Gaurav Gogoi On PM Modi: संसद के बजट सत्र से पहले प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने अपनी पार्टी के नेता और असम से सांसद गौरव गोगोई को अहम जिम्मेदारी दी. उन्हें लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की टीम का हिस्सा बनाते हुए लोकसभा में पार्टी का उपनेता बनाया. अहम जिम्मेदारी मिलने के बाद उन्होंने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया.  


न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने असम में बाढ़ के मुद्दे पर कहा, "एक पूर्वोत्तर राज्य से प्रतिनिधि होने के नाते, मैं संसद में पूरे पूर्वोत्तर की आवाज उठाने की कोशिश करूंगा. इस बार पूर्वोत्तर से कांग्रेस सांसदों की संख्या में इजाफा हुआ है. मैं जानना चाहता हूं कि बाढ़, नदी और समुद्र के कटाव के मुद्दों पर केंद्र सरकार क्या कर रही है. अगर केंद्र के पास मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने के लिए पैसा है तो क्या वह बाढ़ नियंत्रण के लिए भी ऐसा ही पैकेज नहीं दे सकता है."


महंगाई और बेरोजगारी को लेकर पीएम मोदी पर साधा निशाना


उन्होंने कहा, "मुझे पीएम मोदी और सरकार से कोई उम्मीद नहीं है. पीएम मोदी के पास अंबानी और अडानी के लिए अभी भी समय है, लेकिन गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए नहीं. महंगाई और बेरोजगारी जारी रहेगी. कुछ मार्केटिंग नौटंकी रहेगी और पीएम कुछ आकर्षक शब्दों का इस्तेमाल करेंगे, लेकिन मुझे उनसे महंगाई और बेरोजगारी से लड़ने के लिए कोई ठोस कदम उठाने की उम्मीद नहीं है. अगर कोई और पीएम होता तो बीजेपी महंगाई के खिलाफ कदम उठा सकती थी.”


इसके अलावा नीट यूजी पेपर लीक मामले पर उन्होंने कहा, “NEET को लेकर एक मुद्दा है, लेकिन शिक्षा मंत्री को बरकरार रखा गया है. इसी तरह, महंगाई और बेरोजगारी है, लेकिन वित्त मंत्री को बरकरार रखा गया है. मणिपुर में अशांति के बाद भी सीएम और गृह मंत्री को बरकरार रखा गया है. आप देखेंगे कि राहुल गांधी संसद के अंदर और बाहर राष्ट्रीय मुद्दे उठा रहे हैं."


बजट सत्र को लेकर क्या बोले गौरव गोगोई?


संसद के आगामी बजट सत्र पर पार्टी सांसद गौरव गोगोई ने कहा, "हम चाहते हैं कि सदन तटस्थ रहे. हमें खेद है कि हमारे नेता राहुल गांधी के सदन में दिए गए बयानों के कुछ हिस्सों को रिकॉर्ड से हटा दिया गया. हमें अभी भी नहीं पता कि ऐसा क्यों किया गया. विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल जी जो भी कहते हैं, जिम्मेदारी के साथ कहते हैं. उनके शब्दों का वजन संसदीय रिकॉर्ड में दिखना चाहिए."


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