंद राय की कृपा से ठेकेदारी में बृजेश सिंह का बढ़ता वर्चस्व देख मुख्तार अंसारी बौखला गया.
चंद मिनटों में दागी थी 500 राउंड गोलियां
29 नवंबर 2005 मोहम्मदाबाद सीट से बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय पड़ोस के गांव में एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने के लिए अपने घर से निकले. उस दिन कृष्णानंद राय बुलेट प्रूफ गाड़ी की बजाय दूसरी गाड़ी में बैठे थे और उनके साथ उनके समर्थकों का काफिला भी था. वे क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन कर एक दूसरे गांव के लिए चल दिए.
कुछ दूर आगे बढ़े थे कि रास्ते में एक एसयूवी से उतरे लोगों ने AK-47 लिए कृष्णानंद राय की गाड़ी को चारों तरफ से घेरकर गोलियां दागनी शुरू कर दी. चंद मिनटों के अंदर करीब 500 राउंड गोलियां दागी गई. इस गोलीबारी में कृष्णानंद राय समेत सात लोग मारे गए और इसका आरोपी मुख्तार अंसारी था.
कृष्णानंद राय मर्डर केस में CBI कोर्ट ने किया था बरी
जब यह सब हुआ तो माफिया डॉन मुख्तार अंसारी जेल में बंद था. FIR के मुताबिक जेल के अंदर से ही मुख्तार ने कृष्णानंद राय की हत्या की साजिश रची थी. मुख्तार के आदेश पर उसके शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी ने साथियों के साथ मिलकर कृष्णानंद राय पर गोलियां दागी थी. कृ
ष्णानंद राय की हत्या से कोहराम मच गया था और पूरा उत्तर प्रदेश हिल गया था. बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर केस दर्ज हुआ और CBI जांच की मांग उठी, लेकिन 2019 में मुख्तार और अफजाल के अलावा पांच और आरोपियों को CBI कोर्ट ने बरी कर दिया.
MP-MLA कोर्ट ने सुनाई 10 साल की सजा
कृष्णानंद राय केस में हिस्ट्रीशीटर मुख्तार अंसारी की मुश्किलें खत्म नहीं हुई थी, क्योंकि 2007 में मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी पर गैंगस्टर एक्ट में भी केस दर्ज हुआ था. 2005 में जब कृष्णानंद राय की हत्या हुई थी तब मुख्तार अंसारी मऊ विधानसभा सीट से विधायक था और MP-MLA कोर्ट में गैंगस्टर एक्ट में सुनवाई हुई.
MP-MLA कोर्ट में गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की हिस्ट्री खुली और गैंगस्टर एक्ट के तहत मुख्तार के खिलाफ नंद किशोर रुंगटा और कृष्णानंद राय हत्याकांड के मामले में सुनवाई हुई. 15 अप्रैल को ही मुख्तार के किस्मत का फैसला होना था, मगर तब जज छुट्टी पर चले गए थे और सुनवाई के लिए नई तारीख तय गई. बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया और कोर्ट ने उसे 10 साल की सजा सुना दी.