नई दिल्लीः देश में औद्यौगिक क्रांति के जनक के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले घनश्याम दास बिड़ला की आज 28वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है. जीडी बाबू के नाम से पहचाने जाने वाले घनश्याम दास बिड़ला का जन्म राजस्थान के पिलानी में 10 अप्रैल 1894 को हुआ था. देश को अंग्रेजों के शासनकाल से आर्थिक क्षेत्र से मजबूत करने वाले जीडी बाबू का निधन आज ही के दिन 11 जून 1983 में हुआ था.


1957 में मिला पद्म विभूषण सम्मान


घनश्याम दास बिड़ला भारत के सबसे बड़े औद्योगिक ग्रुप बी. के. के. एम. बिड़ला समूह के संस्थापक थे. जिसकी संपत्तियां आज 195 अरब रुपये से अधिक है. घनश्याम दास बिड़ला ने आजादी की लड़ाई में अप्रत्यक्ष तौर पर बड़ा योगदान दिया था. वह स्वाधीनता सेनानी के साथ ही बिड़ला परिवार के प्रभावशाली सदस्य रहे. उन्होंने महात्मा गांधी जी के मित्र, सलाहकार, प्रशंसक के रूप में भी पहचाना जाता है. घनश्याम दास बिड़ला को साल 1957 में भारत सरकार ने पद्म विभूषण की उपाधि से सम्मानित किया था.


इण्डियन चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इन्डस्ट्री की स्थापना की


तीस साल की कम उम्र में देश में अपना औद्योगिक साम्राज्य जमाने वाले घनश्याम दास बिड़ला ने 1919 में बंगाल जाकर जूट उद्योग में कदम रखा था. वह अपनी सच्चाई और ईमानदारी के लिए पहचाने जाने थे. उन्हें महात्मा गांधी के साथ ही देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल का करीबी मित्र के तौर पर भी जाना जाता है. इसके अलावा घनश्याम दास ने देश के कुछ अन्य उद्योगपतियों के साथ मिलकर साल 1927 में "इण्डियन चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इन्डस्ट्री" की स्थापना की था.


सेंचुरी टेक्सटाइल में बनाई जगह


घनश्याम दास ने अपने पैतृक स्थान पिलानी में देश की सर्वश्रेष्ठ निजी तकनीकी संस्थान बिड़ला प्रौद्योगिकी और विज्ञान संस्थान की स्थापना की थी. बिड़ला ग्रुप का मुख्य व्यवसाय केमिकल, कपड़ा, बिजली, फ्लामेंट यार्न, दूरसंचार, सीमेंट, वित्तीय सेवा और एल्युमिनियम क्षेत्र में है. जबकि ग्रासिम इंडस्ट्रीज और सेंचुरी टेक्सटाइल बिड़ला ग्रुप की अग्रणी कंपनियां हैं. 


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