HC On Gautam Gambhir Defamation Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार (17 मई) को पूर्व क्रिकेटर और बीजेपी सांसद गौतम गंभीर की उस याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया जिसमें एक अखबार पर मानहानि का मुकदमा किया गया था. गंभीर के वकील ने जब अंतरिम राहत के लिए दबाव डाला तो जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, “आप एक पब्लिक सर्वेंट हैं. आपको इतना संवेदनशील होने की जरूरत नहीं है.”


एक अखबार पर मानहानि के मुकदमे के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने गौतम गंभीर को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है और मामले को अक्टूबर में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. गंभीर ने अपने मुकदमे में अंतरिम राहत की मांग करते हुए आवेदन दायर किया था, जिसमें उनके खिलाफ कुछ "दुर्भावनापूर्ण और झूठे प्रकाशन" प्रकाशित करने के लिए अखबार से बिना शर्त लिखित माफी मांगी गई थी.


जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने जारी किया नोटिस और समन


एडवोकेट जय अनंत देहदराय के जरिए से दायर किए गए मुकदमे में गौतम गंभीर ने इस अखबार से 2 करोड़ रुपये का हर्जाना भी मांगा है. इस मुकदमे में अखबार के प्रधान संपादक और तीन पत्रकार प्रतिवादी हैं. जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने मुख्य मुकदमे पर मीडिया हाउस और चार अन्य को नोटिस और समन जारी किया.


अंतरिम राहत के रूप में, गंभीर ने अखबार को अदालती आदेश देने की मांग की थी कि उन्हें निशाना बनाने वाले कथित मानहानिकारक प्रकाशनों को तुरंत वापस लिया जाए और मुकदमे के लंबित रहने के दौरान इस तरह के आरोप लगाने से रोका जाए.


गंभीर के वकील ने क्या कहा?


गंभीर के वकील जय अंत देहदराय का कहना है कि ये आर्टिकल बेहद दुर्भावनापूर्ण हैं. ऐसा लगता है कि गंभीर की इमेज को खराब करने के लिए अखबार ने ये जानबूझकर किया है. वहीं, अखबार का कहना है कि गंभीर एक सांसद भी हैं. उन्होंने खुद दो नावों पर यात्रा करने का फैसला किया है. वो सिर्फ हमारे अखबार को लेकर ही इतने संवेदनशील क्यों हैं, अन्य पब्लिकेशन्स के लिए क्यों नहीं? इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इतना संवेदनशील होने की जरूरत नहीं है.