गौतम गंभीर ने मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग की, कहा- इनसे बड़ा खिलाड़ी न पैदा हुआ है, न होगा
मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहने के पीछे का कारण उनका मैदान पर प्रदर्शन है. उन्होंने साल 1928, 1932 और 1936 में तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते.
नई दिल्ली: देश हर साल 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर और सांसद गौतम गंभीर ने मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की है. साथ ही गंभीर ने ध्यानचंद की प्रशंसा करते हुए कहा है कि इनसे बड़ा खिलाड़ी न तो पैदा हुआ है और न होगा.
गौतम गंभीर ने कहा, "हिन्दुस्तान के इतिहास में मेजर ध्यानचंद से बड़ा खिलाड़ी न तो पैदा हुआ है और न होगा. वो देश के लिए इतने गोल्ड मेडल लाए और उस समय लाए जब खेल इतना पॉपुलर नहीं था. मैं चाहूंगा कि मेजर ध्यानचंद को जल्दी से जल्दी भारत रत्न मिले. इससे पूरे देश को बहुत खुशी होगी."
हॉकी का जादूगर मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहने के पीछे का कारण उनका मैदान पर प्रदर्शन है. उन्होंने साल 1928, 1932 और 1936 में तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते. इस खिलाड़ी के कामयाबी का किस्सा यहीं नहीं खत्म होता. ध्यानचंद ने अपने करियर में 400 से अधिक गोल किए. भारत सरकार ने ध्यानचंद को 1956 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया. इसलिए उनके जन्मदिन यानी 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है.
मेजर ध्यानचंद को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया. उन्हें साल 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. ध्यानचंद ने हॉकी में एक के बाद एक कीर्तिमान जो बनाए उन तक आज भी कोई खिलाड़ी नहीं पहुंच सका है. इस महान खिलाड़ी की याद में आज का दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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