गीतिका शर्मा सुसाइड केस: गोपाल कांडा बरी, लेकिन नहीं मिले इन 4 सवालों के जवाब
गीतिका शर्मा कांडा की एयरलाइंस में काम करती थीं. पांच अगस्त 2012 को उत्तर पश्चिम दिल्ली के अशोक विहार स्थित अपने आवास पर मृत पाई गईं. इस पूरे मामले में कांडा को आरोपी बनाया गया था.
गीतिका शर्मा ... उम्मीद से भरी एक 23 साल की लड़की... अपनी मेहनत और हिम्मत से अपने सपनों का आसमान छूना चाहती थी... लेकिन एक दिन उसकी हिम्मत टूट गई और आत्महत्या कर ली. गीतिका शर्मा को आत्महत्या के मामले में हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल गोयल कांडा को मंगलवार को दिल्ली को निचली अदालत ने बरी कर दिया. विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने मामले में सह-आरोपी अरुणा चड्ढा को भी बरी करते हुए कहा कि दूसरा पक्ष इस आरोप को साबित करने में नाकाम है कि गीतिका को आत्महत्या के लिए उकसाया गया है.
गोपाल कांडा और अरुणा चड्ढा को कोर्ट ने भले ही बरी कर दिया है लेकिन कुछ सवालों के जवाब अब अभी आने बाकी हैं.
गीतिका शर्मा कांडा की एमएलडीआर एयरलाइंस में काम करती थीं. पांच अगस्त 2012 को उत्तर पश्चिम दिल्ली के अशोक विहार स्थित अपने आवास पर मृत पाई गई थीं. सवाल ये है कि क्या वजह थी जो गीतिका खुदकुशी करने के लिए मजबूर हो गई. शर्मा ने चार अगस्त को अपने सुसाइड नोट में कहा था कि वह कांडा और चड्ढा के 'उत्पीड़न' से तंग आकर आत्महत्या कर रही हैं.
साढ़े 17 साल की उम्र में ज्वाइन किया था एयरलाइन
गीतिका का सपना एयरहोस्टेस बनने का था.18 अक्टूबर, 2006 को वो गोपाल कांडा की कंपनी एमडीएलआर (मुरली धर लख राम) एयरलाइंस में बतौर ट्रेनी केबिन क्रू मेंबर बनी थीं. यह एयरलाइंस अब बंद हो चुकी है.
उस वक्त गीतिका की उम्र केवल साढ़े सत्रह साल थी. गीतिका को छह महीने की ट्रेनिंग पर रखा गया और उसके बाद केबिन क्रू में शामिल कर लिया गया. 28 अगस्त, 2008 को उन्हें सीनियर केबिन क्रू के तौर पर प्रमोट कर दिया गया.
5 अगस्त 2012 को गीतिका ने सुसाइड कर लिया था. अपने सुसाइड नोट में गीतिका ने कांडा पर कई तरह के आरोप लगाए थे. इसमें शारीरिक शोषण प्रमुख आरोप था. बेटी की आत्महत्या के बाद 16 फ़रवरी 2013 को गीतिका की मां अनुराधा ने भी आत्महत्या कर ली थी.
उनके सुसाइड नोट में भी कांडा और उनके साथियों को ज़िम्मेदार ठहराया गया था. बता दें कि गीतिका सुसाइड मामले में मुख्य अभियुक्त अरुणा चड्ढा को 8 अगस्त और गोपाल कांडा को 18 अगस्त 2012 को गिरफ़्तार किया गया था.
करीब डेढ़ साल बाद मार्च 2014 में कांडा को जमानत मिल गई. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने उन पर लगा रेप का चार्ज हटा दिया. करीब 10 साल पुराने इस केस में आरोपी को अब पूरी तरह से बरी कर दिया गया.
सवाल नंबर एक- हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा को किस आधार पर बरी किया
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में विफल रहा है. विशेष न्यायाधीश विकास ढुल की अदालत ने कांडा और चड्ढा दोनों को एक-एक लाख रुपये का निजी मुचलका जमा करने का भी आदेश दिया. बरी होने के बाद कांडा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, 'अदालत का आदेश पढ़िए और आप समझ जाएंगे कि सब कुछ मेरे खिलाफ एक साजिश थी.
गीतिका ने अपने सुसाइड नोट में कांडा और सीनियर मैनेजर अरुणा चड्ढा को इस कदम के लिए जिम्मेदार ठहराया है जबकि अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अरुणा चड्ढा और गीतिका बहुत करीबी दोस्त थे और गीतिका उससे हर बात साझा करती थी.
चड्ढा के साथ गीतिका की दोस्ती बहुत पुरानी थी. गीतिका चड्ढा पर इस हद तक भरोसा करती थी कि उसने अपनी प्रेगनेंसी के बारे में बताया था और गर्भपात कराने में मदद मांगी थी. अदालत के आदेश में कहा गया है, 'इसलिए इस बात की प्रबल संभावना है कि चड्ढा उस व्यक्ति के बारे में जान सकती हैं जो मृतका गीतिका शर्मा के साथ शारीरिक संबंध बना रहा था.
अदालत ने कहा, 'संभावना है कि चड्ढा और गोपाल गोयल कांडा ने तीन अगस्त 2012 और चार अगस्त 2012 को टेलीफोन पर हुई बातचीत में गीतिका शर्मा की मां को इस तथ्य का खुलासा किया था. साल 2012 में मृतका गीतिका की मां और गीतिका शर्मा के बीच 8 अप्रैल 2012 को मुंबई से लौटने को लेकर झगड़ा हुआ था'. लेकिन पूरे मामले से आरोपी को बरी करने पर ये सवाल जरूर पैदा होता है कि जब गीतिका ने खुद सुसाइड नोट में कांडा का नाम लिखा तो वो बरी कैसे हो गया.
गीतिका की मौत ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में हरियाणा के तत्कालीन गृह मंत्री कांडा की संलिप्तता के कारण राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं थी. कांडा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. बता दें कि वर्तमान में कांडा हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के प्रमुख और सिरसा से विधायक हैं. वह हरियाणा में बीजेपी और जजपा के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार का समर्थन करते हैं.
सवाल नंबर दो- बलात्कार के आरोपों को हटाकर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला चलाया गया
गीतिका के सुसाइड नोट को देखने के बाद दिल्ली की निचली अदालत ने कांडा पर बलात्कार के मामले में ट्रायल चलाने का फैसला दिया. कांडा ने इसे दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी जिसके बाद बलात्कार के आरोपों को हटाकर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला चलाने के आदेश दिए गए.
निचली अदालत ने कांडा के खिलाफ बलात्कार (376) और 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) के आरोप भी तय किए थे. दिल्ली उच्च न्यायालय ने बाद में आईपीसी की धारा 376 और 377 के तहत आरोपों को खारिज कर दिया था.
शर्मा ने खुद चार अगस्त को अपने सुसाइड नोट में कहा था कि वह कांडा और चड्ढा के उत्पीड़न से तंग आकर आत्महत्या कर रही है. बताया जाता है कि कांडा ने बलात्कार के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी जिसके बाद बलात्कार के आरोपों को हटाकर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला चलाने के आदेश दिए गए . लेकिन सवाल ये है कि जब कांडा ने गीतिका का रेप नहीं किया था तो उसने सोसाइड नोट में इसका जिक्र क्यों किया.
सवाल नंबर तीन- कांडा गीतिका को अपने ही साथ काम करने की धमकी क्यों देता था
गीतिका के भाई गौरव ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा कि गीतिका ने कांडा की कंपनी छोड़ दी थी. गीतिका के सुसाइड नोट में भी ये लिखा है कि कांडा की कंपनी की नौकरी छोड़ने पर मानसिक रूप से उसे प्रताड़ित करते थे. गीतिका के कंपनी छोड़ने के बाद कांडा की दूसरी कंपनियों में गीतिका को निदेशक बना दिया गया. उसने वो नौकरी भी छोड़ दी और और दुबई में एमिरेट्स की नौकरी कर ली.
गौरव लेकिन कांडा ने एमिरेट्स को पत्र लिखकर उसके चरित्र पर भी सवाल उठाए थे. गीतिका को वहां से बर्खास्त कर दिया गया. गौरव का कहना है कि कांडा गीतिका को सिर्फ अपनी कंपनी में काम करने की धमकी देता था. गौरव के मुताबिक कांडा या कांडा के लोग गीतिका का पीछा करते थे, उसकी जासूसी कराई जाती थी.
सवाल नंबर चार- सुनवाई में पेश क्यों नहीं हुए कांडा
मामले की सुनवाई के लिए पुलिस ने कांडा को पेश होने का नोटिस जारी किया था, लेकिन कांडा पेश नहीं हुए. वहीं कांडा के वकील ने ये कहा कि पुलिस बस मीडिया के दबाव से ये सब कर रही है. सवाल इस बात का है जिस जब ये घटना हुई तो उस साल की सबसे बड़ी खबरों में से एक थी जिसकी आंच हरियाणा सरकार तक पहुंच रही थी. इतने संवेदनशील मामले में गोपाल कांडा का अदालत में पेश न होना भी एक सवाल बड़ा सवाल था जिसका जवाब अब अदालत के फैसले के बाद मिलना मुश्किल है.
अभी भी है अदालत से इंसाफ की उम्मीद
गीतिका के दूसरे भाई अंकित शर्मा ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा ' अब अपनी सुरक्षा का भी ख़तरा है. वो कहते हैं, "साल 2015 में अदालत के भीतर मुझ पर हमला हुआ था. इस संबंध में दिल्ली के प्रशांत विहार थाने में एफ़आईआर भी दर्ज है लेकिन आज तक कोई जांच नहीं हुई."
बीबीसी में छपी एक खबर के मुताबिक अंकित का कहना है कि अब उन्हें सिर्फ अदालत से ही उम्मीद है. वो कहते हैं, "हमें अभी भी उम्मीद है कि हमें इंसाफ मिलेगा. लेकिन ये उम्मीद अब बीतते हुए हर एक दिन के साथ धूमिल होती जा रही है. हम इंसाफ के लिए बार-बार अदालत जा रहे हैं . अदालत में भी राजनीति का प्रभाव ज़्यादा है, इंसाफ कम है.