Silkyara Tunnel Rescue Operation: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए बचाव अभियान 13वें दिन जारी है. इस बीच बचाव कार्य की प्रगति पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए विशेषज्ञों ने शुक्रवार (24 नवंबर) को कहा कि हिमालय के भूविज्ञान का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है. 


उन्होंने कहा कि यह उतना पूर्वानुमानित नहीं है जितना लोग सोचते हैं. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के सदस्य (प्रशासन) विशाल चौहान ने कहा कि हिमालयी भूविज्ञान अप्रत्याशित है और सभी सरकारी और निजी एजेंसियों के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद रास्ते में कई रुकावटें आईं.


'हिमालयी भूविज्ञान अभी भी एक सटीक विज्ञान नहीं है'


बता दें कि सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को गुरुवार (23 नवंबर) की रात बाहर निकाले जाने की उम्मीद थी लेकिन ऑपरेशन में रुकावट आ गई. एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक, एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (रिटायर्ड) ने बचाव कार्य में देरी पर टिप्पणी करते हुए कहा, ''...हम लगातार सीख रहे हैं... उत्तरकाशी में जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है. हिमालयी भूविज्ञान अभी भी एक सटीक विज्ञान नहीं है लेकिन इसमें दिन पर दिन सुधार हो रहा है.''


उन्होंने कहा, ''ऐसा नहीं है कि हमारे यहां हर साल या दो साल में एक बार हादसा हो रहा है. मैंने वर्षों में इस तरह की दुर्घटना के बारे में नहीं सुना है. मैंने जम्मू-कश्मीर की सभी सुरंगों की यात्रा की है. बेहतरीन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.''


'बचाव अभियान के पूरा होने के समय पर अटकलें न लगाएं'


एनडीएमए सदस्य ने कहा कि पिछले 24 घंटों में मलबे के माध्यम से पाइप डालने में कोई प्रगति नहीं हुई है क्योंकि कुछ बाधाएं थीं. उन्होंने कहा कि इसे ठीक करने के बाद एक पाइप में समस्या आ गई और फिर बरमा मशीन में खराबी आ गई.


सैयद अता हसनैन ने कहा, ''अब एक जमीन भेदने वाले रडार ने संकेत दिया है कि बरमा मशीन के रास्ते में पांच मीटर आगे तक कोई धातु बाधा नहीं है.'' उन्होंने कहा कि बचाव अभियान के पूरा होने के समय के बारे में अटकलें न लगाएं.


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