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आर्थिक मोर्चे पर बढ़ी चुनौती: जीडीपी विकास दर पांच साल में सबसे कम, 5.8% पर आई

आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा है कि 6.8 फीसदी वार्षिक जीडीपी वृद्धि के आंकड़ों के लिहाज से भी भारत दुनिया में सबसे ऊंची वृद्धि हासिल करने वाला देश बना हुआ है.

नई दिल्लीः शपथ लेने के बाद नरेन्द्र मोदी सरकार के लिये शुक्रवार का पहला दिन आर्थिक मोर्चे पर बुरी खबर लेकर आया. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के अनुसार कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन से 2018-19 की चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 5.8 फीसदी रही जो पांच साल में सबसे कम है. इससे भारत आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर चीन से पिछड़ गया.

राष्ट्रीय आय पर सीएसओ के आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में पूरे साल के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर भी घटकर पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 फीसदी (2011-12 की कीमतों पर) रही है. इससे पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी विकास दर 7.2 फीसदी रही थी.

आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा है कि 6.8 फीसदी वार्षिक जीडीपी वृद्धि के आंकड़ों के लिहाज से भी भारत दुनिया में सबसे ऊंची वृद्धि हासिल करने वाला देश बना हुआ है.

सीएसओ द्वारा जारी बेरोजगारी का 2017-18 का आंकड़ा भी चिंता बढ़ाने वाला है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में 2017-18 में बेरोजगारी दर कुल उपलब्ध कार्यबल का 6.1 फीसदी रही जो पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा है. आम चुनाव से पहले बेरोजगारी के आंकड़ों पर जो रिपोर्ट लीक हुई थी शुक्रवार को सरकारी आंकड़ों में उसकी पुष्टि हो गई.

हालांकि, मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव ने जोर देकर कहा कि रोजगार के इस नये सर्वेक्षण की पिछले आंकड़े से तुलना नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि नये सर्वेक्षण में मापने के तौर-तरीके अलग हैं. इसकी पिछले आंकड़ों से तुलना ठीक नहीं. उन्होंने कहा ‘‘वह यह दावा नहीं करना चाहते कि आंकड़ा 45 साल का न्यूनतम या अधिक है क्योंकि यह एक अलग पैमाना है.’’

आठ बुनियादी उद्योगों की दर आठ बुनियादी उद्योगों में भी अप्रैल में नरमी रही. इस क्षेत्र में वृद्धि दर धीमी पड़कर 2.6 फीसदी रह गयी. कुल औद्योगिक उत्पादन में इस सेगमेंट की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है. बहरहाल, वित्तीय मोर्चे पर कुछ राहत रही. वित्त वर्ष 2018-19 के लिये राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.39 फीसदी रहा है जो बजट के 3.40 फीसदी के संशोधित अनुमान की तुलना में मामूली कम है.

जीडीपी आंकड़े पर टिप्पणी करते हुए आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि मार्च 2019 को खत्म वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट एनबीएफसी क्षेत्र में दबाव जैसे अस्थायी कारकों की वजह से आई है. उन्होंने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में भी आर्थिक गतिविधियां धीमी रह सकती है लेकिन उसके बाद इसमें तेजी आएगी.

गर्ग ने यह भी कहा कि 6.8 फीसदी सालाना आर्थिक वृद्धि के आधार पर भी भारत दुनिया की सबसे तेजी से वृद्धि हासिल करने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है. हालांकि 2018-19 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.8 फीसदी रही जो चीन की जनवरी-मार्च 2019 को समाप्त तिमाही में 6.4 फीसदी वृद्धि के मुकाबले कम है.

सीएसओ के आंकड़े के मुताबिक सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) 2018-19 की चौथी तिमाही 5.7 फीसदी रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 7.9 फीसदी थी. आर्थिक गतिविधियों में गिरावट का मुख्य कारण कृषि और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर्स का खराब प्रदर्शन है.

कृषि, वानिकी और मत्स्यन क्षेत्रों का जीवीए 2018-19 की चौथी तिमाही में 0.1 फीसदी घटा जबकि 2017-18 की चौथी तिमाही में इसमें 6.5 फीसदी की वृद्धि हुई थी.

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में नरमी काफी तेज रही. जीवीए वृद्धि दर आलोच्य तिमाही 3.1 फीसदी रही जो 2017-18 की चौथी तिमाही में 9.5 फीसदी थी.

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