नई दिल्ली: पहले अनुच्छेद 370 और अब नागरिकता संशोधन विधेयक. गृह मंत्री अमित शाह ने साबित कर दिया है कि वो चुनावी मैदान की तरह संसद में भी पूरे विपक्ष पर अकेले भारी पड़ सकते हैं. अमित शाह की इसी ताकत को आम चुनाव के नतीजों के बाद जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और उनकी विरोधी महबूबा मुफ्ती ने भी कबूल किया था. मुफ्ती ने कहा था कि कांग्रेस को भी एक अमित शाह की जरूरत है. यही वजह है कि अमित शाह को नया नाम मिला है. नरेंद्र मोदी की मुमकिन मशीन. राज्यसभा में आज जिस तरीके से सबकुछ हुआ उससे अमित शाह का नंबर बीजेपी और सरकार दोनों में निर्विवाद रूप से मोदी के बाद नंबर दो के नेता का हो गया है.


आज देश की संसद में शरणार्थियों के हित में धर्म के आधार पर राजनीतिक घुसपैठ करने वाले दलों की घंटी बज गई, क्योंकि नागरिकता संशोधन बिल राज्यसभा में 105 वोटों के मुकाबले 125 वोटों से पास हो गया. लेकिन ऐतिहासिक फैसले पर मुहर से पहले राजनीति खूब हुई. संसद का फैसला उन लाखों लोगों के लिए है, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से धर्म के आधार पर प्रताड़ित किए जाने पर जान बचाकर भारत की शरण में आए. इस उम्मीद में कि उन्हें अपनों जैसा प्रेम मिलेगा? लेकिन लोकसभा में जो बिल सोमवार को पास हुआ, उसे राज्यसभा में आज पास होने के दौरान विपक्ष ने मुस्लिम पॉलिटिक्स के नाम पर खूब घेरा.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकता संशोधन बिल पर संसद की मुहर को भारत के इतिहास में ऐतिहासिक दिन बताया है. तो वहीं लालू यादव की पार्टी के सांसद मनोज झा ने कहा भारत इजरायल बन जाएगा. विपक्ष नागरिकता संशोधन बिल के नाम पर डराता रहा लेकिन अमित शाह ने जवाब दिया कि देश को डराने वालों से दूर रहना है.


बता दें कि दूसरी बार देश की सत्ता संभालने के सिर्फ छह महीने के भीतर मोदी सरकार के कार्यकाल में एक के बाद एक लगातार चार बड़े फैसले संविधान के दायरे में सामने आए. पहले ट्रिपल तलाक, फिर जम्मू कश्मीर को आर्टिकल 370 से आजादी. फिर अयोध्या के राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला. अब संसद से नागरिकता संशोधन बिल पर मुहर भी लग गई है.


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