घंटी बजाओ: 2019 के लोकसभा चुनाव में चीन के मनमुताबिक सरकार बनवा सकता है UC News
UC News App पर आरोप है कि जिस तरह अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के पक्ष में वोट डलवाया गया उसी तरह भारत में चीन इस न्यूज़ ऐप के जरिए अपने मनमुताबिक सरकार बनवा सकता है.
नई दिल्ली: चीनी कंपनी अलीबाबा की UC News App भारत में चुनावों को प्रभावित कर सकता है. आरोप है कि जिस तरह अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के पक्ष में वोट डलवाया गया उसी तरह भारत में चीन इस न्यूज़ ऐप के जरिए चुनावों को प्रभावित कर सकता है और अपने मनमुताबिक सरकार बनवा सकता है. 2004 में शुरू हुई ये कंपनी आज चीन की सबसे बड़ी और भारत की दूसरी सबसे बड़ी इंटरनेट ब्राउज़िंग कंपनी है.
रूस पर अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में चुनाव को झुकाने का आरोप लग चुका है. चुनाव अभियान के अहम वक्त के दौरान डेमोक्रेटिक पार्टी की हिलेरी क्लिंटन के ईमेल लीक होने से उनकी उम्मीदवारी को झटका लगा और वो चुनाव हार गई. हिलेरी अपनी हार के लिए रूस को जिम्मेदार ठहरा चुकी की हैं.
13 करोड़ यूसी न्यूज़ के यूजर्स हैं
चीन का यूसी न्यूज ऐप तेजी से भारत में पैर पसार रहा है. फिलहाल यूसी न्यूज एप के 13 करोड़ यूजर्स हैं. लेकिन उसकी कोशिश अगले साल तक इसे 20 करोड़ करने की है. सवाल ये है कि क्या इसका 2019 के चुनाव से कोई संबंध है? चीन की UC न्यूज एप को 13 करोड़ भारतीय इस्तेमाल करते हैं. वहीं 2014 में बीजेपी को तकरीबन 17 करोड वोट मिले थे. इन्हीं वोटों के बल पर नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने. बताया जा रहा है कि अगले साल तक UC न्यूज एप के ग्राहक 20 करोड़ हो जाएंगे. यानी भारत में एक चीनी कंपनी के ग्राहकों की तादाद सरकार बनाने वाली पार्टी के कुल वोटों से ज्यादा होगी.
वहीं उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार को कुल 3.5 करोड़ वोट मिले. यानी आज की तारीख में चीन की UC वेब और UC न्यूज़ के ग्राहकों की तादाद योगी सरकार को मिले कुल वोटों से 4 गुना ज्यादा है.
कई सारी निजी जानकारियां रखता है UC न्यूज़
जब भी आप UC न्यूज का ऐप डाउनलोड करते हैं तो उसका सर्वर आपके फोन का IMEI यानी अंतरराष्ट्रीय मोबाइल पहचान संख्या का नंबर, आपके हेंडसैट का प्रकार, मोबाइल का ऑपरेटिंग सिस्टम, आपके मोबाइल पर इस्तेमाल होने वाले दूसरे ऐप्स की जानकारी, आपका IP एड्रेस हासिल कर लेता है. UC न्यूज ने अपने कानूनी दस्तावेज प्राइवेसी पॉलिसी में ये सब घोषित किया हुआ है.
अब सवाल ये उठता है कि एक न्यूज़ ऐप को आखिर यूजर के IMEI नंबर, दूसरे कौन से एप इस्तेमाल हो रहे हैं और IP एड्रैस जैसी चीजें हासिल करने की क्या जरूरत है. हालांकि कंपनी अपनी तरफ से इस तरह की जानकारी पूरी तरह सुरक्षित बताती है और इसके गलत इस्तेमाल न करने का वादा करती है. लेकिन अंदेशा है कि भारत से दुश्मनी के चलते चीन इन जानकारियों का गलत इस्तेमाल कर सकता है. UC न्यूज भारत के खिलाफ चीन का वेब हथियार साबित हो सकती है.
अगर आप चीन की UC वेब का इस्तेमाल करते हैं तो आपके कंप्यूटर की लोकेशन, उसकी मशीनी जानकारी, उसका IP एड्रेस चीनी सर्वर तक पहुंच जाएगा. इतना ही नहीं आप कंप्यूटर में क्या देख रहे हैं, क्या काम कर रहे हैं. इसे बताने वाली फाइलें जिन्हें कुकीज फाइलें कहा जाता है. वो भी यूसी वेब का सर्वर रिकॉर्ड करता है.
इस तरह चीनी कंपनी के पास 13 करोड़ भारतीयों की इतनी ज्यादा निजी जानकारियां मौजूद हैं जिससे उनके बारे में, उनकी सोच के बारे में, उनके राजनीतिक झुकाव के बारे में सटीक अनुमान लगाया जा सकता है. आरोप है कि चीन इन सूचनाओं को भारत में किसी खास पार्टी के पक्ष में वोट डालने के लिए प्ररित कर सकता है.
हर दूसरे भारतीय के हाथ में है चीनी फोन
चीन ऐसा इसलिए भी कर सकता है क्योंकि एक अनुमान के मुताबिक भारत में चीनी फोन की हिस्सेदारी तकरीबन 61.7 फीसदी है. इस तरह हर दूसरे भारतीय के हाथ में चीनी कंपनी का बना फोन है और हर चाइनीज फोन में यूसी ब्राउज़र और यूसी न्यूज़ है. चाईनीज़ फोन के साथ ये दोनो एप्लिकेशन फोन के साथ ही आपको मिलते हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि चीन के पास भारतीय चुनावों को प्रभावित करने की क्षमता उम्मीद से कहीं ज्यादा है.
कैम्ब्रिज एनालिटिका नाम की कंपनी है पर आरोप है कि उसने राजनीतिक अभियान के लिए 8.7 करोड़ फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल का डेटा हासिल किया. जिसमें भारतीय लोग भी शामिल थे. इसके लिए फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग को मांफी मांगनी पड़ी थी.
आयरलैंड मेंं जनता की राय को प्रभावित कर रहा सोशल मीडिया
चुनावों में विदेशी हाथ का तीसरा और सबसे ताजा सबूत आयरलैंड है जहां गर्भपात पर जनमत संग्रह हो रहा है. जिसका चेहरा एक भारतीय महिला सविता है जिन्हें सख्त नियम के चलते जान से हाथ धोना पड़ा. लेकिन यहां चर्चा सोशल मीडिया पर हो रही है जिसके जरिए विदेशी ऐड से जनता के मत को प्रभावित करने की कोशिश हो रही थी. इसके बाद गूगल और फेसबुक ने विदेशी समूहों के विज्ञापनों पर रोक लगा दी. ऐसा इसलिए किया गया ताकि विदेशों में बैठे लोग लोगों की राय को अपने पक्ष में न बदल पाएं.
इस मामले पर ट्रांसपेरेंट रिफरेंडम इनिशिएटिव के को-फाउंडर क्रेग डायर ने कहा, "जैसे-जैसे वोटिंग की 25 तारीख नजदीक आ रही है. फेसबुक पर वोटरों को प्रभावित करने वाले विज्ञापनों की संख्या भी बढ़ रही है. आयरलैंड के बाहर से लोगों की राय बदलने के लिए ऐसे विज्ञापन आ रहे हैं." आयरलैंड की ये खबर भारत के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है क्योंकि भारत में फेसबुक इस्तेमाल करने वाले दुनिया के सबसे ज्यादा लोग हैं.
चीन की UC न्यूज के खबर में भारत के नक्शे को पूरा नहीं दिखाया जाता है. इसमें भारत के जम्मू-कश्मीर का हिस्सा नहीं रहता है. कुछ पाठकों ने इस पर आपत्ति भी जताई लेकिन इसका न्यूज़ कंपनी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. चीन अपने इस ऐप पर भारत के खिलाफ लिखने की खूब आजादी देता है लेकिन इस पर चीन और पाकिस्तान के खिलाफ नहीं लिखा जा सकता है. अगर आप इस पर बलूचिस्तान लिखते हैं तो ऐप आपको ऐसा करने से रोक देता है.
भारत के खिलाफ चीनी साजिश को UC न्यूज़ बखूबी अंजाम दे रहा है.