नई दिल्ली. बीते दिनों कई सांसदों और अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण सुर्खियों में रही संसद की शहरी विकास संबंधी की बैठक बुधवार को एक बार फिर आयोजित की गई. संसद भवन में आयोजित इस बैठक में अबकी बार 23 सांसद ही नहीं कई आला अफ़सर भी तैयारी के साथ पहुँचे थे. करीब ढाई घण्टे तक चली बैठक में जहां मंत्रालयों और दिल्ली के तीन नगर निगमों ने प्रदूषण कम करने की कोशिशों का ब्यौरा दिया नहीं संसदीय समिति के तीखे सवालों का भी सामना किया.


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संसद भवन में करीब तीन बजे शुरु हुई इस बैठक में केंद्रीय पर्यावरण सचिव और शहरी विकास सचिव ने प्रेजेंटेशन दिए. वहीं दिल्ली के तीन नगर निगमों के आयुक्तों ने भी प्रदूषण को घटाने के लिए किए कामों का ब्यौरा दिया. सूत्रों के मुताबिक बैठक में अधिकारियों के इस बात के लिए समिति के सदस्यों से फटकार भी झेलनी पड़ी कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर संसद में उठी चिंताओं के बावजूद स्थिति में कोई प्रभावकारी अंतर नहीं आया है. साथ ही इस बात को लेकर भी सवाल उठाए गए कि आम लोगों की परेशानियां बढ़ रही हैं और अधिकारी एक-दूसरे पर दोष मढ़ रहे हैं.


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सूत्रों के मुताबिक बैठक में दिल्ली के तीन नगर निगमों ने धन की कमी का मुद्दा उठाया. वहीं केंद्र सरकार के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में प्रदूषण घटाने और स्वच्छता अभियान के लिए 300 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं जिसमें से 140 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी भी कर दी गई है. सूत्र बताते हैं कि बैठक के दौरान सदस्यों ने शंघाई, दक्षिण कैलिफोर्निया और लंदन के उदाहरणों का हवाला देते हुए सवाल उठाए कि जब इन जगहों पर प्रदूषण घटाया जा सकता है तो फिर दिल्ली में क्यों नहीं?


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बताया जाता है कि बैठक के दौरान पूर्वी दिल्ली से सांसद गौतम गंभीर ने गाजीपुर लैंडफिल और उसके कारण फैल रहे प्रदूषण का मामला उठाते हुए सवाल उठाए कि इसको कम करने के लिए अपेक्षित सहयोग उन्हें नहीं मिल पा रहा है. सदस्यों ने दिल्ली में कचरे का पहाड़ कहलाने वाले भिलस्वा लैंडफिल में लगी आग के कारण प्रदूषण व जहरीली गैसों का भी मामला उठाया. गौरतलब है कि 15 नवंबर को संसदीय समिति की बैठक में अनुपस्थिति के कारण गौतम गंभीर को काफी आलोचना का भी सामना करना पड़ा था. वहीं लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने भी समिति की बैठक से सांसदों और सरकारी अधिकारियों के अनुपस्थिति पर नाराजगी जताई थी.


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उल्लेखनीय है कि 15 नवंबर को आयोजित बैठक में महज चार सांसद ही पहुंचे थे. वहीं कई वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित नहीं थे. इसकी खबरें सामने आने पर सांसदों को सोशल मीडिया ही नहीं अपनी पार्टी के भीतर भी सवालों का सामना करना पड़ा था.