General Manoj Pande: विश्व में तेजी से बदल रही जियो-पॉलिटिकल परिस्थितियां हो या फिर सीमा पर कोई टकराव, वायुसेना और नौसेना के साथ मिलकर भारतीय सेना सभी तरह की चुनौतियां का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार. ये भरोसा दिलाया है नए थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने. थलसेना की कमान संभालने के पहले ही दिन जनरल मनोज पांडे ने साफ तौर से कहा कि "भारतीय सेना ने जिस तरह से अभी तक देश की सुरक्षा और अखंडता को बनाए रखने के लिए बहुत काम किया है, मैं देशवासियों को आश्वासन देने चाहता हूं कि सेना इसे बनाए रखेगी."
थलसेना के 29वें प्रमुख बनने के बाद रविवार को जनरल मनोज पांडे ने नेशनल वॉर मेमोरियल यानि राष्ट्रीय समर स्मारक जाकर वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित किया. इसके बाद साउथ ब्लॉक स्थित लॉन में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. उसके बाद उन्होंने मीडिया को संबोधित किया. जनरल पांडे ने कहा कि "ये मेरे लिए बेहद गर्व और सम्मान की बात है कि मुझे भारतीय थल सेना का नेतृत्व करने का दायित्व सौंपा गया है, जिसे मैं पूरी विनम्रता से स्वीकार करता हूं. भारतीय सेना स्वतंत्रता, स्वाधीनताऔर समानता के मूल्यों के प्रति पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है." उन्होनें कहा कि भगवान से प्रार्थना करता हूं कि अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से निभा सकूं.
किसी भी तरह के 'कॉन्फलिक्ट' का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है- मनोज पांडे
यूक्रेन-रूस जंग का नाम लिए बिना थल सेनाध्यक्ष ने कहा कि विश्व में तेजी से बदल रही जियो-पॉलिटिकल परिस्थितियों हो या कोई और चुनौती, भारतीय सेना अपनी सिस्टर-सर्विसेज (यानि वायुसेना और नौसेना) के साथ मिलकर किसी भी तरह के 'कॉन्फलिक्ट' का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है. उन्होनें कहा कि तीनों सेना (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) एक साथ समन्वय से काम करेंगी. चीन और पाकिस्तान से मिलने वाली चुनौतियां के सवाल पर जनरल पांडे ने कहा कि हमारी प्राथमिकता ऑपरेशन्ल तैयारियों पर रहेगी और आत्मनिर्भर भारत के तहत नई तकनीक पर ज़ोर रहेगा. आपस में फोर्सेज के बीच सबंध बेहतर हो इसकी कोशिश रहेगी.
इस सवाल पर कि पहली बार किसी इंजीनियर्स कोर के सैन्य अफसर को भारतीय सेना की कमान सौंपी गई हैं जनरल पांडे ने कहा कि भारतीय सेना में सभी 'आर्म्स' को पूरा और समान अवसर दिया जाता है. जनरल मनोज पांडे के सेना प्रमुख बनने से इतिहास भी बन गया है. वे देश के पहले ऐसे सेनाध्यक्ष होंगे जो इंजीनियर्स कोर से ताल्लुक रखते हैं. अभी तक अमूमन इंफेंट्री, आर्टलरी (तोपखाना) और आर्मर्ड यानि टैंक रेजीमेंट के सैन्य-अफसर ही सेना प्रमुख के पद के लिए चुने जाते रहे थे. लेकिन पहली बार कॉम्बेट-सपोर्ट आर्म के मिलिट्री ऑफिसर को भारतीय सेना की कमान सौंपी गई है.
मनोज पांडे ने की थी एलओसी पर पूरी एक इंफेंट्री ब्रिगेड कमांड
6 मई 1962 को जन्मे, लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे दिसम्बर 1982 में भारतीय सेना में एक ऑफिसर के तौर पर कमीशन हुए थे. एनडीए यानि नेशनल डिफेंस एकेडमी से पास-आउट होने के बाद उन्होनें सेना की इंजीनियरिंग कोर की 'बॉम्बे-सैपर्स' यूनिट ज्वाइन की थी. अपने 39 साल कै कैरियर में उन्होंने पाकिस्तान से सटे थियेटर यानि सीमा पर स्ट्राइक कोर की इंजीनियरिंग-ब्रिगेड की कमान संभाली और एलओसी पर पूरी एक इंफेंट्री ब्रिगेड कमांड की थी. इसके बाद लद्दाख में उन्होनें माउंटेन डिवीजन की कमान संभाली और फिर उत्तर-पूर्व के एक राज्य में चीन से सटी एलएसी पर तैनात कोर की कमान संभाली.
सेना की एक पूरी कोर संभालने के बाद जनरल पांडे ने देश की पहली ट्राई-सर्विस (थलसेना, वायुसेना और नौसेना की एकीकृत) कमान यानि अंडमान निकोबार कमान के कमांडिंग इन चीफ के तौर पर अपना सेवाएं दीं. इसके बाद उन्हें कोलकता स्थित फोर्ट विलियम्स यानि पूर्वी कमान की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसी साल फरवरी के महीने में उन्हें साऊथ ब्लॉक स्थित सेना मुख्यालय में सह-सेना प्रमुख का पद सौंपा गया. उसी वक्त ये लगभग तय हो गया था कि अगले सेना प्रमुख जनरल पांडे ही होंगे.
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