Adani-Hindenburg Row: अडानी-हिंडनबर्ग विवाद से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (12 मई) को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जांच के लिए समय मांगते हुआ कहा कि सेबी को जांच पूरी करने के लिए 6 महीने का समय चाहिए. इसके पीछे उन्होंने मामले की जटिलता का हवाला दिया.


इसपर सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि पिछला आदेश क्या था? फिर तुषार मेहता ने आदेश को पढ़ा. दरअसल पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज जस्टिस सप्रे की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी. कमेटी से निवेशकों की सुरक्षा के लिए उपाय सुझाने को कहा था. सेबी से भी 2 महीने में जांच करने के लिए कहा था. 


क्या दलील दी गई? 
समय दिए जाने का विरोध कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने कई देशों के बीच हुई एक संधि का हवाला देते हुए कहा कि सेबी विदेशों से जानकारी जुटा सकता है. इस पर मेहता ने कहा कि हमने विदेशों से जानकारी मांगी है. इसका जवाब देते हुए भूषण ने कहा कि इन्हें पहले ही ऐसा करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि सेबी भी International Organization of Securities Commissions का सदस्य है. वह उसी के जरिए जानकारी जुटाने की मांग कर रहे हैं. 


सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने क्या कहा? 
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें मामले में सप्रे कमेटी की रिपोर्ट मिली है. हम इसे देख नहीं पाए इस कारण अगली सुनवाई सोमवार (15 मई) को होगी. इसी दिन आपके (सेबी के) आवेदन पर भी आदेश देंगे. सीजेआई  ने प्रशांत भूषण की दलील पर कहा कि हम इस पर भी विचार करके आदेश देंगे. 


मामला क्या है?
अडानी ग्रुप पर शेयर मूल्यों में हेरफेर और त्रुटिपूर्ण नियामकीय जानकारी देने का आरोप है. इस पर कोर्ट ने 10 फरवरी को कहा था कि अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आने के बाद शेयर बाजार में अस्थिरता को लेकर भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा किए जाने की जरूरत है.  इस पर अडानी समूह ने कहा था कि उसने सभी कानूनों का पालन किया है. 


बचा दें कि हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह के शेयरों के मूल्यों में भारी गिरावट देखने को मिली थी.


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