नई दिल्ली: गिरीश चंद्र मुर्मू भारत के नए नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) होंगे. मुर्मू मौजूदा सीएजी राजीव महर्षि की जगह लेंगे. बता राजीव महर्षि 8 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. सीएजी एक संवैधानिक पद है, इसीलिए उसे खाली नहीं छोड़ा जा सकता. जिसके चलते मुर्मू की नियुक्ति हुई. मुर्मू इससे पहले जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल के पद पर तैनात थे. लेकिन फिर उन्होंने अचानक इस्तीफा दे दिया. फिलहाल, मुर्मू की जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया.
सीएजी यानि नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी सीएजी या कैग एक संवैधानिक पद है. कैग का काम सरकारी खातों और धन व्यय की जांच करना है. दरअसल, सरकार जो भी धन खर्च करती है, कैग उस खर्च की गहराई से जांच पड़ताल करता है और पता लगाता है कि धन सही से खर्च हुआ है या नहीं. यह केंद्र और राज्य सरकार दोनों के सार्वजनिक खातों और आकस्मिक निधि का परीक्षण करता है.
इन विभागों की करता है जांच
सीएजी, भारतीय रेल, डाक और दूरसंचार विभाग के अलावा केंद्र और राज्य के सभी विभागों की लेखा परीक्षा करता है. इस तरह सीएजी करीब 1500 सरकारी वाणिज्यिक कंपनियों और निगम की लेखा परीक्षा करता है. इनके अलावा 400 गैर वाणिज्यिक प्राधिकरणों और स्वायत्त निकायों की भी लेखा परीक्षा करता है.
सीएजी का इतिहास
यूं तो सीएजी की शुरुआत 1858 में हुई थी, तब भारत अंग्रेजों के अधीन था. लेकिन फिर स्वंत्रता प्राप्ति तक कई बदलाव हुए और बाद में संविधान के अनुच्छेद 148 में सीएजी की नियुक्ति का प्रावधान किया गया. सीएजी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. फिर, साल 1971 में सीएजी अधिनियम लागू हुआ, जिसमें सीएजी के कर्तव्य, शक्तियों और सेवा की शर्तों का उल्लेख था.
ब्रिटेन और भारत के सीएजी में अंतर
ये तो स्पष्ट हो गया कि सीएजी की विचार अंग्रेजों का था लेकिन आजादी के बाद इसे भारतीय स्वरूप में ढाल दिया गया. मौजूदा दौर में भारत का कैग और ब्रिटेन के सीएजी में एक बहुत स्पष्ट अंतर है. ब्रिटेन में सीएजी की मंजूरी के बाद भी धन खर्च होता है वहीं, भारत में धन खर्च होने के बाद सीएजी उसका ऑडिट करता है. भारत में सीएजी संसद का सदस्य नहीं है. वहीं, ब्रिटेन में सीएजी वहां की संसद यानि हाउस ऑफ कॉमन्स का सदस्य है.
सीएजी को हटाना
सीएजी के काम और शक्तियों को देखते हुए उन्हें हटाने यानि पदमुक्त करने की प्रक्रिया भी निर्धारित है. सीएजी को हटाने के लिए संविधान में दर्ज प्रक्रिया का ही पालन करना होगा. यह ठीक वैसी है जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश को हटाने की प्रक्रिया है.
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