नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पूर्व उप-राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने शनिवार को भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) का पदभार संभाल लिया है. राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में आयोजित समारोह में मुर्मू ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष पद की शपथ ली. गुजरात कैडर के 1985 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी (सेवानिवृत) मुर्मू का कैग के तौर पर कार्यकाल 20 नवंबर 2024 तक होगा.


कैग एक संवैधानिक पद है जिसपर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के खातों की लेखापरीक्षा करने की प्राथमिक जिम्मेदारी है. कैग की लेखापरीक्षा रिपोर्टों को संसद और राज्य विधानसभाओं में पेश किया जाता है. दरअसल, सरकार जो भी धन खर्च करती है, कैग उस खर्च की गहराई से जांच पड़ताल करता है और पता लगाता है कि धन सही से खर्च हुआ है या नहीं. यह केंद्र और राज्य सरकार दोनों के सार्वजनिक खातों और आकस्मिक निधि का परीक्षण करता है.





CAG का इतिहास
सीएजी की शुरुआत 1858 में हुई थी, तब भारत अंग्रेजों के अधीन था. आजादी तक इसमें कई बदलाव हुए और बाद में संविधान के अनुच्छेद 148 में सीएजी की नियुक्ति का प्रावधान किया गया. सीएजी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. फिर, साल 1971 में सीएजी अधिनियम लागू हुआ, जिसमें सीएजी के कर्तव्य, शक्तियों और सेवा की शर्तों का उल्लेख था.


सीएजी का विचार अंग्रेजों का था लेकिन आजादी के बाद इसे भारतीय स्वरूप में ढाल दिया गया. मौजूदा दौर में भारत का कैग और ब्रिटेन के सीएजी में एक बहुत स्पष्ट अंतर है. ब्रिटेन में सीएजी की मंजूरी के बाद भी धन खर्च होता है वहीं, भारत में धन खर्च होने के बाद सीएजी उसका ऑडिट करता है. भारत में सीएजी संसद का सदस्य नहीं है. वहीं, ब्रिटेन में सीएजी वहां की संसद यानि हाउस ऑफ कॉमन्स का सदस्य है.


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