India-Germany Relationship: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी को लेकर अमेरिका और जर्मनी की तरफ से कमेंट किया जा चुका है. भारत ने दोनों ही देशों को साफ कर दिया है कि वे उसके आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी नहीं करें. इस बीच जर्मनी ने बुधवार (27 मार्च) को इस मुद्दे पर यू-टर्न मारा और भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने से इनकार कर दिया.
पिछले शनिवार को विदेश मंत्रालय ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को आंतरिक मामला बताते हुए जर्मनी के वरिष्ठ राजनयिक को समन भेजा. राजनयिक को ये समन इसलिए मिला, क्योंकि उनके देश के प्रवक्ता ने अरेस्ट पर बयानबाजी की थी. भारत ने साफ कर दिया कि जर्मनी भारतीय न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि जर्मनी के बयान दिखाते हैं कि वह भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमतर मान रहा है.
जर्मन प्रवक्ता ने नहीं दी राजनयिक संग बातचीत की जानकारी
वहीं, भारत के कड़े रुख का असर देखने को मिल रहा है, क्योंकि जर्मन प्रवक्ता ने बुधवार को भारत के जरिए राजनयिक को समन भेजे जाने के मुद्दे पर कोई जानकारी शेयर करने से इनकार कर दिया. प्रवक्ता ने केजरीवाल के मामले पर कोई टिप्पणी भी नहीं की.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मन प्रवक्ता ने कहा, "हमने पहले ही इस मामले पर टिप्पणी कर दी है. मैं गोपनीय बातचीत की रिपोर्ट नहीं देना चाहता हूं. दोनों पक्षों को सहयोग को गहरा करने में गहरी रुचि है. हम भारतीय पक्ष के अगले सरकारी परामर्श का इंतजार कर रहे हैं, जो इस साल शरद ऋतु में मिल सकती है."
जर्मन प्रवक्ता ने कहा, "भारतीय संविधान बुनियादी मानव अधिकारों और स्वतंत्रता की गारंटी देता है. हम एक रणनीतिक साझेदार के रूप में भारत के साथ इन लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करते हैं."
अमेरिका ने भी केजरीवाल की गिरफ्तारी पर टिप्पणी
माना जा रहा है कि पश्चिमी मुल्कों में केजरीवाल की गिरफ्तारी का मुद्दा खूब उठ रहा है. अमेरिका की तरफ से भी इस मामले पर टिप्पणी की गई थी. इसके बाद भारत ने विरोध दर्ज कराने के लिए एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को तलब किया और अपनी नाराजगी जताई. इसके बाद अमेरिका ने बुधवार को कहा कि वह निष्पक्ष, पारदर्शी, समयबद्ध कानूनी प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करता है.
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