नई दिल्लीः नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी खुश दिखाई दे रही है तो वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के अंदर ही इस कानून का विरोध शुरू हो गया है. एनडीए के सहयोगी दल और गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ राज्य के मरगांव में हुए विरोध-प्रदर्शन में शामिल हुई.
जीएफपी के प्रमुख और पूर्व उपमुख्यमंत्री विजय सरदेसाई और पार्टी की राज्य कार्यकारिणी के अन्य सदस्यों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया. इस दौरान सरदेसाई ने कहा कि उनकी पार्टी सांप्रदायिक सौहार्द, समावेश और प्रगतिशीलता का समर्थन करती है. ऐसा कानून किसी भी समुदाय में असुरक्षा की भावना पैदा करता है, वो गलत है.
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल और पंजाब समेत कई राज्यों ने इस कानून को लागू करने का विरोध किया है. पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ तौर पर इस कानून को राज्य में लागू करने से इंकार कर दिया.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वह इस कानून को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगे. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि पश्चिम बंगाल इस कानून को लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा.
ममता बनर्जी ने दोहराया कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ उनकी लड़ाई 'स्वतंत्रता की दूसरी लड़ाई' है. बनर्जी ने कहा कि कानून में संशोधन वापस लेने की मांग को लेकर वह सड़क पर उतरेंगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार 'विभाजनकारी और क्रूर' कानून को लागू करने में केंद्र का सहयोग नहीं करेगी.
वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय ने अपने बयान में कहा है, ''नागरिकता संशोधन कानून भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर सीधा हमला है. इस कानून को उनकी सरकार अपने राज्य में लागू नहीं होने देगी.''
केरल के मुख्यमंत्री सीएम पिनरई विजयन ने इस संशोधन को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार भारत को धार्मिक आधारों पर बांटने की कोशिश कर रही है.
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