Gautam Adani controversy: अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिका में लगे आरोपों ने भारतीय राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है. कांग्रेस सांसदों ने इसे लेकर संसद में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दाखिल किया है और मोदी सरकार से जवाबदेही की मांग की है. इसके अलावा उद्योगपति गौतम अदाणी के खिलाफ अमेरिका में रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप में अभियोग चलाने के संबंध में जांच का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय में एक नई याचिका दायर की गई है.
गौतम अदाणी और उनके साथ सात अन्य व्यक्तियों पर आरोप है कि उन्होंने भारत सरकार के अधिकारियों को $265 मिलियन की रिश्वत देने की साजिश रची. यह कथित रिश्वत भारत की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना से जुड़े अनुबंध प्राप्त करने के लिए दी गई.
अदाणी समूह ने आरोपों को "निराधार" करार दिया है और हर कानूनी सहारा लेने की बात कही है. समूह ने बयान में कहा है कि अमेरिकी न्याय विभाग और प्रतिभूति आयोग द्वारा लगाए गए आरोप तथ्यहीन हैं और इन्हें खारिज किया गया है. हालांकि, इसी बीच कांग्रेस नेता मनिकम टैगोर और मनीष तिवारी ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस देकर मामले की चर्चा की मांग की उनका कहना है कि अदाणी मामले पर मोदी सरकार की चुप्पी भारत की अखंडता को दर्शाती है. बता दें कि अगर इस मामले पर संसद में चर्चा होती है, तो यह कई नीतिगत और राजनीतिक पहलुओं को उजागर कर सकती है.
अर्थव्यवस्था पर असर
इस घटनाक्रम से भारत की नियामक और निरीक्षण प्रक्रियाओं की सुदृढ़ता पर प्रश्न उठे हैं. इसके अलावा आरोपों के बाद अदाणी समूह के शेयरों का बाजार मूल्य दो सत्रों में $27.9 बिलियन गिर गया है. इस मुद्दे से भारत में विदेशी निवेशकों का भरोसा प्रभावित हो सकता है. यह घटना भारत के नियामक तंत्र और पारदर्शिता पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने का अवसर प्रदान करती है.
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